यूथ इंडिया संवाददाता
फर्रुखाबाद। सडक़ किनारे फास्ट फूड के ठेले पर बिक रही खाद्य सामग्री खासकर पेट के लिए गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं उत्पन्न कर रही हैं। चिकित्सकों के अनुसार, हाल के दिनों में पेट की बीमारियों की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है, जिसमें 12 से 25 साल के युवाओं और बच्चों की संख्या अधिक है।
सडक़ किनारे फास्ट फूड के ठेले पर बिकने वाले खाद्य पदार्थों में अक्सर पुराने तेल और मैदा का उपयोग किया जाता है। यह आंतों पर नकारात्मक प्रभाव डालता है।
चिकित्सकों के क्लीनिकों में रोजाना पेट की बीमारियों से ग्रस्त मरीजों की संख्या बढ़ रही है, जिनमें अधिकांश युवाओं और बच्चों की शिकायतें होती हैं।
फास्ट फूड के सेवन से पेट में सूजन और आंतों में समस्याएँ उत्पन्न हो रही हैं। मरीजों को पेट में दर्द, भूख की कमी और नित्य क्रिया में परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
बच्चों में मोटापा, तनाव और उच्च रक्तचाप जैसी बीमारियाँ भी बढ़ रही हैं। इन समस्याओं का सीधा संबंध फास्ट फूड के नियमित सेवन से है।
फास्ट फूड में प्रयोग होने वाले वसा और तेल के कारण आंतों में सूजन और इन्फ्लेमेटरी बॉउल डिजीज का खतरा बढ़ गया है।
आईबीडी पाचन तंत्र की सूजन की एक गंभीर स्थिति है, जिसमें पेट में ऐंठन और दर्द जैसी समस्याएं उत्पन्न होती हैं।
रोजाना लगभग 20 से 25 युवा और बच्चे पेट की बीमारियों के इलाज के लिए चिकित्सकों के पास आ रहे हैं। अधिकांश की समस्याएँ बर्गर, चाउमीन और अन्य फास्ट फूड से संबंधित हैं।
चिकित्सकों ने सुझाव दिया है कि इन खाद्य पदार्थों का सेवन कम करने और स्वस्थ आहार की ओर ध्यान देने की आवश्यकता है।
स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि लोगों को वसा युक्त और तेल में बार-बार तले गए खाद्य पदार्थों से बचना चाहिए।
खानपान की आदतों में सुधार और स्वच्छता का ध्यान रखने से पेट और आंतों की समस्याओं को कम किया जा सकता है।
फास्ट फूड के बढ़ते सेवन और इसके दुष्प्रभावों को देखते हुए, लोगों को इसके स्वास्थ्य पर पडऩे वाले नकारात्मक प्रभावों के बारे में जागरूक होना आवश्यक है। सुरक्षित और स्वस्थ आहार अपनाकर इन स्वास्थ्य समस्याओं से बचा जा सकता है।