नई दिल्ली: योग गुरु बाबा रामदेव और पतंजलि की दिव्य फार्मेसी को दिल्ली उच्च न्यायालय ने शुक्रवार, 30 अगस्त 2024 को एक याचिका के जवाब में नोटिस जारी किया, जिसमें आरोप लगाया गया है कि हर्बल टूथ पाउडर दिव्य दंत मंजन (Divya Dant Manjan) में शाकाहारी होने के बावजूद मांसाहारी तत्व शामिल हैं।
यह याचिका अधिवक्ता यतिन शर्मा द्वारा दायर की गई है, जिन्होंने दावा किया है कि उत्पाद की पैकेजिंग में एक हरे रंग का बिंदु है, जो आमतौर पर शाकाहारी उत्पादों को दर्शाने के लिए उपयोग किया जाता है, जबकि सामग्री सूची में सेपिया ऑफिसिनेलिस (सामान्य कटलफिश) शामिल है। मामले की अगली सुनवाई 28 नवंबर को निर्धारित की गई है।
याचिका में इस बात पर प्रकाश डाला गया कि दिव्य फार्मेसी द्वारा निर्मित उत्पाद “दिव्य दंत मंजन” (Divya Dant Manjan) को आधिकारिक पतंजलि वेबसाइट पर प्रमुखता से प्रदर्शित और बिक्री के लिए पेश किया गया है और उत्पाद को एक विशिष्ट हरे रंग के बिंदु से चिह्नित किया गया है, जो इसके कथित शाकाहारी प्रकृति का प्रतीक है।
इसमें कहा गया है कि याचिकाकर्ता और उनका परिवार, जो शाकाहारी और पौधे-आधारित आयुर्वेदिक उत्पाद के रूप में इसके प्रचार के कारण लंबे समय से “दिव्य दंत मंजन” (Divya Dant Manjan) का उपयोग कर रहे हैं, ने हाल ही में पाया कि उत्पाद में “समुद्रफेन (सीपिया ऑफिसिनेलिस)” है, जो कटलफिश की हड्डी से प्राप्त होता है। यह खुलासा याचिकाकर्ता और उनके परिवार के लिए विशेष रूप से परेशान करने वाला है, जो ब्राह्मण पृष्ठभूमि से आते हैं, जहाँ मांसाहारी सामग्री का सेवन उनकी धार्मिक मान्यताओं और भावनाओं के सख्त खिलाफ है।
याचिका में कहा गया है कि जब उन्हें पता चला कि वे अनजाने में लंबे समय से मांसाहारी भोजन का सेवन कर रहे थे, तो इससे याचिकाकर्ता और उनके परिवार को गहरा आघात पहुंचा तथा उन्हें सदमा पहुंचा।
याचिका में “दिव्य दंत मंजन” (Divya Dant Manjan) के उत्पादन और प्रचार के संबंध में प्रतिवादियों की चूक को दूर करने के लिए न्यायिक हस्तक्षेप की आवश्यकता को रेखांकित किया गया, जिसमें कथित रूप से मांसाहारी सामग्री शामिल है।
याचिका में आगे कहा गया है कि बाबा रामदेव ने यूट्यूब वीडियो में स्वीकार किया है कि उत्पाद में इस्तेमाल किया जाने वाला “समुद्र फेन” पशु-आधारित है, जबकि उत्पाद को शाकाहारी के रूप में बेचा जा रहा है और इसकी पैकेजिंग पर हरे रंग का बिंदु है। याचिकाकर्ता ने मांसाहारी उत्पाद के अनजाने में सेवन से होने वाली परेशानी के निवारण की मांग की और पारदर्शिता और धार्मिक मान्यताओं के पालन के महत्व पर जोर दिया।
याचिका में कहा गया है, “इस मामले में अदालत के आदेश की गंभीरता और प्रभावशीलता पर गंभीर सवाल उठाए गए हैं, जिससे तत्काल न्यायिक हस्तक्षेप की आवश्यकता पर प्रकाश डाला गया है। अदालत के निर्देशों की लगातार अवहेलना के कारण अनुपालन सुनिश्चित करने और कानूनी प्रणाली की अखंडता को बनाए रखने के लिए निर्णायक कार्रवाई की आवश्यकता है।”