– रिम्स के निदेशक हैं देश के जाने माने न्यूरोसर्जन
रांची।राजेंद्र आयुर्विज्ञान संस्थान (RIMS), रांची के निदेशक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी, प्रोफेसर (डॉ.) राज कुमार ने एक संदेश जारी कर गीता के उपदेशों की प्रासंगिकता पर जोर दिया। उन्होंने गीता के ज्ञान को मानवता के कल्याण और जीवन के उद्देश्यों को समझने के लिए अमूल्य बताया।
डॉ. राज कुमार ने कहा कि गीता का संदेश जीवन में न केवल आध्यात्मिक बल्कि व्यावहारिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है। गीता सिखाती है कि व्यक्ति को अपने कर्म पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए और परिणाम की चिंता से परे होकर अपने दायित्वों का निर्वहन करना चाहिए। उन्होंने “नियत कर्म” के सिद्धांत पर चर्चा करते हुए बताया कि यह सिद्धांत मनुष्य को अपने कार्यों में समर्पित और निष्काम रहने की प्रेरणा देता है।
उन्होंने गीता के श्लोक “कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन” का हवाला देते हुए कहा कि यह श्लोक सिखाता है कि सफलता या असफलता की चिंता किए बिना केवल अपने कर्तव्यों का पालन करना ही श्रेष्ठ है। यह संदेश विशेष रूप से चिकित्सा पेशे से जुड़े लोगों के लिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि उनका कार्य मानवता की सेवा करना है।
डॉ. राज कुमार ने आगे बताया कि गीता हमें जीवन के विभिन्न पहलुओं, जैसे मोह, लोभ, और क्रोध के प्रबंधन की शिक्षा देती है। उन्होंने कहा कि इन तत्वों को नियंत्रित करने से व्यक्ति मानसिक शांति और आत्मिक संतोष प्राप्त कर सकता है।
राजेंद्र आयुर्विज्ञान संस्थान के प्रशासनिक भवन से जारी इस संदेश को छात्रों, शिक्षकों और चिकित्सा पेशेवरों द्वारा सराहा गया है। यह संदेश गीता जयंती के उपलक्ष्य में जारी किया गया, जिसका उद्देश्य गीता के विचारों को समाज में फैलाना और मानवता की सेवा के प्रति प्रेरित करना है।