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Thursday, July 3, 2025
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प्रॉपर्टी डीलिंग के नाम पर माफियागीरी, नियम-कानून को ठेंगा दिखाकर हो रहा अवैध कारोबार

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property dealing
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जनता का शोषण, प्रशासन बेखबर, नेताओं का आशीर्वाद!

एटा: जनपद में इन दिनों प्रॉपर्टी डीलिंग (property dealing) के नाम पर अवैध कारोबार (illegal business) और माफियागीरी (Mafiagiri) का बोलबाला है। चार लोग मिलकर बिना किसी पंजीकरण, बिना नियम-कानून (rules and laws) के बोर्ड लगाकर ‘प्रॉपर्टी डीलर’ बन जा रहे हैं। स्थिति ये हो गई है कि शहर में हर गली, हर चौराहे पर ‘प्रॉपर्टी डीलर’ कुकुरमुत्तों की तरह उग आए हैं। न कोई वैध प्रक्रिया, न ही किसी सरकारी विभाग में इनका पंजीकरण – फिर भी खुलेआम करोड़ों के सौदे किए जा रहे हैं।बिना पंजीकरण, बिना नियमों के चल रहा धंधा ,प्रॉपर्टी डीलर बनने के कोई तय मानक नहीं हैं।

अधिकतर डीलर किसी विभाग में रजिस्टर्ड नहीं होते, न ही जीएसटी या इनकम टैक्स जैसी कानूनी प्रक्रियाओं का पालन करते हैं। कुछ लोग बस बोर्ड लगाकर खुद को डीलर घोषित कर लेते हैं और फिर विवादित संपत्तियों की खोज में निकल पड़ते हैं। सस्ती कीमत पर विवादित जमीनें खरीदना और उन्हें ऊंचे दामों पर बेचना इनका मुख्य काम बन चुका है।

धोखाधड़ी और धमकी का सहारा

विवादित संपत्ति खरीदने के बाद अक्सर डीलर मूल मालिक को पूरा भुगतान नहीं करते। बकाया रकम मांगने पर डीलर उल्टे थानों में झूठे मुकदमे दर्ज करवा देते हैं और उत्पीड़न शुरू कर देते हैं। कई मामलों में प्रॉपर्टी मालिकों ने बताया है कि डीलरों द्वारा उन्हें धमकाया गया और जबरन जमीन पर कब्जा कर लिया गया।

नेताओं का संरक्षण और प्रशासन की चुप्पी

इन अवैध प्रॉपर्टी डीलरों को सफेदपोश नेताओं का खुला समर्थन प्राप्त है। नेताओं के ‘नंबर दो’ के पैसे अक्सर इन्हीं डीलरों के पास निवेश किए जाते हैं, जिससे वे कानून के शिकंजे से बच निकलते हैं। हैरानी की बात यह है कि अब तक किसी भी जनप्रतिनिधि या प्रशासनिक अधिकारी ने इन डीलरों की जांच कराना जरूरी नहीं समझा।

रेड न के बराबर, कर चोरी का अंदेशा

अब तक न तो इन डीलरों के यहां इनकम टैक्स विभाग की रेड पड़ी है और न ही जीएसटी अथवा अन्य विभागों ने इनके दस्तावेजों की जांच की है। जनता को अंदेशा है कि इन डीलरों के पास अकूत धन हवाला या अन्य गैरकानूनी तरीकों से आ रहा है, जिसकी उच्च स्तरीय जांच होनी चाहिए।

