श्रावस्ती। आज़ादी के 77 साल बीत जाने के बाद भी जमुनहा क्षेत्र के बलिदानपुरवा गांव में अब तक बिजली नहीं पहुंच सकी है। यह गांव हरदत्त नगर गिरंट ग्राम पंचायत के अंतर्गत आता है, जहां 56 मजरे हैं, लेकिन उनमें से केवल बलिदानपुरवा ही ऐसा मजरा है, जो आज भी अंधेरे में जीने को मजबूर है।
गांव में रहने वाले लोग कई वर्षों से बिजली की सुविधा की मांग कर रहे हैं, लेकिन हर बार केवल आश्वासन ही मिला। ग्रामीणों की कई पीढ़ियां बिजली के इंतजार में बूढ़ी हो गईं, लेकिन आज तक उनके घरों में रोशनी नहीं पहुंच पाई।
गांव में रहने वाले रामनरेश (65 वर्ष) बताते हैं,
“हमने अपने बुजुर्गों से सुना था कि आजादी के बाद सबके घरों में रोशनी आएगी, लेकिन हमारी जिंदगी दिये की रोशनी में ही कट गई। प्रशासन से कई बार गुहार लगाई, लेकिन हर बार सिर्फ कागजी कार्रवाई तक ही सीमित रह गया।”
बिजली न होने के कारण रात के समय जंगली जानवरों का खतरा बना रहता है। अंधेरे में रहने के कारण कई बार गांव में दुर्घटनाएं भी हो चुकी हैं। मोबाइल चार्ज करने से लेकर अन्य दैनिक जरूरतों के लिए ग्रामीणों को दूसरे गांवों पर निर्भर रहना पड़ता है।
ग्रामीणों ने कई बार प्रशासन और जनप्रतिनिधियों से बिजली की मांग की, लेकिन हर बार सिर्फ उम्मीदों का झुनझुना ही मिला। गांव के लोगों का कहना है कि सरकार द्वारा चलाई जा रही सौभाग्य योजना और विद्युतीकरण योजनाओं के बावजूद बलिदानपुरवा गांव आज भी अंधेरे में डूबा हुआ है।
बलिदानपुरवा के लोग आज भी इस उम्मीद में हैं कि एक दिन उनके घरों में भी बल्ब जलेंगे और वे अंधेरे से बाहर निकल सकेंगे। अब देखना यह होगा कि प्रशासन कब इस गांव की सुध लेता है और कब यहां बिजली पहुंचती है।