फर्रुखाबाद: जनपद में शिक्षा (education) के नाम पर चल रहे फर्जीवाड़े और भ्रष्टाचार का एक बड़ा मामला फिर सामने आया है। पत्रकार शरद कटियार ने जिलाधिकारी (District Magistrate) आशुतोष कुमार द्विवेदी (IAS) को दिए अपने विस्तृत प्रार्थना पत्र में गंभीर आरोप लगाए हैं कि नवाबगंज क्षेत्र में स्थित एस.के.एम. इंटर कॉलेज और कृष्णा पब्लिक स्कूल की मान्यता जालसाजी और धोखाधड़ी से प्राप्त की गई है।
प्रबंधक अवधेश कुमार मिश्रा, जो स्वयं वकील हैं और कई विवादित मामलों में चर्चित रहे हैं, ने एक ही भवन और भूमि पर इंटरमीडिएट और प्राइमरी दोनों की मान्यता प्राप्त कर ली। इतना ही नहीं, उन्होंने अपनी पत्नी रीता मिश्रा पाठक को विद्यालय की कोषाध्यक्ष और साथ ही प्रधानाचार्य के पद पर नियुक्त कर शासनादेशों की खुली धज्जियां उड़ाईं।
पत्र के अनुसार, जिलाधिकारी के आदेश पर उप जिलाधिकारी कायमगंज, जिला विद्यालय निरीक्षक (DIOS) डॉ. आदर्श कुमार त्रिपाठी, और जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी (BSA) लालजी यादव की त्रिस्तरीय जांच समिति गठित की गई थी।
दिनांक 11 नवंबर 2020 की रिपोर्ट में यह स्पष्ट पाया गया कि एक ही व्यक्ति — रीता मिश्रा पाठक — को दो अलग-अलग नामों से दो पदों पर नियुक्त किया गया है। साथ ही, विद्यालयों की मान्यता एक ही भवन और भूमि (गाटा संख्या 194 एवं 195) पर प्राप्त की गई, जो शिक्षा विभाग के नियमों का सीधा उल्लंघन है।
तत्कालीन जिलाधिकारी मानवेन्द्र सिंह ने 1 दिसंबर 2020 को शासन को पत्र भेजकर इन विद्यालयों की मान्यता प्रत्याहरण (रद्द) करने की संस्तुति की थी। डीआईओएस की आख्या में भी उल्लेख था कि प्रबंधक अवधेश मिश्रा ने कोषाध्यक्ष और प्रधानाचार्य के रूप में अपनी पत्नी को नियुक्त कर शिक्षा अधिनियम की धारा 16(छ) का उल्लंघन किया है, जिसमें निकट संबंधियों को प्रबंध समिति में शामिल करने की अनुमति नहीं है।
प्रार्थना पत्र में उल्लेख है कि जब जिला विद्यालय निरीक्षक डॉ. आदर्श त्रिपाठी ने रिपोर्ट प्रस्तुत की, तो प्रबंधक अवधेश मिश्रा ने उनके विरुद्ध छेड़छाड़ का झूठा आरोप लगवा दिया जिससे अधिकारी भयभीत हो गए। हालांकि जिलाधिकारी ने स्वयं एफआईआर दर्ज कराने के निर्देश दिए, लेकिन डीआईओएस ने कार्रवाई नहीं की।
जमीन पर अवैध कब्जा और चारागाह की भूमि का दोहन
उन्होंने आरोप लगाया है कि अवधेश मिश्रा ने अपनी संस्था कृष्णा शिक्षा प्रचार प्रसार समिति के नाम से चारागाह एवं सरकारी भूमि पर भी कब्जा कर लिया है और उसी पर कृष्णा पब्लिक स्कूल व एस.के.एम. महिला डिग्री कॉलेज का निर्माण कराया है। पत्र में गंभीर आरोप लगाए गए हैं कि डीआईओएस कार्यालय के बाबू राजीव यादव और लिपिक राजेश अग्निहोत्री इस पूरे खेल में साझेदार हैं।उनके अनुसार, इन कर्मचारियों ने अवधेश मिश्रा से आर्थिक लाभ लेकर अवैध मान्यताएं दिलाने और फाइलों को दबाने का काम किया है।
इसके बाद जब मामले की सुनवाई माननीय उच्च न्यायालय में हुई, तो अदालत ने जिलाधिकारी की जांच रिपोर्ट को संवैधानिक करार दिया और कार्रवाई जारी रखने के निर्देश दिए। फिर भी, डीआईओएस नरेंद्र पाल सिंह ने जिलाधिकारी की पुरानी रिपोर्ट दबाकर अपनी नई रिपोर्ट बनाकर निदेशक माध्यमिक शिक्षा को भेजी और उन्हें भ्रमित कर दिया, जिससे मान्यता निरस्तीकरण की कार्रवाई रुक गई।
शरद कटियार ने अपने पत्र में मांग की है कि: प्रबंधक अवधेश कुमार मिश्रा, प्रधानाचार्य रीता मिश्रा पाठक और संबंधित विभागीय अधिकारियों के विरुद्ध संबंधित थाने में मुकदमा दर्ज कराया जाए। पूर्व में की गई त्रिस्तरीय जांच रिपोर्ट को आधार बनाकर मान्यता रद्द करने की कार्रवाई दोबारा प्रारंभ की जाए।डीआईओएस कार्यालय के बाबुओं के विरुद्ध विभागीय जांच कर कठोर दंड दिया जाए।