मुख्यमंत्री से जांच की मांग

स्थानीय जनता की मांग है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इस पूरे प्रकरण की उच्च स्तरीय जांच किसी सक्षम और ईमानदार अधिकारी से कराएं। आखिर इतने कम समय में इन प्रॉपर्टी डीलरों के पास इतना पैसा कहां से आ गया? क्या ये ‘अलादीन का चिराग’ है या ‘कुबेर का खजाना’? या फिर ये हवाला और माफिया नेटवर्क का हिस्सा हैं? यह जांच का विषय है। एटा जिले में प्रॉपर्टी डीलिंग के नाम पर एक बड़ा गोरखधंधा चल रहा है। जनता का शोषण हो रहा है, लेकिन जिम्मेदार मौन हैं। यदि समय रहते इस पर अंकुश नहीं लगाया गया, तो यह माफियागिरी पूरे जिले की शांति व्यवस्था और न्याय व्यवस्था के लिए खतरा बन सकती है।जशहित पर आधारित है खबर

तेजी रफ्तार में गाड़ी चलाने और स्टंट मारने वालो हो जाओ सावधान! सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया बड़ा फैसला

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stunts
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नई दिल्ली: रोड पर स्टंट (stunts) मारते हुए लड़के आज कल गाडी बहुत तेज (high speed) और गलत तरिके से चलाते है जिसकी वजह से उनकी जान भी चली जाती है। ऐसे मामलो पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने रोड एक्‍सीडेंट (Road Accident) और बीमा से जुड़े मामले में आज गुरुवार को ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा है कि, अगर कोई लापरवाही से गाड़ी चलाते हुए दुर्घटना का शिकार होने पर अगर किसी की जान चली जाती है तो बीमा कंपनियां उसे पैसे देने के लिए बाध्‍य नहीं होगा।

सुप्रीम कोर्ट ने दो टूक कहा कि ओवरस्‍पीड या स्‍टंट के मामले में हादसा होने पर बीमा का पैसा नहीं मिलेगा। इसके लिए बीमा कंपनियों को मजबूर नहीं किया जा सकता है। कोर्ट ने आदेश में कहा कि शिकायतकर्ता ने लापरवाही से गाड़ी चलाई, नियम तोड़े और कार पलट गई, जिसमें उसकी जान भी चली गई। ऐसे मामलों में बीमा कंपनियों पर देनदारी नहीं बनती है।

जानकारी के मुताबिक, यह मामला 18 जून 2014 का है, जब एनएस रविशा मल्लासंद्रा गांव से अरसीकेरे शहर की ओर अपनी फिएट लीनिया कार से जा रहे थे। उनके साथ पिता, बहन और बच्चे भी थे। लापरवाही से तेज गति में गाड़ी चलाई और यातायात नियमों का उल्लंघन किया और माइलनाहल्ली गेट पर वाहन से नियंत्रण होकर कार पलट गई। इस हादसे में रविशा की मौत हो गई।

इसके बाद उनकी पत्नी, बेटे और माता-पिता ने 80 लाख रुपये मुआवजे की मांग की। उनका दावा था कि वह एक ठेकेदार थे और प्रति माह 3 लाख रुपये कमा रहे थे। पुलिस ने अपनी चार्जशीट में खुलासा किया कि दुर्घटना रविशा की लापरवाही से गाड़ी चलाने के कारण हुई। लिहाजा मोटर दुर्घटना ट्रिब्यूनल ने परिवार के दावे को खारिज कर दिया।

सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्हा और आर महादेवन ने इस फैसले के साथ ही पीडि़त परिवार को राहत देने से इनकार कर दिया। कोर्ट ने एक व्यक्ति की पत्नी, बेटे और माता-पिता को राहत देने से इनकार करते हुए कहा कि तेज गति और लापरवाही से गाड़ी चलाते हुए दुर्घटना में जान गई है तो इसका भुगतान बीमा कंपनियों को नहीं करना होगा।

 

 

संत कबीरनगर में सनसनीखेज़ घटना: 6 घंटे साथ बिताने के बाद प्रेमिका ने ब्लेड से किया प्रेमी पर हमला

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  • प्राइवेट पार्ट पर वार कर प्रेमी को किया लहूलुहान, गंभीर हालत में भर्ती

