हृदेश कुमार
भारत के पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह (Manmohan Singh) का 92 वर्ष की आयु में निधन हो गया। उन्होंने गुरुवार की रात 9:51 बजे अंतिम सांस ली। दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) ने उनके निधन की पुष्टि की। डॉ. सिंह पिछले कुछ समय से उम्र संबंधी बीमारियों से जूझ रहे थे।
एम्स द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, उन्हें 26 दिसंबर को अचानक बेहोशी की हालत में रात 8:06 बजे अस्पताल लाया गया था। तमाम प्रयासों के बावजूद उन्हें बचाया नहीं जा सका। उनके निधन के बाद देशभर में शोक की लहर दौड़ गई है। राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, और अन्य वरिष्ठ नेताओं ने उनके निधन पर गहरा दुख व्यक्त किया है।
भारत सरकार ने 27 दिसंबर से सात दिनों का राष्ट्रीय शोक घोषित किया है। इस दौरान सभी सरकारी कार्यक्रम रद्द कर दिए गए हैं। डॉ. सिंह का अंतिम संस्कार पूरे राजकीय सम्मान के साथ शनिवार, 28 दिसंबर को किया जाएगा।
डॉ. मनमोहन सिंह का जन्म 28 सितंबर 1932 को पश्चिम पंजाब (अब पाकिस्तान) में हुआ था। वह भारत के पहले सिख प्रधानमंत्री बने और 2004 से 2014 तक लगातार दो बार प्रधानमंत्री पद पर आसीन रहे।
डॉ. सिंह के नेतृत्व में सूचना का अधिकार (आरटीआई) और महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) जैसी ऐतिहासिक योजनाएं लागू की गईं।
भारत की डिजिटल पहचान प्रणाली की नींव डॉ. सिंह के कार्यकाल में रखी गई। उनके कार्यकाल में भारत ने अमेरिका के साथ ऐतिहासिक परमाणु समझौता किया, जिसने भारत की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने में मदद की।
इस योजना ने गरीबी रेखा से नीचे के परिवारों को रियायती दरों पर खाद्यान्न उपलब्ध कराया। उन्होंने,1982-1985 तक भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर के रूप में सेवा दी। 1991-1996 के दौरान वित्त मंत्री रहते हुए उन्होंने भारत को आर्थिक संकट से बाहर निकाला।
डॉ. सिंह ने भारत की अर्थव्यवस्था को उदारीकरण की राह पर अग्रसर किया, जिससे देश में विदेशी निवेश और विकास को बढ़ावा मिला।
डॉ. सिंह को उनके उल्लेखनीय योगदान के लिए पद्मभूषण समेत कई प्रतिष्ठित सम्मानों से नवाजा गया। अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा ने उन्हें “गुरु” की उपाधि दी थी।
डॉ. मनमोहन सिंह एक शांत और विद्वान नेता के रूप में जाने जाते थे। उनका राजनीतिक जीवन ईमानदारी, समर्पण, और दृष्टिकोण का प्रतीक रहा। उनके योगदान भारत के विकास और लोकतांत्रिक मूल्यों को मजबूती प्रदान करने में मील का पत्थर साबित हुए। डॉ. सिंह के निधन से देश ने एक महान नेता और सच्चे जनसेवक को खो दिया है। उनकी विरासत आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणादायक रहेगी।