यूथ इंडिया संवाददाता
फर्रुखाबाद। पंडाबाग के सत्संग भवन में चल रहे मानस विचार सम्मेलन के तीसरे दिन विद्वानों ने रावण और राम के प्रतीकों के माध्यम से समाज में मौजूद बुराइयों पर प्रकाश डाला। इस अवसर पर मानस विद्वान अरुण गोस्वामी और पीला राम शर्मा ने बताया कि भले ही भगवान श्रीराम ने रावण का वध किया हो, परंतु रावणत्व आज भी लोगों में जीवित है।
अरुण गोस्वामी ने कहा, काम, क्रोध, मद, लोभ, और मोह जब तक मनुष्यों के अंदर हैं, तब तक रावण का वास्तविक अंत नहीं हो सकता। उन्होंने तुलसीदास और कबीर के धर्म की परिभाषा को उजागर करते हुए कहा कि धर्म की सच्ची विजय वहीं होती है जहां आत्मिक संतुलन और नैतिकता हो।
पीला राम शर्मा ने छत्तीसगढ़ की परंपरा का उल्लेख करते हुए कहा कि वहां श्रीराम को भांजा मानते हैं क्योंकि उनकी माता कौशल्या छत्तीसगढ़ की थीं। उन्होंने रामचरित्र मानस की महिला पात्रों पर चर्चा करते हुए कौशल्या के वात्सल्य और ताडक़ा एवं सूपर्णखा के राक्षसी गुणों का जिक्र किया।
इस मौके पर अन्य विद्वानों, जैसे महेश चंद्र मिश्र और किरण भारती ने भी अपने विचार रखे। तबले पर नंदकिशोर पाठक ने संगत दी, और कार्यक्रम का संचालन पंडित रामेंद्र मिश्रा ने किया। सम्मेलन में शामिल सैकड़ों श्रोताओं में मुन्ना लाल मिश्रा, अश्वनि मिश्रा, सदानंद शुक्ला, अशोक रस्तोगी, सुरजीत पाठक, और विजय लक्ष्मी पाठक जैसी प्रमुख हस्तियां भी उपस्थित थीं।