संत कबीरनगर। जिले से एक रोंगटे खड़े कर देने वाली घटना सामने आई है। रात भर प्रेमलीला के बाद अचानक हुई हिंसा ने सबको चौंका दिया। खलीलाबाद क्षेत्र के रहने वाले विकास निषाद को उसकी प्रेमिका के घर नाइट स्टे के लिए बुलाया गया था, लेकिन सुबह होते-होते मामला हिंसक हो गया।

जानकारी के मुताबिक, विकास अपनी प्रेमिका के बुलावे पर रात 10 बजे उसके घर पहुंचा था। रातभर दोनों ने एक साथ समय बिताया। लेकिन सुबह किसी बात को लेकर दोनों के बीच कहासुनी हो गई। अचानक गुस्से में आई युवती ने ब्लेड से विकास के प्राइवेट पार्ट पर हमला कर दिया, जिससे वह बुरी तरह से लहूलुहान होकर वहीं तड़पने लगा।

परिवार वालों को जैसे ही घटना की जानकारी मिली, विकास को गंभीर हालत में अस्पताल में भर्ती कराया गया। डॉक्टरों के मुताबिक, युवक की स्थिति नाजुक बनी हुई है, लेकिन समय रहते इलाज शुरू होने से उसकी जान बच गई।

इस घटना के बाद विकास की माँ ने संबंधित युवती के खिलाफ FIR दर्ज कराई है। पुलिस ने मामले की गंभीरता को देखते हुए युवती से पूछताछ शुरू कर दी है और कानूनी कार्रवाई की जा रही है।

यह घटना इलाके में चर्चा का विषय बन गई है। कई लोगों का कहना है कि इस तरह की घटनाएं सामाजिक मूल्यों पर सवाल खड़ा करती हैं। वहीं पुलिस मामले की तह में जाने के लिए कॉल डिटेल्स और चैट्स की भी जांच कर रही है।
स्थानीय थाने के एक अधिकारी ने बताया, “पीड़ित युवक के बयान दर्ज किए जा रहे हैं। मेडिकल रिपोर्ट के आधार पर आगे की धाराएं तय होंगी। आरोपी युवती से भी पूछताछ की जा रही है।”

यह मामला न सिर्फ रिश्तों की जटिलता को उजागर करता है बल्कि यह भी दर्शाता है कि भावनात्मक असंतुलन कैसे हिंसक और खतरनाक रूप ले सकता है। पुलिस फिलहाल पूरे मामले की जांच कर रही है और जल्द ही विस्तृत रिपोर्ट पेश की जाएगी।

मुख्य मार्ग पर बना सुलभ शौचालय बना कबाड़खाना, जनसुविधा हुई ठप

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– दुकानदार ने शौचालय को बना दिया निजी गोदाम, राहगीरों को हो रही भारी परेशानी

फर्रुखाबाद। नगर की एक महत्वपूर्ण जनसुविधा अब उपेक्षा और कब्जे का शिकार हो गई है। क्रिश्चियन इंटर कॉलेज की बाउंड्री के पास मुख्य मार्ग पर वर्षों पहले सार्वजनिक उपयोग के लिए बनाया गया सुलभ शौचालय अब पूरी तरह कबाड़खाने में तब्दील हो चुका है। स्थिति यह है कि अब यह सुविधा आमजन के किसी काम की नहीं रह गई है।

स्थानीय लोगों के अनुसार, शौचालय के निर्माण के समय इसके लिए बाकायदा टंकी और अन्य व्यवस्थाएं भी की गई थीं। कुछ समय तक यह उपयोग में भी रहा, लेकिन धीरे-धीरे पड़ोस के एक दुकानदार ने अपने कबाड़ और सामान को इसके चारों ओर रखना शुरू कर दिया। अब हालत यह है कि सुबह के समय वह दुकानदार अपने सामान को शौचालय के आस-पास फैला देता है, जिससे वहां जाना संभव नहीं रह गया है।

