– ड्यूटी पर तैनात अस्पताल कर्मी से मारपीट और लूट, घायल अवस्था में भी पुलिस ने नहीं सुनी फरियाद
फर्रुखाबाद | प्रदेश में पारदर्शिता और जनसुनवाई के तमाम दावों के बीच फतेहगढ़ कोतवाली क्षेत्र से पुलिस की असंवेदनशीलता और लापरवाही की एक और तस्वीर सामने आई है। अस्पताल में ड्यूटी कर रहे एक चौकीदार पर रात्रि में अराजक तत्वों ने जानलेवा हमला किया, गाली-गलौज की और लूटपाट कर फरार हो गए। घायल चौकीदार ने जब शिकायत लेकर कोतवाली की चौखट पर दस्तक दी, तो उसे घंटों बैठाकर टरकाया गया।
बरगदिया घाट निवासी शैलेंद्र कुमार, जो एक अस्पताल में चौकीदार के पद पर कार्यरत हैं, ने बताया कि रात की ड्यूटी के दौरान कुछ शराबी बदमाश अस्पताल परिसर में घुस आए। उन्होंने पहले गाली-गलौज की, फिर विरोध करने पर शैलेंद्र को जमकर पीटा। हमलावर उसकी जेब से नगदी, मोबाइल, चैन और घड़ी भी लूट ले गए।
इस घटना में शैलेंद्र के कंधे में गंभीर चोटें आईं, जिससे वह तहरीर तक खुद नहीं लिख सका। घायल अवस्था में वह कोतवाली फतेहगढ़ पहुंचा और पुलिस से न्याय की गुहार लगाने लगा, लेकिन वहां उसे केवल इंतज़ार की लंबी सजा मिली। कई घंटे तक वह पीड़ा से कराहते हुए थाने में बैठा रहा, पर न तो एफआईआर दर्ज हुई, न ही किसी पुलिसकर्मी ने उसकी बात को गंभीरता से लिया।
बाद में उसके सहयोगियों राजेश कुमार, अभय कुमार व श्याम सिंह ने किसी तरह तहरीर लिखकर पुलिस को सौंपी, पर समाचार लिखे जाने तक मामला दर्ज नहीं किया गया था।
स्थानीय लोगों में इस मामले को लेकर जबरदस्त आक्रोश है। लोगों का कहना है कि जब एक सरकारी अस्पताल में ड्यूटी कर रहा कर्मचारी भी सुरक्षित नहीं है और उसकी सुनवाई तक नहीं होती, तो आम आदमी की क्या बिसात? यह मामला अब लोगों में चर्चा का विषय बन गया है कि “क्या यही है योगी सरकार की पारदर्शी पुलिस व्यवस्था?”
एक तरफ मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अपराध और भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस नीति की बात करते हैं, वहीं जमीनी स्तर पर हालात कुछ और ही कहानी बयां कर रहे हैं।
यह मामला न सिर्फ पुलिस की संवेदनहीनता का उदाहरण है, बल्कि यह भी दिखाता है कि कमजोर और गरीब वर्ग की फरियाद कैसे कानून की चौखट पर दम तोड़ रही है। सवाल उठता है — क्या फतेहगढ़ पुलिस चौकीदार शैलेंद्र को न्याय दिलाएगी या उसकी चोटें और तहरीर ठंडी फाइलों में ही दफन कर दी जाएंगी?
सम्पर्क सूत्रों की माने तो यह कोई पहला मामला नहीं है जब कोतवाली फतेहगढ़ में पीड़ित को टालने का रवैया अपनाया गया हो। लेकिन इस बार मामला मीडिया की नजर में आने के बाद पुलिस पर कार्रवाई का दबाव बढ़ गया है।