यूथ इंडिया संवाददाता
कमालगंज। ब्लॉक के ग्राम पंचायत सचिवों की कार्यशैली पर क्षेत्रीय प्रधानों द्वारा मिली शिकायतों पर विधायक नागेंद्र सिंह राठौर ने ग्राम पंचायत सचिव अंजिली प्रजापति की कार्यशैली के खिलाफ शिकायत की थी। उनका संज्ञान लेते हुए विधायक ने सचिव को हटाने के लिए एक पत्र भी लिखा और फोन से भी इस बारे में निर्देश दिए। उसके बाबजूद सचिव पर कार्यवाही ना कर उसे ७ और ग्राम पंचायत से नवज दिया गया।
विधायक के निर्देशों के बावजूद, सीडीओ स्तर से सचिव अंजली की जिम्मेदारियों में और वृद्धि कर दी गई। सचिव को 7 अतिरिक्त ग्राम पंचायतों का प्रभार सौंपा गया, जिससे उनकी कुल जिम्मेदारियों की संख्या बढक़र 15 हो गई। यह निर्णय तब लिया गया जब सचिव की कार्यशैली पर सवाल स्थानीय विधायक नागेंद्र सिंह राठौर ने उठाए थे, जिम्मेदारों द्वारा विधायक की किरकिरी के इस कदम पर आश्चर्य जताया जा रहा है।
कमालगंज ब्लॉक में कई सचिवों पर गंभीर आरोप हैं। इनमें सरकारी पैसे को अपने पारिवारिक खातों में डालने और शासनादेश की धज्जियां उड़ाते हुए बिना निविदा छपाई के ही भुगतान करने के मामले शामिल हैं। इसके अलावा, कुछ सचिव ब्लॉक तक बड़े वाहन से पहुंचते हैं, जो सरकारी खर्चों के अनुशासनहीन उपयोग की ओर इशारा करता है।
विधायक के आदेशों के बावजूद, सचिव अंजली प्रजापति की जिम्मेदारियों में बढ़ोतरी के इस निर्णय से यह स्पष्ट होता है कि स्थानीय प्रशासन में प्रभावशाली व्यक्तियों के खिलाफ कार्रवाई में गड़बड़ी हो रही है। इसके अलावा, सदर विधानसभा के कुछ गांवों का प्रभार देख रहीं सचिव लक्ष्मी लता गौतम को विधायक के एक फोन पर जिले से अटैच करने की बात भी सामने आई है, जो जानबूझकर किसी का उत्पीडऩ राजनीतिक प्रभाव और दबाव से करने की ओर इशारा करती है।
यह स्थिति स्थानीय प्रशासन की पारदर्शिता और जिम्मेदारी पर गंभीर प्रश्न उठाती है और नागरिकों की भलाई के लिए एक समुचित समाधान की आवश्यकता को उजागर करती है।वहीं बीजेपी जनप्रतिनिधियों की एक दूसरे की विधानसभा में दखल से सिस्टम कमजोर और अधिकारियों की मनमानी को बढ़ावा देती है।