यह शौचालय मुख्य मार्ग पर स्थित होने के कारण राहगीरों, खासकर महिलाओं और बुजुर्गों के लिए बेहद उपयोगी हो सकता था, लेकिन अब इसकी स्थिति किसी बंद पड़े गोदाम जैसी हो गई है। स्थानीय नागरिकों ने कई बार इस समस्या को उठाया, लेकिन नगर पालिका या संबंधित विभाग द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की गई।

स्थानीय नागरिकों की मांग

स्थानीय लोगों की मांग है कि नगर पालिका प्रशासन अविलंब इस स्थान से कबाड़ हटवाकर शौचालय को पुनः चालू कराए, ताकि जनसुविधा का लाभ सभी को मिल सके। यदि जल्द कार्रवाई नहीं हुई तो लोग प्रदर्शन करने को भी मजबूर होंगे।
प्रशासन से जवाबदेही जरूरी

ऐसे हालात नगर के विकास और स्वच्छता अभियान की दिशा में एक गंभीर सवाल खड़ा करते हैं। जब करोड़ों रुपये खर्च कर जनसुविधाएं विकसित की जाती हैं, तो उनकी निगरानी और देखभाल भी प्रशासन की जिम्मेदारी बनती है। अब देखना होगा कि नगर पालिका इस पर कितनी तत्परता से कदम उठाती है।

कांग्रेसियों ने 5000 स्कूलों के मर्जर का किया विरोध, डीएम को राज्यपाल के नाम सौंपा ज्ञापन

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  • बैठक में बोले कांग्रेस नेता – शिक्षा व्यवस्था पर सीधा हमला है यह निर्णय

फर्रुखाबाद। प्रदेश सरकार द्वारा प्राथमिक और जूनियर स्तर के लगभग 5000 स्कूलों के आपसी संबंध्दीकरण (मर्जर) के निर्णय का विरोध करते हुए फर्रुखाबाद जिला कांग्रेस कमेटी ने मंगलवार को एक विरोध बैठक आयोजित की। यह बैठक नगला दीना स्थित जिला कांग्रेस कार्यालय पर आयोजित हुई, जिसकी अध्यक्षता जिला अध्यक्ष श्रीमती शकुंतला देवी ने की।

बैठक में शहर प्रभारी प्रो. यशपाल मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। उन्होंने कहा कि यह कदम न सिर्फ ग्रामीण शिक्षा प्रणाली को कमजोर करेगा बल्कि शिक्षा के अधिकार और छोटे बच्चों की पहुंच से स्कूलों को दूर करेगा।

कांग्रेसजनों ने इस निर्णय को शिक्षा विरोधी और गरीब विरोधी बताते हुए जिलाधिकारी के माध्यम से राज्यपाल को संबोधित एक ज्ञापन सौंपा, जिसमें मर्जर की प्रक्रिया को तत्काल प्रभाव से स्थगित करने की मांग की गई।

इस मौके पर मौजूद प्रमुख नेताओं में –

प्रो. यशपाल (शहर प्रभारी)

मृत्युंजय शर्मा (पूर्व जिला अध्यक्ष)

पुन्नी शुक्ला (जिला उपाध्यक्ष)

अंकुर मिश्रा (शहर अध्यक्ष)

आसिफ भाई और शिवाशीष तिवारी (जिला महासचिव)
हिलाल शफीकी (प्रदेश सचिव, सोशल मीडिया विभाग)
अनुपमा शर्मा (महिला जिला अध्यक्ष)
वसीउर्रहमान, वरुण त्रिपाठी (प्रवक्ता),
संजू अग्निहोत्री (मोहम्दाबाद ब्लॉक अध्यक्ष),
खालिद उस्मानी (अल्पसंख्यक जिला अध्यक्ष),
कैलाश यादव, धर्मेंद्र शाक्य, मनोज कुमार,
जीशान, यामीन, फिरोज आलम, सलीम खान आदि शामिल रहे।

