जनता का शोषण, प्रशासन बेखबर, नेताओं का आशीर्वाद!
एटा: जनपद में इन दिनों प्रॉपर्टी डीलिंग (property dealing) के नाम पर अवैध कारोबार (illegal business) और माफियागीरी (Mafiagiri) का बोलबाला है। चार लोग मिलकर बिना किसी पंजीकरण, बिना नियम-कानून (rules and laws) के बोर्ड लगाकर ‘प्रॉपर्टी डीलर’ बन जा रहे हैं। स्थिति ये हो गई है कि शहर में हर गली, हर चौराहे पर ‘प्रॉपर्टी डीलर’ कुकुरमुत्तों की तरह उग आए हैं। न कोई वैध प्रक्रिया, न ही किसी सरकारी विभाग में इनका पंजीकरण – फिर भी खुलेआम करोड़ों के सौदे किए जा रहे हैं।बिना पंजीकरण, बिना नियमों के चल रहा धंधा ,प्रॉपर्टी डीलर बनने के कोई तय मानक नहीं हैं।
अधिकतर डीलर किसी विभाग में रजिस्टर्ड नहीं होते, न ही जीएसटी या इनकम टैक्स जैसी कानूनी प्रक्रियाओं का पालन करते हैं। कुछ लोग बस बोर्ड लगाकर खुद को डीलर घोषित कर लेते हैं और फिर विवादित संपत्तियों की खोज में निकल पड़ते हैं। सस्ती कीमत पर विवादित जमीनें खरीदना और उन्हें ऊंचे दामों पर बेचना इनका मुख्य काम बन चुका है।
धोखाधड़ी और धमकी का सहारा
विवादित संपत्ति खरीदने के बाद अक्सर डीलर मूल मालिक को पूरा भुगतान नहीं करते। बकाया रकम मांगने पर डीलर उल्टे थानों में झूठे मुकदमे दर्ज करवा देते हैं और उत्पीड़न शुरू कर देते हैं। कई मामलों में प्रॉपर्टी मालिकों ने बताया है कि डीलरों द्वारा उन्हें धमकाया गया और जबरन जमीन पर कब्जा कर लिया गया।
नेताओं का संरक्षण और प्रशासन की चुप्पी
इन अवैध प्रॉपर्टी डीलरों को सफेदपोश नेताओं का खुला समर्थन प्राप्त है। नेताओं के ‘नंबर दो’ के पैसे अक्सर इन्हीं डीलरों के पास निवेश किए जाते हैं, जिससे वे कानून के शिकंजे से बच निकलते हैं। हैरानी की बात यह है कि अब तक किसी भी जनप्रतिनिधि या प्रशासनिक अधिकारी ने इन डीलरों की जांच कराना जरूरी नहीं समझा।
रेड न के बराबर, कर चोरी का अंदेशा
अब तक न तो इन डीलरों के यहां इनकम टैक्स विभाग की रेड पड़ी है और न ही जीएसटी अथवा अन्य विभागों ने इनके दस्तावेजों की जांच की है। जनता को अंदेशा है कि इन डीलरों के पास अकूत धन हवाला या अन्य गैरकानूनी तरीकों से आ रहा है, जिसकी उच्च स्तरीय जांच होनी चाहिए।
मुख्यमंत्री से जांच की मांग
स्थानीय जनता की मांग है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इस पूरे प्रकरण की उच्च स्तरीय जांच किसी सक्षम और ईमानदार अधिकारी से कराएं। आखिर इतने कम समय में इन प्रॉपर्टी डीलरों के पास इतना पैसा कहां से आ गया? क्या ये ‘अलादीन का चिराग’ है या ‘कुबेर का खजाना’? या फिर ये हवाला और माफिया नेटवर्क का हिस्सा हैं? यह जांच का विषय है। एटा जिले में प्रॉपर्टी डीलिंग के नाम पर एक बड़ा गोरखधंधा चल रहा है। जनता का शोषण हो रहा है, लेकिन जिम्मेदार मौन हैं। यदि समय रहते इस पर अंकुश नहीं लगाया गया, तो यह माफियागिरी पूरे जिले की शांति व्यवस्था और न्याय व्यवस्था के लिए खतरा बन सकती है।जशहित पर आधारित है खबर