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Wednesday, July 16, 2025

कोई व्यक्ति सर्वोपरि नहीं, समाज सर्वोपरि: कृपाशंकर सिंह

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– भव्य आयोजन की तैयारी: 22 जून को लखनऊ में क्षत्रिय महासभा का विराट शक्ति प्रदर्शन
– मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ से मिले वीरेंद्र सिंह राठौर, दिया आमंत्रण

लखनऊ। अखिल भारतीय क्षत्रिय महासभा के संरक्षक एवं महाराष्ट्र के पूर्व गृह राज्य मंत्री कृपाशंकर सिंह ने लखनऊ प्रवास के दौरान आगामी 22 जून को आयोजित हो रहे महासभा कार्यक्रम को लेकर तैयारियों की समीक्षा की और “राजधर्म और समाज धर्म” पर जोर देते हुए कहा —

 “बुरी शक्तियां यदि प्रेम से समझ जातीं, तो रामायण और महाभारत जैसे युद्ध कभी न होते।”

उन्होंने संगठन के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष ठाकुर वीरेंद्र सिंह के साथ मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सहित कई दिग्गजों को आमंत्रित करते हुए कार्यक्रम को “संगठन की शक्ति और समाज का आइना” बताया। कार्यक्रम प्रभारी व राष्ट्रीय उपाध्यक्ष वीरेंद्र सिंह राठौड़ के अनुसार यह आयोजन संगठन के कार्य, सक्रियता और पारदर्शिता का लेखाजोखा भी होगा, जो “कितना किसमें दम” के रूप में समाज के समक्ष आएगा।

वीवीआईपी गेस्ट हाउस नैमिषारण्य में कृपाशंकर सिंह ने वरिष्ठ राष्ट्रीय महामंत्री राघवेंद्र सिंह राजू से लंबी बैठक की, जिसमें उन्होंने संगठन की कार्यशैली, नेतृत्व और पदाधिकारियों की सक्रियता पर विमर्श किया। उन्होंने कहा —

“हरिवंश–राघवेंद्र की जोड़ी संगठन में जमीन से लड़ रही है, लेकिन दुखद है कि अपनों से ही संघर्ष करना पड़ रहा है। सब चाहते हैं बड़ा पद, पर काम में कितने लोग ईमानदारी से लगे हैं, आत्ममंथन जरूरी है।”

राघवेंद्र सिंह राजू ने कहा —

“आजादी के बाद राजपूत भी अन्य जातियों की तरह एक सामान्य जाति हो गए। हमने सोचा कि हम सनातन धर्म के रक्षक हैं, पर उसी भ्रम में पीछे रह गए। आज हमें 13% संख्या के बावजूद शासन से दूर किया जा रहा है।”

उन्होंने आगे कहा —

“हमें संगठित होकर अधिकार मांगने होंगे। संगठन किसी की जागीर नहीं, काम करने वालों का सम्मान और निष्क्रियता पर फेरबदल निश्चित है।”

इसके पहले हुई बैठक में ओमप्रकाश सिंह (जौनपुर), रणविजय सिंह परिहार, लालू सिंह, अनिल सिंह राठौड़, अमरेंद्र सिंह परमार, दुर्गेश सिंह सेंगर, विकास भदौरिया, वीरपाल भदौरिया सहित कई जिलों से आए पदाधिकारियों ने अपने विचार रखे। गोपालगंज बिहार से आए जिला अध्यक्ष के इलाज हेतु प्रदेश संरक्षक विनोद सिंह को सहयोग की जिम्मेदारी दी गई।

22 जून का यह आयोजन सिर्फ शक्ति प्रदर्शन नहीं, बल्कि आत्मसमीक्षा का दर्पण भी होगा —

“संगठन में वही प्रतिष्ठा पाएगा जिसकी निष्ठा होगी।”

समाज, संस्कृति, संगठन और स्वाभिमान की रक्षा हेतु क्षत्रिय समाज एकजुट हो — यही समय की पुकार है।

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