कांग्रेसजनों ने ऐलान किया कि यदि सरकार ने इस जनविरोधी निर्णय को वापस नहीं लिया, तो वृहद आंदोलन शुरू किया जाएगा।

जेपीएनआईसी अब एलडीए के हवाले: योगी कैबिनेट का बड़ा फैसला, सपा के ड्रीम प्रोजेक्ट पर लगी मुहर

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  • समाजवादी पार्टी सरकार के 800 करोड़ के प्रोजेक्ट
  • जेपीएनआईसी का संचालन अब लखनऊ विकास प्राधिकरण करेगा, योगी सरकार ने भंग की पूर्व की सोसायटी

लखनऊ। समाजवादी पार्टी सरकार के ड्रीम प्रोजेक्ट रहे जेपीएनआईसी (JPNIC – जनेश्वर मिश्र पार्क निकाय कन्वेंशन सेंटर) को लेकर लंबे समय से चल रहे विवाद पर अब योगी सरकार ने बड़ा फैसला लिया है। मंगलवार को हुई कैबिनेट बैठक में जेपीएनआईसी को लखनऊ विकास प्राधिकरण (LDA) को सौंपने के प्रस्ताव पर मुहर लगा दी गई। साथ ही सपा सरकार के समय गठित जेपीएनआईसी सोसायटी को भंग कर दिया गया है।

पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के कार्यकाल में करीब 800 करोड़ रुपए की लागत से इस भव्य कन्वेंशन सेंटर का निर्माण कराया गया था। इसका उद्देश्य अंतरराष्ट्रीय स्तर की बैठकों, सम्मेलनों और सांस्कृतिक आयोजनों के लिए एक विश्वस्तरीय केंद्र तैयार करना था। इसके संचालन के लिए समाजवादी सरकार ने विशेष तौर पर जेपीएनआईसी सोसायटी गठित की थी।

लेकिन पिछले कई वर्षों से इस परियोजना के संचालन को लेकर विवाद और अनिश्चितता बनी रही। आरोप-प्रत्यारोप के बीच यह सवाल खड़ा होता रहा कि इसका प्रबंधन किसके जिम्मे हो। अब योगी सरकार ने इस मामले में स्पष्टता लाते हुए जेपीएनआईसी को एलडीए के हवाले कर दिया है।

अब लखनऊ विकास प्राधिकरण न सिर्फ इसका संचालन करेगा बल्कि इसके रखरखाव और आयोजन की जिम्मेदारी भी निभाएगा। इससे उम्मीद की जा रही है कि यह बहुप्रतीक्षित कन्वेंशन सेंटर अब पूरी तरह से सक्रिय हो सकेगा और राजधानी के सांस्कृतिक, शैक्षणिक और राजनीतिक आयोजनों का प्रमुख केंद्र बनेगा।

जेपीएनआईसी को लेकर पहले से ही कई तरह के राजनीतिक विवाद होते रहे हैं। भाजपा सरकार में इसे लेकर यह आशंका जताई जा रही थी कि कहीं यह सिर्फ समाजवादी पार्टी की विरासत के तौर पर न देखा जाए। अब सरकार के इस फैसले से यह स्पष्ट हो गया है कि प्रदेश सरकार इस परियोजना को आगे बढ़ाने के मूड में है—बशर्ते संचालन की कमान सरकारी नियंत्रण में हो।

योगी सरकार के इस फैसले को प्रशासनिक दृष्टि से एक अहम कदम माना जा रहा है, जिससे वर्षों से अटका पड़ा जेपीएनआईसी प्रोजेक्ट अब नए सिरे से क्रियाशील हो सकेगा। साथ ही राजधानी को एक विश्वस्तरीय आयोजन केंद्र मिलने का सपना साकार होने की ओर बढ़ा है।