बिल्हौर (कानपुर): महान स्वतंत्रता सेनानी और शहीद-ए-आज़म भगत सिंह के साथ कंधे से कंधा मिलाकर ब्रिटिश हुकूमत से लोहा लेने वाले डॉ. गया प्रसाद कटियार (Dr. Gaya Prasad Katiyar) की जयंती के अवसर पर उनके पैतृक गांव खजुरी खुर्द (Village Khajuri Khurd) में श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में समाजवादी पार्टी (SP) की विधानसभा प्रत्याशी रचना सिंह समेत क्षेत्र के सैकड़ों लोगों ने उनकी प्रतिमा पर माल्यार्पण कर श्रद्धा सुमन अर्पित किए।
इस मौके पर समाजवादी पार्टी के बिल्हौर ब्लॉक अध्यक्ष आशीष कटियार, रोहित कटियार, बीबीसी डॉ. देवेश कटियार, अंशुमान यादव, राहुल यादव, रजनीश कटियार, लोकेश अवस्थी, धर्मेंद्र कमल (प्रधान, दलेलपुर), सुदीप कटियार, रामू कटियार, गोपाली कटियार, जतिन कटियार, प्रतीक कटियार सहित बड़ी संख्या में ग्रामीण मौजूद रहे। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए समाजवादी पार्टी के प्रदेश सचिव अनिल कटियार ने कहा कि,
“देश की आज़ादी में हमारे परिवार का योगदान 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम से ही रहा है। उस समय महादीन ने खजुरी खुर्द में स्वतंत्रता का बिगुल फूंका था। उन्हीं की परंपरा को आगे बढ़ाते हुए डॉ. गया प्रसाद कटियार ने स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और भगत सिंह के साथ कंधे से कंधा मिलाकर क्रांतिकारी गतिविधियों में भाग लिया।”
उन्होंने बताया कि डॉ. कटियार जलालाबाद में दवाखाना चलाते थे और वहीं से उन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ क्रांति की रणनीति तैयार की। जब ब्रिटिश सरकार ने उन पर शिकंजा कसा तो उन्होंने भेष बदलकर सहारनपुर में दवाखाना खोला और वहीं से बम बनाने का कार्य भी किया, जिसके चलते उन्हें अंडमान-निकोबार की कुख्यात सेलुलर जेल में कालापानी की सजा भुगतनी पड़ी।
अनिल कटियार ने इस बात पर दुख जताया कि
“जिस महान स्वतंत्रता सेनानी ने देश को आज़ाद कराने में अपना सब कुछ न्यौछावर कर दिया, उनका इतिहास आज भी स्थानीय बुद्धिजीवियों और प्रशासन की उपेक्षा का शिकार है। यह अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है। हमें उनके योगदान को सामने लाना होगा और नई पीढ़ी को उनके बलिदान से अवगत कराना होगा।”
सभा के अंत में उपस्थित लोगों ने डॉ. गया प्रसाद कटियार अमर रहें के नारों के साथ उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की और उनके विचारों को आगे बढ़ाने का संकल्प लिया। कार्यक्रम में समाजवादी पार्टी के कई पदाधिकारियों की मौजूदगी रही।
प्रदेश सचिव ने उनके पारिवारिक योगदान को भी रेखांकित किया। इतिहास से उपेक्षित रहे इस महान क्रांतिकारी को मान्यता दिलाने की मांग उठी।