महाराष्ट्र। जलगांव जिले में बुधवार शाम एक बड़ा ट्रेन हादसा हुआ, जिसमें लखनऊ-मुंबई पुष्पक एक्सप्रेस और कर्नाटक एक्सप्रेस के बीच एक घातक टक्कर हुई। यह घटना जलगांव के पाचोरा स्टेशन के पास माहेजी और परधाड़े के बीच शाम 4:42 बजे घटी। हादसा उस समय हुआ जब पुष्पक एक्सप्रेस के एक कोच में आग लगने की अफवाह फैल गई, जिससे घबराए यात्रियों ने ट्रेन को रुकवाने के लिए चेन पुलिंग की और ट्रेन रुक गई। इस दौरान, कर्नाटक एक्सप्रेस दूसरे ट्रैक पर आ रही थी और अफरा-तफरी में कूदने वाले यात्री उसके नीचे आ गए।
हादसे में 12 यात्रियों की मौत हो गई और 40 से ज्यादा लोग घायल हो गए हैं। रेलवे अधिकारियों के अनुसार, पुष्पक एक्सप्रेस के एक कोच के ब्रेक में समस्या आई थी, जिससे धुआं उठने लगा। इस घटना के बाद कुछ यात्री घबराकर चेन खींचने लगे और ट्रेन रुक गई। रुकने के बाद यात्रियों ने ट्रेन से कूदकर ट्रैक पर खड़े होना शुरू कर दिया, इसी दौरान कर्नाटक एक्सप्रेस आ गई और वह यात्री दुर्घटना का शिकार हो गए।
रेलवे अधिकारियों ने हादसे के बाद घटनास्थल पर तुरंत मेडिकल रिलीफ ट्रेन भेजी। घटनास्थल पर राहत और बचाव कार्य में जुटे रेलवे कर्मचारियों ने घायल यात्रियों को नजदीकी अस्पताल भेजा। जलगांव जिले के पुलिस अधीक्षक ने पुष्टि की कि इस हादसे में 12 लोगों की मौत हो गई है। इसके अलावा घायल हुए यात्रियों को गंभीर चोटें आई हैं और उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया है। अस्पताल में घायलों का इलाज जारी है और उनकी स्थिति पर नजर रखी जा रही है।
पश्चिम रेलवे के अधिकारियों ने बताया कि हादसे का कारण शुरू में एक तकनीकी समस्या बताया गया है। पुष्पक एक्सप्रेस के एक कोच में “हॉट एक्सल” या ब्रेक-बाइंडिंग की समस्या के कारण चिंगारी उठी थी। चिंगारी देख यात्रियों में अफवाह फैल गई कि ट्रेन में आग लग गई है और इसके बाद यात्रियों ने ट्रेन से कूदने की कोशिश की। इस दौरान चेन पुलिंग भी की गई, जिससे ट्रेन रुक गई, लेकिन दूसरे ट्रैक पर आ रही कर्नाटक एक्सप्रेस से यात्री बच नहीं पाए।
कर्नाटक एक्सप्रेस के ड्राइवर को अचानक ट्रैक पर लोगों के खड़े होने का पता नहीं चला और वह तेज गति से आ रही थी। चूंकि उस स्थान पर रेलवे ट्रैक पर मोड़ था, यात्रियों को ट्रेन का आना तुरंत दिखायी नहीं दिया, जिससे यह हादसा हुआ। इस घटना में कर्नाटक एक्सप्रेस की गति के कारण कई लोग कुचले गए। पुलिस और रेलवे अधिकारियों ने घटना की जांच शुरू कर दी है और इस हादसे के कारणों का पता लगाने की कोशिश की जा रही है।
जलगांव से घटना की जानकारी मिलते ही रेलवे ने प्रभावित स्थान पर मेडिकल टीम भेजी। मुंबई से 400 किलोमीटर दूर स्थित इस स्थान पर राहत कार्य तेज कर दिया गया। कई यात्रियों को घटनास्थल पर ही प्राथमिक उपचार दिया गया और गंभीर रूप से घायल यात्रियों को नजदीकी अस्पताल भेजा गया। पुलिस ने कहा कि ट्रेन की गति के कारण दुर्घटना और बढ़ गई, क्योंकि घायल यात्रियों को बचाने के लिए समय नहीं मिला।
पश्चिम रेलवे के सीपीआरओ स्वप्निल निला ने कहा कि घटना के बाद रेलवे ने तत्काल मेडिकल रिलीफ ट्रेन भेजी और स्थिति को संभालने के लिए सभी प्रयास किए। उन्होंने बताया कि घटनास्थल पर फर्स्ट रिस्पॉन्डर्स की टीम मौजूद थी और घायल यात्रियों को इलाज मुहैया कराना प्राथमिकता बन गई थी। घटना के बाद रेलवे ने यात्रियों से अनुरोध किया कि वे ट्रेन में अफवाहों से बचें और किसी भी समस्या की स्थिति में रेलवे कर्मचारियों की मदद लें।
इस हादसे ने रेलवे सुरक्षा प्रोटोकॉल पर सवाल उठाए हैं, क्योंकि तकनीकी खामियों और यात्रियों के व्यवहार के कारण इतनी बड़ी दुर्घटना घटी। अधिकारियों ने यह भी कहा कि इस घटना के बाद रेलवे सुरक्षा व्यवस्था और सूचना प्रणाली की समीक्षा की जाएगी, ताकि भविष्य में इस तरह के हादसों को रोका जा सके। इस हादसे ने रेलवे विभाग के लिए एक बड़ी चुनौती पेश की है, और अधिकारियों को सख्त कदम उठाने की आवश्यकता है।
रेलवे विभाग के अधिकारी अब जांच कर रहे हैं कि किस वजह से चिंगारी उठी और क्यों यात्री घबराए और ट्रेन से कूदे। इस घटना से साफ हो गया कि रेलवे ट्रैक पर सुरक्षा की कमी है, जिससे यात्रियों की जान को खतरा हो सकता है। इस हादसे के बाद रेलवे कर्मचारियों की ट्रेनिंग और जागरूकता पर भी ध्यान केंद्रित किया जाएगा, ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाओं से बचा जा सके।
अभी तक, रेलवे विभाग और पुलिस इस घटना की जांच कर रहे हैं और घटना के सभी पहलुओं पर ध्यान दे रहे हैं। रेलवे ने मृतकों के परिजनों को आर्थिक सहायता देने की घोषणा की है। साथ ही, रेलवे अधिकारियों ने इस मामले में पूरी पारदर्शिता के साथ जांच करने का वादा किया है ताकि इस तरह के हादसे भविष्य में न हों।