फर्रुखाबाद। एक ओर सरकार महिला सुरक्षा को लेकर तमाम दावे करती है, वहीं दूसरी ओर जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां कर रही है। जनपद के थाना शमसाबाद क्षेत्र के ग्राम गदनपुर वक्स में गैंगरेप की शिकार एक युवती 14 दिन से न्याय की बाट जोह रही है, लेकिन पुलिस की निष्क्रियता और संवेदनहीनता ने उसकी पीड़ा को और गहरा कर दिया है। न तो अभी तक मेडिकल परीक्षण कराया गया है, न मजिस्ट्रेट के समक्ष बयान दर्ज हुए हैं और न ही आरोपियों की गिरफ्तारी हुई है। ग्राम खकुड़ी, थाना कांट, जनपद शाहजहांपुर की रहने वाली युवती ने गंभीर आरोप लगाते हुए बताया कि 11 मई को गदनपुर वक्स गांव के निवासी संदीप ने उसे अपने घर बुलाया। वहां उसे नशीला पदार्थ खिलाकर बेहोश कर दिया गया। जब होश आया तो उसने खुद को एक बंद कमरे में पाया, जहां संदीप, राहुल और विशाल ने उसे कैद कर लिया।
पीड़िता के अनुसार, संदीप ने उसे बेल्ट से पीटा और बलात्कार किया। इसके बाद राहुल ने जबरन शादी का दबाव बनाया। आरोप है कि राहुल ने उसे धमकी दी कि वह पैसे देकर उसे खरीद चुका है और अब वह उसी के साथ पत्नी बनकर रहेगी। जब युवती ने इसका विरोध किया तो उसे जान से मारने की धमकी दी गई।कई दिन तक बंद कमरे में रहने के बाद एक दिन आरोपियों ने उसे कपड़े दिलाने के बहाने बाहर निकाला। मौका पाकर युवती वहां से भाग निकली और किसी महिला की मदद से थाना मऊदरवाजा पहुंची। पुलिस ने मामले को चाइल्ड हेल्पलाइन 1098 के सुपुर्द किया, जिसके बाद टीम ने गांव की पुष्टि की और युवती को स्टॉप सेंटर भेज दिया।
14 मई को थाना शमसाबाद में ज़ीरो एफआईआर दर्ज की गई, लेकिन उसके बाद से अब तक पुलिस ने कोई ठोस कार्रवाई नहीं की है। पीड़िता का मेडिकल परीक्षण तक नहीं कराया गया है, जो कि बलात्कार जैसे गंभीर अपराध में सबसे जरूरी प्रक्रिया होती है। न ही मजिस्ट्रेट के समक्ष पीड़िता का बयान दर्ज किया गया है।
इस पूरे मामले में जिला प्रोबेशन अधिकारी अनिल चंद्रा ने स्वीकार किया कि उन्होंने शमसाबाद थानाध्यक्ष को निर्देश दे दिया है, लेकिन वह भी मानते हैं कि अब तक कार्रवाई अधूरी है।सरकारी नियमों के मुताबिक किसी पीड़िता को स्टॉप सेंटर में अधिकतम 10 दिन तक ही रखा जा सकता है, लेकिन यह युवती बीते 14 दिन से वहीं है। इससे भी ज़्यादा गंभीर बात यह है कि इतने दिन बीत जाने के बावजूद न तो पीड़िता को न्याय की दिशा में कोई ठोस भरोसा मिला और न ही उसकी रिपोर्ट पर अमल हुआ।गैंगरेप जैसा जघन्य अपराध, पीड़िता के बयान और मेडिकल की अनदेखी, ज़ीरो एफआईआर के बावजूद कोई गिरफ्तारी नहीं, ये सब दर्शाता है कि फर्रुखाबाद पुलिस संवेदनहीनता और लापरवाही की मिसाल बन चुकी है।
दो सप्ताह बीत जाने का बाद मेडिकल रिपोर्ट मे क्या ही निकलेगा यह भी अपने आप मे बड़ा सवाल है। सबसे अहम बात यह कि इस प्रदेश में पीड़ितों को न्याय सिर्फ फाइलों और वादों में ही मिलेगा? अब सवाल ये है कि क्या 14 दिन तक गैंगरेप पीड़िता को न्याय से वंचित रखने वालों पर कोई कार्रवाई होगी? क्या फर्रुखाबाद पुलिस को जवाबदेह बनाया जाएगा?