यूथ इंडिया संवाददाता
फर्रुखाबाद। शिक्षा विभाग में एक बड़ी लापरवाही सामने आई है, जहां जिला विद्यालय निरीक्षक (डीआईओएस) ने एसकेएम इंटर कालेज चांदपुर नबावगंज की मान्यता के मामले में हाईकोर्ट के सामने गलत रिपोर्ट पेश कर न्यायालय को गुमराह किया है। यह रिपोर्ट न केवल न्यायालय को भ्रमित करने वाली है, बल्कि पूर्व में गठित जांच समिति और जिला प्रशासन के निर्देशों की अवहेलना भी करती है।
यह मामला नवाबगंज के चांदपुर स्थित एसकेएम इंटर कालेज और कृष्ण पब्लिक स्कूल की एक ही भवन और जमीन दर्शा कर प्रबंधक अवधेश मिश्रा द्वारा जालसाजी और भूमाफियागिरी कर मान्यता प्राप्त करने के गंभीर आरोपों से जुड़ा है, जहां पहले से ही एसडीएम डीआईओएस और बीएसए की त्रिस्तरीय जांच समिति ने गंभीर अनियमितताओं को उजागर करते हुए स्कूल की मान्यता को समाप्त करने की सिफारिश की थी। समिति की जांच में स्कूल प्रबंधन की कई खामियां सामने आई थीं, जिनके आधार पर जिलाधिकारी ने मान्यता वापस लेने का सुझाव शासन को दिया गया था।
डीएम के आदेशों की अनदेखी
पूर्व जिलाधिकारी ने स्कूल प्रबंधक और कमेटी के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराने का स्पष्ट आदेश दिया था, लेकिन डीआईओएस ने इस आदेश को नजऱअंदाज़ कर कोई कानूनी कार्रवाई नहीं की। इससे प्रशासनिक प्रक्रियाओं की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े हो गए हैं।
इसके विपरीत, डीआईओएस ने हाईकोर्ट में एक गलत रिपोर्ट पेश करते हुए दावा किया कि स्कूल में कोई बड़ी खामियां नहीं हैं। इस झूठी रिपोर्ट ने न केवल न्यायालय को भ्रमित किया, बल्कि न्यायिक प्रक्रिया में बाधा भी उत्पन्न की है।
गलत रिपोर्ट के प्रभाव
डीआईओएस की इस गलत रिपोर्ट के कारण न्यायालय ने स्कूल के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने में देरी की, जिससे स्कूल प्रबंधन को समय मिल गया। जिला शिक्षा विभाग की विश्वसनीयता अब संदेह के घेरे में है, और जनता प्रशासन से पारदर्शिता की मांग कर रही है।
पूर्व में गठित समिति ने स्कूल में अनियमितताओं को उजागर करते हुए मान्यता वापस लेने का सख्त सुझाव दिया था, लेकिन डीआईओएस की रिपोर्ट ने इन सिफारिशों को नकार दिया।
इस घटना के बाद जिला प्रशासन पर कार्रवाई का दबाव बढ़ गया है। कानून विशेषज्ञों के अनुसार, न्यायालय को गुमराह करना एक गंभीर अपराध है, जिसके लिए संबंधित अधिकारियों पर कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए। डीआईओएस की भूमिका की भी गंभीरता से जांच की जानी चाहिए, और पूर्व डीएम के आदेशों के तहत स्कूल प्रबंधक के खिलाफ मुकदमा तुरंत दर्ज किया जाना चाहिए।ये मामला उच्च न्यायलय इलाहाबाद पहुंच गया है।
स्थानीय शिक्षक संगठनों और जनता ने न्याय की मांग की है और डीआईओएस द्वारा प्रस्तुत गलत रिपोर्ट को तुरंत सुधारा जाने की आवश्यकता पर बल दिया है। साथ ही, जांच समिति की सिफारिशों को लागू करने और आवश्यक कानूनी व प्रशासनिक कार्रवाई करने की मांग की जा रही है।
हाई कोर्ट में चुनौती होगी दोनों रिपोर्ट
अब इस मामले में नई जानकारी के अनुसार, हाईकोर्ट में डीआईओएस की दोनों रिपोर्टों को चुनौती दी जाएगी। न्यायालय में दोनों रिपोर्टों की सत्यता पर सवाल उठाए जाएंगे, और शिक्षा निदेशक को इस पूरे मामले का जिम्मेदार ठहराया जाएगा। इस तरह की गड़बडिय़ों पर उच्चस्तरीय जांच और कार्रवाई की संभावनाएं भी तेज हो गई हैं, जिससे यह मामला और गंभीर हो गया है।