नई दिल्ली – सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ (CJI DY Chandrachud) ने अपने कार्यकाल के अंतिम फैसले में ‘बुलडोजर न्याय’ की आलोचना करते हुए इसे अस्वीकार्य बताया। उन्होंने कहा कि कानून के शासन के तहत इस तरह की कार्यवाही किसी भी सूरत में स्वीकार्य नहीं है और इसे अपनाने से संविधान के अनुच्छेद 300ए के तहत संपत्ति के अधिकार की संवैधानिक मान्यता निष्फल हो सकती है।
सीजेआई (CJI DY Chandrachud) ने कहा, “बुलडोजर के जरिए न्याय करना किसी भी सभ्य समाज के न्यायशास्त्र का हिस्सा नहीं हो सकता। अगर राज्य के किसी भी अंग या अधिकारी को गैरकानूनी कार्यवाही की अनुमति दी गई, तो नागरिकों की संपत्तियों को मनमाने तरीके से नष्ट करने का खतरा रहेगा।” उन्होंने यह भी जोड़ा कि संपत्तियों को नष्ट करके नागरिकों की आवाज को दबाया नहीं जा सकता।
सीजेआई चंद्रचूड़ (CJI DY Chandrachud) ने निर्देश दिया कि अवैध निर्माण हटाने से पहले राज्य को उचित कानूनी प्रक्रिया अपनानी चाहिए। साथ ही, उन्होंने ऐसे अधिकारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई का सुझाव दिया जो गैरकानूनी कार्यवाही करते हैं या इसका समर्थन करते हैं।
इसके तहत सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश के महाराजगंज जिले में 2019 में एक घर ध्वस्त करने के मामले में राज्य सरकार को 25 लाख रुपये का मुआवजा देने का आदेश दिया।
सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ का कार्यकाल आज 10 नवंबर को समाप्त हो रहा है। अपने कार्यकाल में उन्होंने सार्वजनिक स्वतंत्रता, संवैधानिक व्याख्याओं और मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़े मामलों को प्राथमिकता दी।