भारत में महिला सशक्तिकरण के लिए किए जा रहे प्रयासों को नया आयाम देते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 9 दिसंबर 2024 को हरियाणा के पानीपत से ‘बीमा सखी योजना’ (Bima Sakhi Yojana) का शुभारंभ किया। यह योजना न केवल महिलाओं को वित्तीय रूप से आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, बल्कि यह भारत में महिला उद्यमिता और लैंगिक समानता को भी नया प्रोत्साहन देती है। हरियाणा, जो पहले से ही महिला सशक्तिकरण पहलों के लिए जाना जाता है, इस योजना के लॉन्चपैड के रूप में चुना गया, जिससे यह राज्य एक बार फिर राष्ट्रीय विकास में अग्रणी भूमिका निभा रहा है।
बीमा सखी योजना का मुख्य उद्देश्य महिलाओं को बीमा एजेंट के रूप में प्रशिक्षित कर उन्हें आर्थिक स्वतंत्रता प्रदान करना है। इसके माध्यम से महिलाएँ न केवल बीमा उत्पादों को बेचेंगी, बल्कि कमीशन और निश्चित वेतन के रूप में आय अर्जित करके आत्मनिर्भर बनेंगी। यह पहल ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ और ‘नमो दीदी’ जैसे पहले के अभियानों की सफलता के बाद शुरू की गई है। इसका उद्देश्य महिलाओं को औपचारिक वित्तीय प्रणाली का हिस्सा बनाना और उनके बीच वित्तीय जागरूकता फैलाना है।
यह योजना न केवल रोजगार के अवसर पैदा करती है, बल्कि महिलाओं को अपने समुदाय में नेतृत्व की भूमिका निभाने का अवसर भी देती है। खासतौर पर ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों की महिलाओं के लिए यह योजना वरदान साबित होगी, जहाँ आर्थिक अवसर सीमित होते हैं।
पानीपत को इस योजना के लिए चुना जाना महत्त्वपूर्ण है। यह न केवल ऐतिहासिक रूप से लड़ाइयों के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि यहाँ 2015 में ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ अभियान की शुरुआत हुई थी। अब ‘बीमा सखी योजना’ के माध्यम से यह शहर महिला सशक्तिकरण का नया केंद्र बन गया है। हरियाणा, जहाँ पहले लिंगानुपात और महिलाओं की स्थिति के बारे में चिंता व्यक्त की जाती थी, अब महिला-केंद्रित नीतियों के माध्यम से सामाजिक बदलाव का प्रतीक बन गया है।
‘बीमा सखी योजना’ के तहत चुनी गई महिलाएँ भारत की सबसे बड़ी बीमा कंपनी, भारतीय जीवन बीमा निगम (LIC), की एजेंट बनेंगी। उन्हें विशेष प्रशिक्षण दिया जाएगा, जिसके बाद वे अपने समुदाय में बीमा उत्पाद बेचकर आय अर्जित करेंगी। योजना की प्रमुख विशेषताएँ इस प्रकार हैं: महिलाओं को LIC द्वारा प्रशिक्षण प्रदान किया जाएगा, जिसके बाद उन्हें प्रमाण पत्र मिलेगा।पहले वर्ष में ₹7,000, दूसरे वर्ष में ₹6,000 और तीसरे वर्ष में ₹5,000 मासिक वेतन के अलावा, उन्हें बेची गई बीमा पॉलिसियों पर कमीशन भी मिलेगा। कमीशन और अन्य अपडेट की निगरानी के लिए एक डिजिटल प्लेटफॉर्म विकसित किया जाएगा। समय-समय पर महिलाओं के लिए कार्यशालाएँ आयोजित की जाएंगी, ताकि उनके कौशल और ज्ञान को उन्नत किया जा सके।भारत में ग्रामीण महिलाओं को अक्सर आर्थिक स्वतंत्रता के अवसरों से वंचित रहना पड़ता है। इस योजना का लक्ष्य इन बाधाओं को तोड़ना और महिलाओं को उनके समुदाय में एक प्रभावशाली भूमिका निभाने के लिए सक्षम बनाना है। यह पहल न केवल महिलाओं को रोजगार प्रदान करती है, बल्कि उन्हें वित्तीय जागरूकता और सुरक्षा के महत्व को समझने का अवसर भी देती है।
महिलाओं के लिए बीमा एजेंट के रूप में काम करने से न केवल उनकी आर्थिक स्थिति मजबूत होगी, बल्कि वे अपने परिवार और समुदाय में भी प्रेरणा का स्रोत बनेंगी। यह योजना उन महिलाओं के लिए विशेष रूप से फायदेमंद होगी जो कम पढ़ी-लिखी हैं और जिनके पास सीमित संसाधन हैं।
‘बीमा सखी योजना’ महिलाओं को आर्थिक स्वतंत्रता प्रदान करने के साथ-साथ लैंगिक समानता को भी बढ़ावा देती है। भारत सरकार द्वारा पिछले कुछ वर्षों में महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए कई कदम उठाए गए हैं। इनमें से ‘नारी शक्ति वंदन विधेयक’ और महिलाओं को 33% आरक्षण जैसे निर्णय शामिल हैं। यह योजना उन प्रयासों का हिस्सा है जो समाज और अर्थव्यवस्था में महिलाओं की भूमिका को मजबूत करते हैं।
इस योजना की सफलता इसके प्रभावी कार्यान्वयन पर निर्भर करेगी। कुछ प्रमुख चुनौतियाँ जो इस योजना के सामने आ सकती हैं: महिलाओं को दिए जाने वाले प्रशिक्षण की गुणवत्ता और उसके प्रभावी क्रियान्वयन को सुनिश्चित करना आवश्यक होगा।महिलाओं को उनकी सेवाओं के लिए समय पर भुगतान सुनिश्चित करना आवश्यक है, ताकि उनका आत्मविश्वास बना रहा। योजना की सफलता के लिए ग्रामीण महिलाओं के बीच जागरूकता फैलाना महत्त्वपूर्ण होगा।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का महिलाओं के सशक्तिकरण के प्रति गहरा जुड़ाव उनकी नीतियों और पहलों में स्पष्ट दिखाई देता है। ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ से लेकर ‘बीमा सखी योजना’ तक, उनकी प्राथमिकता महिलाओं को समाज और अर्थव्यवस्था का एक अभिन्न हिस्सा बनाना है। यह योजना महिलाओं के अधिकारों और उनकी वित्तीय सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए उठाया गया एक और कदम है।
‘बीमा सखी योजना’ भारत में महिला सशक्तिकरण की दिशा में एक मील का पत्थर साबित हो सकती है। यह योजना महिलाओं को न केवल रोजगार प्रदान करती है, बल्कि उन्हें आत्मनिर्भर बनने और अपने समुदाय में एक प्रभावशाली भूमिका निभाने का अवसर भी देती है। सरकार की यह पहल न केवल लैंगिक समानता की दिशा में एक बड़ा कदम है, बल्कि यह भारत के सामाजिक और आर्थिक विकास में महिलाओं की भागीदारी को भी बढ़ावा देगी। यदि इस योजना को प्रभावी रूप से लागू किया गया, तो यह भारत के ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में महिलाओं की स्थिति को बदलने में सक्षम होगी।