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Sunday, April 20, 2025

माफिया अनुपम दुबे और उसके परिवार को मिली बड़ी राहत, पुलिस की भूमिका पर सवाल

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यूथ इंडिया संवाददाता
फर्रुखाबाद। शाहजहांपुर जेल में बंद माफिया अनुपम दुबे और उसके परिवार को न्यायिक प्रक्रिया में बड़ी राहत मिली है। हाल ही में सीजेएम कोर्ट ने अनुपम दुबे के छोटे भाई, पूर्व ब्लॉक प्रमुख अमित दुबे उर्फ बब्बन, को जमानत दे दी। इस घटनाक्रम ने पुलिस की भूमिका और मामले की पैरवी पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
सूत्रों के अनुसार, पुलिस विभाग के पैरवीकार सिपाही कुलदीप, जो पांचालघाट चौकी पर तैनात है और माफिया सेल की जिम्मेदारी संभाल रहा है, ने पैरवी ढीली कर आला अधिकारियों को मामले की सही जानकारी नहीं दी। इससे पुलिस की पैरवी कमजोर पड़ गई, और सीजेएम कोर्ट से जमानत मिल गई।
मामले की गंभीरता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि एडीजी ,डीआईजी स्तर के अधिकारी भी जमानत के घटनाक्रम से बेखबर थे। जनपद पुलिस की इस लापरवाही ने माफिया परिवार के समर्थकों के उत्साह को और बढ़ा दिया है।
माफिया अनुपम दुबे के समर्थक अब उसके जल्द जेल से बाहर आने की संभावना जता रहे हैं। सूत्रों का कहना है कि जनपद पुलिस की ढील और पैरवी की कमजोरियों के कारण माफिया परिवार को बड़ी राहत मिल रही है। पुलिस विभाग में सिपाही कुलदीप इन दिनों चर्चा का केंद्र बना हुआ है। माफिया मामलों की जांच और पैरवी की जिम्मेदारी संभालने के बावजूद उनकी भूमिका संदिग्ध मानी जा रही है। आला अधिकारियों के बीच इस बात पर गहरा असंतोष है कि सिपाही ने सभी जरूरी जानकारियां दबाकर रखीं, जिससे अदालत में पैरवी कमजोर हुई। अनुपम दुबे और उसके परिवार से जुड़े मामलों में जनपद पुलिस बार-बार बैकफुट पर नजर आ रही है। कमजोर जांच और लापरवाही के चलते न केवल माफिया के खिलाफ कार्रवाई कमजोर हुई है, बल्कि जनता के बीच पुलिस की साख पर भी बुरा असर पड़ा है। यह देखना दिलचस्प होगा कि पुलिस अब इस मामले को कैसे संभालती है। आला अधिकारियों को मामले की पुन: समीक्षा कर दोषियों पर कार्रवाई करनी चाहिए। वहीं, माफिया के बढ़ते हौसलों को काबू में लाने के लिए कड़ी कार्रवाई की आवश्यकता है। अनुपम दुबे और उसके परिवार को मिली राहत ने यह स्पष्ट कर दिया है कि सिस्टम में कहीं न कहीं गंभीर खामियां हैं। पुलिस विभाग की कमजोर पैरवी और लापरवाही के चलते माफिया और उनके सहयोगियों को न्यायिक प्रक्रिया में फायदा हो रहा है। अगर यही हाल रहा तो यह जनपद कानून-व्यवस्था के लिए गंभीर चुनौती बन सकता है।

पूर्व पुलिस अधीक्षक अशोक कुमार मीणा और विकास कुमार की मेहनत पर फिरा पानी
फर्रुखाबाद। जिले के पूर्व पुलिस अधीक्षक अशोक कुमार मीणा और वर्तमान समय में किसी अन्य जिले में तैनात विकास कुमार ने माफिया और अपराधियों पर लगाम कसने के लिए बड़ी मेहनत की थी। उन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान सख्त कार्रवाई करते हुए जिले में अपराधियों के खिलाफ कई महत्वपूर्ण कदम उठाए थे। लेकिन हाल ही में माफिया अनुपम दुबे और उसके परिवार को मिली न्यायिक राहत ने इन अधिकारियों की मेहनत पर पानी फेर दिया है। अशोक कुमार मीणा और विकास कुमार के कार्यकाल में जिले में अपराधियों के खिलाफ कई सख्त अभियान चलाए गए थे। माफिया अनुपम दुबे और उसके सहयोगियों पर कड़ी कार्रवाई की गई।अवैध खनन, कब्जा, और संगठित अपराध पर रोक लगाने के लिए ठोस कदम उठाए गए। फर्रुखाबाद में इन अधिकारियों के प्रयासों से अपराध दर में कमी आई थी और कानून व्यवस्था में सुधार हुआ था। हाल ही में माफिया अनुपम दुबे के मामले में पुलिस की कमजोर पैरवी और प्रशासनिक लापरवाही ने इन अधिकारियों की मेहनत को व्यर्थ कर दिया। न्यायालय में माफिया के खिलाफ मजबूत पैरवी न होने के कारण उन्हें जमानत मिल गई। पुलिस के पैरवीकार सिपाही कुलदीप ने मामलों की पूरी जानकारी अधिकारियों तक नहीं पहुंचाई, जिससे न्यायालय में माफिया को राहत मिल गई। माफिया अनुपम दुबे और उनके परिवार के खिलाफ दर्ज मामलों में अब तक सख्त कार्रवाई न होने से यह स्पष्ट हो गया है कि पुलिस प्रशासन बैकफुट पर है। माफिया की इस राहत से जनता में आक्रोश है और प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवाल उठ रहे हैं। अशोक कुमार मीणा और विकास कुमार द्वारा अपराधियों के खिलाफ किए गए प्रयासों को कमजोर पुलिसिया कार्यवाही ने निष्फल बना दिया है। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि पुलिस और प्रशासन ने सख्त और सक्रिय भूमिका निभाई होती, तो माफिया को इस तरह की राहत नहीं मिलती। पूर्व अधिकारियों की मेहनत और उनके द्वारा बनाई गई कानून व्यवस्था को बनाए रखने के लिए वर्तमान प्रशासन को सक्रियता दिखानी होगी। पूर्व पुलिस अधीक्षक अशोक कुमार मीणा और विकास कुमार ने अपने कार्यकाल के दौरान माफिया और अपराधियों के खिलाफ जो लड़ाई शुरू की थी, वह प्रशासनिक लापरवाही के चलते कमजोर हो गई है। ऐसे में यह आवश्यक है कि पुलिस विभाग अपनी कमजोरियों को पहचानकर अपराधियों के खिलाफ सख्त कदम उठाए। जनता को विश्वास है कि प्रशासन इस स्थिति को संभालेगा और कानून व्यवस्था को बहाल करेगा।

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