यूथ इंडिया संवाददाता
फर्रुखाबाद। रामजन्म भूमि मुक्ति आन्दोलन के चार प्रमुख स्तम्भों में से एक, डॉ. ब्रह्म दत्त अवस्थी के निधन से समूचा हिन्दू समाज शोक में डूब गया है। डॉ. अवस्थी, जो विश्व हिन्दू परिषद के कार्यकारी अध्यक्ष और प्रमुख वक्ता के रूप में जाने जाते थे, ने राष्ट्रवादी विचारधारा के साथ हिन्दू चेतना को जगाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
उनके निधन पर विश्व हिन्दू परिषद और हिन्दू समाज ने इसे एक अपूरणीय क्षति बताया है।राम मंदिर आंदोलन प्रमुख पूर्व सांसद विनय कटियार ने नगलदीना भोलेपुर पहुंच उनके आवास पर उन्हे सोमवार श्रद्धा सुमन अर्पित किए।उनके ज्येष्ठ पुत्र वरिष्ठ भाजपा नेता प्रभात अवस्थी सहित परिजनों को ढांढस बंधाया। शोक संतप्त परिवार को सान्त्वना देने के लिए भाजपा के वरिष्ठ नेता और रामजन्म भूमि आन्दोलन के अन्य प्रमुख स्तम्भों में से एक, विनय कटियार, भी फर्रुखाबाद पहुंचे। उनके साथ बजरंग दल के राष्ट्रीय संयोजक और भाजपा के पूर्व राष्ट्रीय महासचिव अशोक सिंहल जी और मंहत अवैधनाथ जी भी इस दुख की घड़ी में उपस्थित थे। सभी ने डॉ. अवस्थी के परिवार के प्रति अपनी गहरी संवेदना व्यक्त की और उनके योगदान को याद किया।
डॉ. ब्रह्म दत्त अवस्थी: हिन्दू चेतना के प्रतीक
डॉ. ब्रह्म दत्त अवस्थी ने रामजन्म भूमि मुक्ति आन्दोलन में अपना अद्वितीय योगदान दिया था। उनके ओजस्वी भाषण और राष्ट्रवादी विचारों ने आन्दोलन को नई दिशा दी थी। वह न केवल एक विद्वान राष्ट्रवादी विचारक थे, बल्कि एक सशक्त हिन्दू नेता भी थे जिन्होंने हिन्दू समाज को एकजुट करने के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया था।
उनके निधन पर विनय कटियार ने कहा, डॉ. अवस्थी का जाना न केवल विश्व हिन्दू परिषद के लिए, बल्कि समूचे हिन्दू समाज के लिए बड़ी क्षति है। उनका योगदान और बलिदान सदैव याद रखा जाएगा। अन्य नेताओं ने भी उन्हें हिन्दू चेतना के वाहक और रामजन्म भूमि आन्दोलन के प्रमुख स्तम्भ के रूप में याद किया।
समस्त हिन्दू समाज में शोक की लहर
डॉ. ब्रह्म दत्त अवस्थी के निधन से समूचे हिन्दू समाज में शोक की लहर है। उनके योगदान और बलिदान को सदैव याद किया जाएगा। उनके नेतृत्व ने हिन्दू समाज को एकजुट किया और रामजन्म भूमि आन्दोलन को सफलता की ओर अग्रसर किया। उनके जाने से हिन्दू समाज ने एक महान नेता और विचारक खो दिया है, जिसकी भरपाई करना असंभव है। वह हमेशा अपने विचारों, कार्यों और राष्ट्रवादी दृष्टिकोण के लिए याद किए जाएंगे, और उनका योगदान हिन्दू समाज और रामजन्म भूमि आन्दोलन के इतिहास में स्वर्णिम अक्षरों में अंकित रहेगा।