यूथ इंडिया संवाददाता
फर्रुखाबाद। शासन द्वारा घोषित जीरो टॉलरेंस की नीति, जिसके तहत अपराधियों और माफियाओं के खिलाफ सख्त कार्यवाही का वादा किया गया था, अब सवालों के घेरे में आ गई है। माफिया अनुपम दुबे के खिलाफ की जा रही कार्यवाही में अचानक आई धीमी गति ने न केवल प्रशासन की मंशा पर सवाल खड़े किए हैं, बल्कि इससे अन्य शातिर अपराधियों को भी राहत मिली है।
अनुपम दुबे के खिलाफ कमजोर हुई कार्यवाही
अनुपम दुबे, जो फर्रुखाबाद में अपने आपराधिक कृत्यों के लिए जाना जाता है, के खिलाफ पिछले कुछ महीनों से प्रशासन ने कड़ी कार्रवाई शुरू की थी। उसकी अवैध संपत्तियों को ज़ब्त किया गया था और कई केसों में उसे जेल भेजा गया। लेकिन, हाल के दिनों में इस कार्यवाही की गति धीमी पड़ गई है। अधिकारियों की ओर से इस संबंध में कोई स्पष्ट बयान नहीं आया है, लेकिन स्थानीय सूत्रों का कहना है कि इस धीमी कार्रवाई का कारण प्रशासनिक दबाव या अन्य राजनीतिक कारण हो सकते हैं।
अन्य शातिर अपराधियों पर ढील
अनुपम दुबे पर ढीली पड़ी कार्यवाही का असर यह हुआ कि अन्य शातिर अपराधियों जैसे योगेंद्र सिंह यादव चन्नू और देवेंद्र सिंह जग्गू को भी राहत मिल गई है। ये अपराधी, जो अपने आपराधिक नेटवर्क के लिए जाने जाते हैं, पर भी प्रशासन ने कोई कठोर कदम नहीं उठाए हैं।
क्षेत्र में कानून व्यवस्था पर असर
प्रशासन की इस धीमी कार्रवाई का सीधा असर क्षेत्र की कानून व्यवस्था पर पड़ रहा है। जहां एक तरफ आम जनता में डर और असुरक्षा का माहौल बन गया है, वहीं दूसरी तरफ अपराधियों के हौसले बुलंद हो रहे हैं। लोगों का कहना है कि अगर इसी तरह प्रशासन की नीतियों में ढील दी जाती रही, तो फर्रुखाबाद में अपराध का ग्राफ तेजी से बढ़ सकता है।
इस मामले में प्रशासन की ओर से अब तक कोई स्पष्ट स्पष्टीकरण नहीं आया है। हालांकि, स्थानीय अधिकारियों ने दावा किया है कि कार्रवाई जारी रहेगी, लेकिन जमीन पर इसके परिणाम दिखाई नहीं दे रहे हैं। प्रशासन की इस ढील के चलते आम जनता में सरकार और प्रशासन के प्रति विश्वास की कमी हो रही है।
स्थानीय नागरिकों, सामाजिक कार्यकर्ताओं और व्यापारियों में प्रशासन की इस ढील को लेकर नाराजगी बढ़ रही है। वे प्रशासन से मांग कर रहे हैं कि अपराधियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए और जीरो टॉलरेंस की नीति को पूरी तरह से लागू किया जाए।
जिले में अपराधियों के खिलाफ प्रशासनिक कार्यवाही की गति धीमी पडऩे से न केवल अपराधियों को राहत मिली है, बल्कि आम जनता की सुरक्षा और कानून व्यवस्था पर भी गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। प्रशासन को इस दिशा में त्वरित और सख्त कदम उठाने की जरूरत है, ताकि अपराधियों के मन में कानून का डर कायम रहे और जनता में सुरक्षा की भावना बनी रहे।