फर्रूखाबाद (प्रशांत कटियार)। जिला वन अधिकारी (डीएफओ) प्रत्यूष कटियार ने अपनी मेहनत और लगन से एक ऐसा मुकाम हासिल किया है, जो युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत बन गया है। उन्होंने पहले सीआरपीएफ में असिस्टेंट कमांडेंट, फिर नायब तहसीलदार, और उसके बाद जेल अधीक्षक जैसे प्रतिष्ठित पदों पर काम किया। लेकिन उन्होंने अपनी मंजिल को यहीं तक सीमित नहीं रखा। तीन बड़ी नौकरियां छोड़ने के बाद, उन्होंने इंडियन फॉरेस्ट सर्विस (IFS) में कदम रखा और आज पर्यावरण संरक्षण और राष्ट्र सेवा में जुटे हुए हैं।
प्रत्यूष कटियार का मूल निवास कानपुर देहात की सिकंदरा तहसील के रमऊ गांव में है। उनके पिता उत्तर प्रदेश विधानसभा में चीफ फाइनेंस अधिकारी के पद पर कार्यरत हैं। उनके यशस्वी पिता ने गांव से निकलकर उन्होंने बड़े-बड़े सपने देखे और अपनी मेहनत से उन्हें साकार किया।पिता की प्रेरणा से प्रत्यूष कटियार दिन प्रतिदिन देश सेवा के लिए आगे बढ़ रहे हैं।
सीआरपीएफ में असिस्टेंट कमांडेंट के रूप में सेवा देते हुए उन्होंने खुद को प्रशासनिक सेवाओं में जाने के लिए प्रेरित किया। इसके बाद नायब तहसीलदार और जेल अधीक्षक के रूप में काम करते हुए भी उन्होंने अपनी तैयारी जारी रखी। आखिरकार, उनकी मेहनत रंग लाई और उन्होंने आईएफएस परीक्षा पास कर एक नई उपलब्धि हासिल की।
प्रत्यूष कटियार का कहना है, “अगर इरादे मजबूत हों और मेहनत सच्ची हो, तो कोई भी सपना असंभव नहीं है।” डीएफओ के पद पर रहते हुए भी वह आगे की परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं, ताकि वह देश सेवा में और बड़ी भूमिका निभा सकें।
उनकी कहानी फर्रुखाबाद और आसपास के युवाओं के लिए एक प्रेरणास्त्रोत बन चुकी है। तीन प्रतिष्ठित नौकरियां छोड़कर, एक बेहतर भविष्य के लिए संघर्ष करना असाधारण साहस का काम है।
प्रत्यूष कटियार की लगन और मेहनत न केवल उनके लिए, बल्कि देश के उन सभी युवाओं के लिए एक सीख है जो बड़े सपने देखने और उन्हें साकार करने का हौसला रखते हैं। उनकी यह प्रेरक यात्रा निश्चित रूप से उन्हें नई ऊंचाइयों पर ले जाएगी।