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फर्रुखाबाद। जिले में श्रम कानूनों और पर्यावरणीय नियमों को ताक पर रखकर बड़ी संख्या में एट भट्टे अवैध रूप से संचालित हो रहे हैं। हालात यह हैं कि अधिकांश भट्टे बिना लेबर लाइसेंस के मजदूरों से कार्य करा रहे हैं। वहीं दूसरे जिलों और प्रांतों से श्रमिकों को अवैध तरीके से लाकर उनके अधिकारों का खुला उल्लंघन किया जा रहा है।
श्रम विभाग और प्रशासन की अनदेखी के चलते जिले में अवैध भट्टों का कारोबार फल-फूल रहा है। जांच में सामने आया है कि जिले में लगभग 150 से अधिक ईंट भट्टे सक्रिय हैं, जिनमें से केवल 40 के आसपास ही वैध लाइसेंसधारी हैं। शेष भट्टे बिना किसी अधिकृत अनुमति के संचालित हो रहे हैं।
इन भट्टों पर हर साल करीब 800 से 1000 मजदूर अन्य राज्यों और जिलों से लाए जाते हैं। इनमें से अधिकांश श्रमिकों का न तो पंजीकरण कराया जाता है और न ही उन्हें सरकार द्वारा निर्धारित न्यूनतम मजदूरी मिलती है। मजदूरों को बिना किसी स्वास्थ्य सुविधा, बीमा या सुरक्षा प्रबंधन के खतरनाक परिस्थितियों में कार्य कराया जा रहा है।
सबसे गंभीर स्थिति फर्रुखाबाद नगर क्षेत्र में देखने को मिल रही है, जहां घनी आबादी के बीच नियमों का उल्लंघन कर भट्टे संचालित हो रहे हैं। उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के दिशा-निर्देशों के अनुसार किसी भी ईंट भट्टे को रिहायशी क्षेत्र से कम से कम 500 मीटर की दूरी पर स्थापित करना अनिवार्य है, लेकिन यहां यह नियम धज्जियों में उड़ाया जा रहा है।
स्थानीय लोगों का आरोप है कि कई भट्ठा संचालक भाजपा के नाम का सहारा लेकर अवैध गतिविधियों को अंजाम दे रहे हैं। ऐसे भट्टों पर पर्यावरण मानकों का पालन नहीं किया जा रहा है और प्रदूषण फैलने से आम जनजीवन भी प्रभावित हो रहा है।
अवैध भट्टों की शिकायतें मिलने के बाद शासन ने इस मामले को संज्ञान में लिया है। जिलाधिकारी कार्यालय से रिपोर्ट तलब करते हुए ऐसे सभी भट्टों के खिलाफ कठोर कार्रवाई के निर्देश दिए गए हैं। साथ ही यह भी स्पष्ट किया गया है कि बिना लाइसेंस और नियमों के विरुद्ध संचालित भट्टों को तत्काल प्रभाव से बंद कराया जाएगा।
कौन-कौन से नियमों का उल्लंघन?
अंतर्राज्यीय प्रवासी श्रमिक अधिनियम, 1979 (The Inter-State Migrant Workmen Act, 1979)
बंधुआ मजदूरी उन्मूलन अधिनियम, 1976 (The Bonded Labour System (Abolition) Act, 1976)
न्यूनतम मजदूरी अधिनियम, 1948 (The Minimum Wages Act, 1948)
पर्यावरण संरक्षण अधिनियम, 1986 (The Environment Protection Act, 1986)
भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार (रोजगार विनियमन और सेवा शर्तें) अधिनियम, 1996 है।
लोगों ने मांग की है कि, अवैध भट्टों के खिलाफ सख्त अभियान चलाया जाए। मजदूरों के अधिकारों की रक्षा के लिए जिला श्रम विभाग द्वारा विशेष निगरानी तंत्र बनाया जाए और दोषी संचालकों के खिलाफ कानूनी कार्यवाही सुनिश्चित की जाए। साथ ही नगर क्षेत्र में नियमों के विरुद्ध संचालित सभी भट्टों को तत्काल बंद कराया जाए, ताकि आम जनता को प्रदूषण और असुरक्षा के खतरे से बचाया जा सके।