-विधायक करीबी होने पर उठा सवाल
जहानगंज /फर्रुखाबाद। धार्मिक स्थल से चोरी, फिर पैसे का ट्रांसफर और दबाव के बाद सुलह। यह पूरी घटना एक पंचायत विवाद से कहीं आगे जाकर धार्मिक भावनाओं, राजनीति और कानून व्यवस्था पर सवाल खड़े करती है। कमालगंज क्षेत्र के गंगाइच गांव स्थित ईदगाह से दो रात पूर्व करीब 1 बजे चोरी हुई 19 पट्टियों की गूंज अब पूरे इलाके में सुनी जा रही है — और चौंकाने वाली बात यह है कि आरोप सीधे पूर्व प्रधान और भोजपुर विधायक के करीबी हर्षित कटियार उर्फ हैप्पी ढोलक पर लगे हैं।
जानकारी के अनुसार, गंगाइच की ईदगाह में हाल ही में साफ-सफाई और निर्माण के कार्य चल रहे हैं, जिसके लिए वहां जमीन पर बैठने हेतु सीमेंटेड पट्टियां लाई गई थीं। ग्रामीणों के अनुसार, ये पट्टियां सार्वजनिक चंदे और धार्मिक संस्थानों के सहयोग से खरीदी गई थीं।
सुबह जब गांववालों ने ईदगाह से पट्टियां गायब पाईं तो पूरे गांव में हड़कंप मच गया। चर्चा गर्म होने लगी कि नरायनपुर गढ़िया के पूर्व प्रधान हर्षित कटियार उर्फ हैप्पी ढोलक ने रात में ट्रैक्टर से पट्टियां उठवाई हैं। जब लोगों ने पुलिस में शिकायत करने की बात कही, तो शुरुआत में हैप्पी ने सिर्फ दो पट्टियां उठाने की बात स्वीकार की, लेकिन जैसे-जैसे विरोध बढ़ा, पूरा कबूलनामा सामने आया।
जैसे ही मामला तूल पकड़ने लगा और ग्रामीण विधायक को अवगत कराने के लिए ट्रैक्टर-ट्राली में बैठने लगे, हैप्पी ने ताबड़तोड़ प्रतिक्रिया दी। मौलाना हाफिज रिहान के खाते में 19 पट्टियों की पूरी कीमत हाफिज रिहान के खाते मे ट्रांसफर कर दी। ईदगाह से जुड़े प्रधान पति निसार खान ने पुष्टि की कि पैसे मिल गए हैं और हैप्पी ने अपनी गलती स्वीकार ली है, लेकिन थाने में कोई तहरीर नहीं दी गई।
ईदगाह जैसे धार्मिक स्थल से चोरी कोई मामूली बात नहीं है। सवाल उठता है कि अगर आरोपी आम आदमी होता तो क्या पुलिस इतनी नरमी दिखाती? क्या हैप्पी के खिलाफ कोई कानूनी कार्रवाई होगी या उसके विधायक से करीबी संबंध उसे बचा लेंगे।
घटना के बाद क्षेत्र में आक्रोश है। कुछ ग्रामीणों ने नाराजगी जताते हुए कहा कि यह धार्मिक भावनाओं से खिलवाड़ है और सिर्फ पैसा लौटाने से अपराध खत्म नहीं होता। वहीं कुछ ने कहा कि मामला अब निपट चुका है, पंचायत में सुलह हो गई है।
अब सवाल उठते हैं,क्या ईदगाह से चोरी करना केवल “पैसे से सुलझाया” जा सकता है?
क्या विधायक की नज़दीकी आरोपी को कानूनी कार्रवाई से बचा सकती है?
क्यों नहीं दर्ज हुई प्राथमिकी, जबकि मामला सार्वजनिक संपत्ति और धार्मिक स्थल से जुड़ा है?
यह घटना केवल चोरी की नहीं, बल्कि सामाजिक विश्वास, धार्मिक सम्मान और न्याय प्रक्रिया के साथ समझौते की प्रतीक बन चुकी है। हैप्पी कटियार ने भले ही पैसे लौटा दिए हों, लेकिन सवाल यह है कि क्या अब ईदगाहें भी सुरक्षित नहीं रहीं? क्या “सियासी छाया” में अब धर्मस्थल तक लुटने लगे हैं?