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Tuesday, March 18, 2025

बागेश्वर धाम में सनातन हिंदू एकता पदयात्रा: महंत ईश्वरदास महाराज सहित लाखों श्रद्धालुओं की सहभागिता

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यूथ इंडिया, बागेश्वर धाम। छतरपुर स्थित बागेश्वर धाम में आयोजित सनातन हिंदू एकता पदयात्रा समाज को एकजुटता और भाईचारे का संदेश देने में सफल रही। इस पदयात्रा में लाखों श्रद्धालु, साधु-संत, और प्रमुख धर्मगुरु शामिल हुए। यात्रा का उद्देश्य जातिगत भेदभाव को समाप्त कर हिंदू समाज को एकजुट करना था।

महंत ईश्वरदास महाराज ने बढ़ाई यात्रा की गरिमा

बागेश्वर धाम के महंत धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री के साथ इस यात्रा में शहर के कादरी गेट क्षेत्र के पांचाल घाट स्थित दुर्वासा ऋषि आश्रम के महंत ईश्वरदास महाराज ने भी भाग लिया। महंत ईश्वरदास महाराज, जिन्हें धीरेन्द्र शास्त्री का करीबी माना जाता है, लगभग 40 कि. मी. साथ पैदल यात्रा की उसके उपरान्त साथ ही जलपान भी किया। महंत ईश्वरदास ने कहा, “इस प्रकार की यात्राएं समाज को मजबूती और एकता का संदेश देती हैं और पूज्य बागेश्वर धाम सरकार के समर्पण का इस यात्रा की सफलता में अहम योगदान है।”

श्रद्धालुओं और संतों का व्यापक समर्थन

इस पदयात्रा में मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, बिहार, महाराष्ट्र, राजस्थान, और यहां तक कि नेपाल जैसे कई स्थानों से श्रद्धालु पहुंचे। यात्रा के मार्ग में साधु-संतों और प्रमुख धार्मिक हस्तियों ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। इनमें संत गोपाल मणि, कथा व्यास संजीव कृष्ण ठाकुर, हनुमान गढ़ी अयोध्या के महंत राजू दास महाराज, और वृंदावन के पुंडरीक गोस्वामी जैसे प्रतिष्ठित नाम शामिल रहे।

यात्रा मार्ग में स्वागत और उल्लास

पदयात्रा बागेश्वर धाम से शुरू होकर ओरछा तक जा रही है। मार्ग में यात्रा का स्वागत फूलों की वर्षा, आरती और सत्कार के साथ किया गया। महिलाएं दीपक जलाकर यात्रा का स्वागत कर रही हैं, जबकि श्रद्धालुओं के चाय-नाश्ते की विशेष व्यवस्था भी की गई। यात्रा में बुंदेली कलाकारों ने अपनी कला का प्रदर्शन किया, जिससे सांस्कृतिक रंग भी जुड़ गया।

समाज को जोड़ने का संदेश

महंत ईश्वरदास महाराज और अन्य संतों ने इस यात्रा को सामाजिक समरसता और आध्यात्मिक एकता का प्रतीक बताया। उन्होंने कहा कि ऐसे आयोजन न केवल धार्मिक विश्वासों को सुदृढ़ करते हैं, बल्कि समाज को सकारात्मक दिशा भी देते हैं।

इस ऐतिहासिक पदयात्रा ने न केवल धार्मिक बल्कि सामाजिक स्तर पर भी गहरी छाप छोड़ी है। यह यात्रा सनातन संस्कृति और एकता का प्रतीक स्वरुप याद की जाएगी।

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