– पीड़ित ने डीजीपी और एडीजी कानपुर परिक्षेत्र को भेजा शिकायती पत्र
– कायमगंज थाने के करवा चौकी प्रभारी नागेन्द्र सिंह पर गंभीर आरोप
फर्रुखाबाद | थाना कोतवाली कायमगंज क्षेत्र में पुलिस पर एक बार फिर गंभीर आरोप लगे हैं। दर्ज मुकदमे में गवाही देने आए दो गवाहों को कथित रूप से करवा चौकी प्रभारी नागेन्द्र सिंह ने गाली-गलौज करते हुए पीटा और अवैध रूप से हवालात में बंद कर दिया। मामले की शिकायत फर्रुखाबाद निवासी आनन्दी किन्नर ने पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) उत्तर प्रदेश और अपर पुलिस महानिदेशक, कानपुर परिक्षेत्र को प्रेषित की है।
प्राप्त प्रार्थना पत्र के अनुसार, आनन्दी किन्नर मुकदमा अपराध संख्या 117/2025 धारा 191(2)/191(3)/115(2), 352, 131, 109, 361(3) भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) के तहत वादी हैं। इस केस की विवेचना उप-निरीक्षक श्री जगदीश वर्मा द्वारा की जा रही है।
7 जून 2025 को शाम 6 बजे वादी व दो गवाह — संदीप पुत्र अजय कुमार निवासी नगला उमेद तथा मनोज कुमार पुत्र बेचेलाल निवासी आगाजपुर — को बयान के लिए थाने बुलाया गया था। आरोप है कि बयान देने के बाद जब तीनों थाने के गेट से बाहर निकल रहे थे, तभी करवा चौकी प्रभारी उप-निरीक्षक नागेन्द्र सिंह ने दोनों गवाहों को अपशब्द कहते हुए थप्पड़ मारा और लात-घूंसों से पीटकर हवालात में बंद कर दिया।
वादी आनन्दी का आरोप है कि जब उन्होंने इस अवैध कार्रवाई का कारण जानना चाहा तो दरोगा ने अभद्र भाषा में जवाब देते हुए कहा — “यह पुलिस का पावर है, जिसे चाहूं बंद कर सकता हूं।” इसके बाद उन्हें थाने से भगा दिया गया।
शिकायत में यह भी उल्लेख है कि दरोगा नागेन्द्र सिंह द्वारा पीड़ित पक्ष से एक बिचौलिये के माध्यम से रुपये मांगे जा रहे हैं और धमकी दी जा रही है कि यदि रुपये नहीं दिए गए तो दोनों गवाहों को शांति भंग अथवा किसी अन्य फर्जी मामले में जेल भेज दिया जाएगा।
आनन्दी किन्नर ने अपने शिकायती पत्र में मांग की है कि दोनों निर्दोष गवाहों को अविलंब हवालात से रिहा किया जाए और उप-निरीक्षक नागेन्द्र सिंह को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर उसके विरुद्ध विभागीय कार्यवाही की जाए।
इस घटना से पुलिस की कार्यप्रणाली और पारदर्शिता पर एक बार फिर सवाल उठ खड़े हुए हैं। यदि आरोप सत्य पाए गए, तो यह घटना आम जनता के विश्वास को गंभीर रूप से आहत करने वाली होगी।
डीजीपी और एडीजी के स्तर तक पहुँची इस शिकायत के बाद अब देखना होगा कि पुलिस महकमा इस मामले में क्या कदम उठाता है। अगर मामले की निष्पक्ष जांच होती है, तो यह उत्तर प्रदेश पुलिस की कार्यप्रणाली में सुधार की दिशा में अहम कदम हो सकता है।