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Monday, April 21, 2025

तेंदुए का आतंक: नूरपुर में 7 घायल, जिलाधिकारी ने दिखाई बहादुरी, कानपुर रेस्क्यू टीम ने किया बेहोश

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– रेस्क्यू टीम ने किया ऑपरेशन सफ़ल

– पूरे दिन दहशत में रहे लोग

– डीएम, एसपी समेत पूरा प्रशासन रहा मुस्तैद

फर्रुखाबाद।थाना मऊ दरवाजा क्षेत्र के नूरपुर गांव में तेंदुए के हमले ने पूरे इलाके में भय और दहशत का माहौल पैदा कर दिया। सोमवार को तेंदुए के हमले में चार ग्रामीण और तीन वन अधिकारी घायल हो गए। रेस्क्यू ऑपरेशन के दौरान कानपुर से आई विशेष टीम ने तेंदुए को बेहोश कर पकड़ लिया। तेंदुए को अब कानपुर चिड़ियाघर भेजा जाएगा।

सोमवार सुबह तेंदुए ने पहली बार गांव के पास हमला किया। उसने 30 वर्षीय युवक, 42 वर्षीय महिला, 6 वर्षीय बच्चे और 35 वर्षीय ग्रामीण को गंभीर रूप से घायल कर दिया। इसके अलावा, रेस्क्यू ऑपरेशन के दौरान तीन वन अधिकारियों पर भी तेंदुए ने हमला किया।जिनमें रामकिशन (30): सिर और पीठ पर चोट।सुमित्रा देवी (42): पैर में गहरा घाव। रवि (6): चेहरे और कंधे पर घाव। विनोद (35): पीठ और हाथ पर खरोंच। रेंजर श्याम सिंह (35): बाएं हाथ में गंभीर चोट। वनपाल अजय यादव (28): पैर में घाव।वनकर्मी रामनिवास (40): कंधे पर चोट।

 

सभी घायलों को जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया है, जहां उनकी हालत स्थिर बताई जा रही है। डीएम एसपी ने मौके पर पहुंच उनके हाल लिए।

तेंदुए को पकड़ने के लिए प्रशासन ने कानपुर से विशेष रेस्क्यू टीम बुलाई। ड्रोन कैमरों और जाल के सहारे पूरे गांव की निगरानी की गई। रेस्क्यू ऑपरेशन में कुल 15 वनकर्मी, पुलिस बल और स्थानीय प्रशासनिक अधिकारी शामिल रहे।

 

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तीन ड्रोन कैमरों से तेंदुए की गतिविधियों पर नजर रखी गई।

गांव के चारों ओर जाल बिछाए गए।

सोमवार दोपहर बाद तेंदुए को बेहोश करने के लिए विशेष ट्रैंक्विलाइजर गन का उपयोग किया गया।और जेसीबी की मदद से उसे उठा पिंजरे में कैद कर लिया ।

उसे कानपुर चिड़ियाघर भेजने की तैयारी है।

तेंदुए के हमले के दौरान जिलाधिकारी डॉ. बी.के. सिंह ने अपनी बहादुरी का परिचय दिया। उन्होंने लोगों को तेंदुए के चंगुल से बचाने के लिए तत्काल कदम उठाए। ग्रामीणों ने उनकी प्रशंसा की और कहा कि जिलाधिकारी की तत्परता ने एक बड़ी त्रासदी को टाल दिया।

घटना के बाद ग्रामीणों में डर और चिंता का माहौल है। खासतौर पर बच्चों और बुजुर्गों की सुरक्षा को लेकर लोग परेशान हैं। प्रशासन ने ग्रामीणों से सतर्क रहने और अनावश्यक रूप से बाहर न निकलने की अपील की है।

वन्यजीव विशेषज्ञों का मानना है कि तेंदुए का मानव बस्ती में आना जंगलों की कमी और भोजन की तलाश का संकेत है। प्रशासन को दीर्घकालिक समाधान पर काम करने की जरूरत है ताकि ऐसी घटनाएं दोबारा न हों।

जिलाधिकारी डॉ. बी.के. सिंह ने कहा, “हमारी प्राथमिकता लोगों की सुरक्षा है। तेंदुए को पकड़ने के लिए हमने हर संभव प्रयास किया। ग्रामीणों को अब चिंता करने की जरूरत नहीं है।”

 

घटना ने वन विभाग और प्रशासन की तत्परता और समन्वय की परीक्षा ली, जिसे उन्होंने सफलता के साथ पूरा किया।

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