यूथ इंडिया संवाददाता
फर्रुखाबाद। गौशालाओं की स्थिति इस समय अत्यंत दयनीय हो गई है, जबकि सरकार प्रत्येक महीने गौवंश की देखभाल के लिए 50 लाख रुपये के करीब खर्च कर रही है। जिले की लगभग 30 गौशालाओं में कोई देखने-सुनने वाला नहीं है, और जिम्मेदार अधिकारी जानबूझ कर इस ओर ध्यान नहीं दे रहे हैं। यह स्थिति सरकार की जनता के बीच किरकिरी का कारण बन रही है।
तत्कालीन जिलाधिकारी मानवेंद्र सिंह के कार्यकाल में, फर्रुखाबाद की गौशालाओं के सौंदर्यीकरण की मुहिम छेड़ी गई थी। यह मुहिम मुख्यमंत्री को अत्यधिक पसंद आई थी, और उन्होंने फर्रुखाबाद की गौशालाओं को मॉडल मानकर पूरे प्रदेश में वहां जैसी खुबसूरत व्यवस्था लागू करने के निर्देश दिए थे। उस समय, गौशालाओं में बेहतर सुविधाएं उपलब्ध कराई गई थीं, जिनमें स्वच्छता, हरे चारे की नियमित आपूर्ति, और पानी की समुचित व्यवस्था शामिल थी।
लेकिन वर्तमान में, इन गौशालाओं की स्थिति पुन: बदहाल हो गई है। आंकड़ों के अनुसार, सरकार प्रत्येक महीने गौवंश की देखभाल के लिए 50 लाख रुपये के करीब खर्च करती है, फिर भी जमीनी स्तर पर स्थिति जस की तस है। कई गौशालाओं में चारे और पानी की उचित व्यवस्था नहीं है, और वहां रह रहे गौवंश की स्थिति दयनीय है।
स्थानीय लोगों का आरोप है कि जिम्मेदार अधिकारी जानबूझ कर गौशालाओं की अनदेखी कर रहे हैं, जिससे सरकार की साख पर बट्टा लग रहा है। कई गौशालाओं में काम करने वाले कर्मचारियों ने बताया कि उन्हें वेतन समय पर नहीं मिलता, और न ही गौवंश की देखभाल के लिए आवश्यक संसाधन मुहैया कराए जाते हैं। आंकड़ों के अनुसार, फर्रुखाबाद की 30 गौशालाओं में लगभग 10000 से अधिक गौवंश का पालन-पोषण किया जा रहा है। लेकिन जमीनी हकीकत इससे बिल्कुल अलग है। कुछ गौशालाओं में तो बमुश्किल आधे गौवंश ही बचे हैं, और वे भी कुपोषण का शिकार हैं। गौशालाओं में साफ-सफाई की स्थिति भी बेहद खराब है, और बीमार गौवंश के लिए उचित चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध नहीं हैं।
फर्रुखाबाद के स्थानीय लोगों में इस स्थिति को लेकर काफी रोष है। उनका कहना है कि सरकार द्वारा प्रतिमाह 50 लाख रुपये खर्च किए जाने के बावजूद गौशालाओं की स्थिति में सुधार क्यों नहीं हो रहा है। वे मांग कर रहे हैं कि इस मामले की जांच की जाए और जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए।
फर्रुखाबाद की गौशालाओं की यह दयनीय स्थिति एक गंभीर समस्या है, जो सरकार की नीतियों और कार्यान्वयन की विफलता को उजागर करती है। यदि समय रहते इस ओर ध्यान नहीं दिया गया, तो यह न केवल गौवंश के लिए हानिकारक साबित होगा, बल्कि सरकार की साख को भी भारी नुकसान पहुंचा सकता है। अब देखना यह है कि जिम्मेदार अधिकारी और सरकार इस मुद्दे पर क्या कदम उठाते हैं, ताकि गौवंश की सुरक्षा सुनिश्चित हो सके और जनता का भरोसा फिर से कायम हो सके।
इस संबंध में फर्रुखाबाद के डीएम डाक्टर वी के सिंह से बात करने का प्रयास किया गया,तो पता चला वो मीडिया से बात ही नही करते।हालांकि उनकी कार्यशैली तेजतर्रार अफसरों में है,लेकिन गोवंश की ओर उनका ध्यान नगण्य बताया गया।