22.9 C
Lucknow
Saturday, December 14, 2024

बैंकिंग नियमों की अनदेखी: होम लोन पर पहले ही ब्याज वसूली

Must read

यूथ इंडिया, एजेंसी। होम लोन प्राप्त करने वालों के लिए एक आम समस्या सामने आ रही है, जहां बैंक, एनबीएफसी, और अन्य वित्तीय संस्थान होम लोन की राशि को ट्रांसफर करने से पहले ही ब्याज वसूलना शुरू कर देते हैं। यह प्रथा न केवल आरबीआई की गाइडलाइंस का उल्लंघन है, बल्कि ग्राहकों के साथ एक प्रकार की धोखाधड़ी भी है।

मामले की पड़ताल

मामला नंबर 1: आयुष चौधरी, गुरुग्राम

आयुष चौधरी, जो पेशे से इंजीनियर हैं, ने अपने परिवार के लिए एक 3 बीएचके फ्लैट खरीदने के लिए लोन लिया। सैंक्शन लेटर मिलने के बाद भी लोन की राशि बिल्डर के खाते में नहीं पहुँची थी, फिर भी उनके खाते से 1.2 लाख की EMI कटने का संदेश आ गया। बैंक ने तकनीकी रूप से इसे डिस्बर्सल के रूप में गिना और ब्याज वसूली शुरू कर दी।

मामला नंबर 2: विजयिता सिंह, भोपाल

विजयिता सिंह ने 22.5 लाख रुपए का लोन मंजूर कराया, लेकिन रजिस्ट्री से पहले ही बैंक ने डिस्बर्सल दिखा दिया और 13,370 रुपए का ब्याज वसूलना शुरू कर दिया। पूछताछ पर बैंक ने बताया कि चेक बन गया है, इसलिए ब्याज देना होगा।

नियम और वास्तविकता

आरबीआई के नियम

  • फंड ट्रांसफर के बाद ही ब्याज वसूली: लोन की राशि ट्रांसफर होने के बाद ही ब्याज लिया जाना चाहिए।
  • पूरा माह का ब्याज नहीं: लोन माह के किसी भी दिन आवंटित हो, केवल शेष दिनों का ब्याज लिया जाना चाहिए।
  • अतिरिक्त EMI की गणना: अतिरिक्त ली गई EMI को पूरी लोन राशि से घटाकर ही ब्याज वसूलना चाहिए।

वास्तविकता

  • कई बैंक लोन की राशि ट्रांसफर से पहले ही पूरा माह का ब्याज वसूल लेते हैं।
  • लोन की एक अतिरिक्त EMI लेने के बाद भी ब्याज की गणना पूरी लोन राशि पर ही की जाती है।

ग्राहकों के लिए सलाह

भास्कर एक्सपर्ट की राय

आदिल शेट्टी, सीईओ, बैंक बाजार के अनुसार, यदि बैंक लोन राशि के ट्रांसफर से पहले ब्याज वसूलते हैं तो ग्राहक को तुरंत बैंक से राशि लौटाने के लिए कहना चाहिए। यदि बैंक नहीं मानते, तो बैंकिंग लोकपाल में शिकायत दर्ज कराई जा सकती है।

बैंकिंग अधिकारियों की राय

पीयूष गुप्ता, एजीएम (पीआर), बैंक ऑफ बड़ौदा, मुंबई ने कहा कि जब तक लोन की राशि बिल्डर के खाते में न पहुंचे, ब्याज वसूलना गलत है। ऐसे मामलों में उचित कार्रवाई की जाएगी।

निष्कर्ष

बैंकों का तर्क है कि चेक नंबर या ट्रांजेक्शन कोड रजिस्ट्री में आवश्यक होता है, लेकिन जानकारों का मानना है कि यह तर्क सही नहीं है। बैंक रियल टाइम पर कोड जनरेट कर सकते हैं और डॉक्यूमेंटेशन पूरा होने के बाद ही ब्याज वसूलना शुरू कर सकते हैं। ग्राहकों को अपने अधिकारों के प्रति सजग रहना चाहिए और ऐसे मामलों में बैंकिंग लोकपाल का सहारा लेना चाहिए।

More articles

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Latest article