अहमदाबाद। नए साल 2025 पर बुधवार को गुजरात के कच्छ में भूकंप (Earthquake) के झटके महसूस किए गए हैं। भूकंप अनुसंधान संस्थान ने बताया कि बुधवार सुबह गुजरात के कच्छ जिले में 3.2 तीव्रता का भूकंप आया है। जिला प्रशासन ने बताया कि किसी के हताहत होने या संपत्ति को नुकसान पहुंचने की कोई खबर नहीं है। गांधीनगर स्थित ISR के अनुसार, भूकंप सुबह 10.24 बजे दर्ज किया गया, जिसका केंद्र भचाऊ से 23 किलोमीटर उत्तर-उत्तर पूर्व में स्थित था।
पिछले महीने तीन से अधिक तीव्रता के चार भूकंप आए
पिछले महीने इस क्षेत्र में तीन से अधिक तीव्रता की चार भूकंपीय गतिविधियां दर्ज की गईं, जिनमें तीन दिन पहले आया 3.2 तीव्रता का भूकंप भी शामिल है, जिसका केंद्र भी भचाऊ के निकट था। 23 दिसंबर को जिले में 3.7 तीव्रता का भूकंप आया था और सात दिसंबर को 3.2 तीव्रता का भूकंप आया था। पिछले साल 18 नवंबर को कच्छ में चार तीव्रता का भूकंप आया था। इससे पहले 15 नवंबर को उत्तर गुजरात के पाटण में 4.2 तीव्रता का भूकंप आया था।
जानें क्यों आता है भूकंप?
पृथ्वी के अंदर 7 प्लेट्स हैं, जो लगातार घूमती रहती हैं। जहां ये प्लेट्स ज्यादा टकराती हैं, वह जोन फॉल्ट लाइन कहलाता है। बार-बार टकराने से प्लेट्स के कोने मुड़ते हैं। जब ज्यादा दबाव बनता है तो प्लेट्स टूटने लगती हैं। नीचे की ऊर्जा बाहर आने का रास्ता खोजती हैं और डिस्टर्बेंस के बाद भूकंप आता है।
जानें क्या है भूंकप के केंद्र और तीव्रता का मतलब?
भूकंप का केंद्र उस स्थान को कहते हैं जिसके ठीक नीचे प्लेटों में हलचल से भूगर्भीय ऊर्जा निकलती है। इस स्थान पर भूकंप का कंपन ज्यादा होता है। कंपन की आवृत्ति ज्यों-ज्यों दूर होती जाती हैं, इसका प्रभाव कम होता जाता है। फिर भी यदि रिक्टर स्केल पर 7 या इससे अधिक की तीव्रता वाला भूकंप है तो आसपास के 40 किमी के दायरे में झटका तेज होता है। लेकिन यह इस बात पर भी निर्भर करता है कि भूकंपीय आवृत्ति ऊपर की तरफ है या दायरे में। यदि कंपन की आवृत्ति ऊपर को है तो कम क्षेत्र प्रभावित होगा।
कैसे मापा जाता है भूकंप की तीव्रता और मापने क्या है का पैमाना?
भूंकप की जांच रिक्टर स्केल से होती है। इसे रिक्टर मैग्नीट्यूड टेस्ट स्केल कहा जाता है। रिक्टर स्केल पर भूकंप को 1 से 9 तक के आधार पर मापा जाता है। भूकंप को इसके केंद्र यानी एपीसेंटर से मापा जाता है। भूकंप के दौरान धरती के भीतर से जो ऊर्जा निकलती है, उसकी तीव्रता को इससे मापा जाता है। इसी तीव्रता से भूकंप के झटके की भयावहता का अंदाजा होता है।