यूथ इंडिया संवाददाता
फर्रुखाबाद। इनटेक द्वारा संरक्षण के कार्यों पर गंभीर सवाल उठे हैं। कई स्थानीय लोगों का आरोप है कि संगठन का ध्यान केवल मुस्लिम काल की इमारतों पर केंद्रित है, जबकि हिन्दू धरोहरों और मौर्य-गुप्त कालीन स्थलों की अनदेखी की जा रही है।
हाल ही में इनटेक के अधिकारियों के साथ हुई एक मुलाकात में यह चर्चा हुई कि संगठन का गंगा सफाई से कोई सीधा संबंध नहीं है, लेकिन उनके कार्यक्षेत्र में ऐतिहासिक धरोहरों का संरक्षण शामिल है। हालांकि, स्थानीय लोगों का कहना है कि इनटेक ने अब तक हिन्दू इतिहास से संबंधित धरोहरों के संरक्षण पर विशेष ध्यान नहीं दिया है।
दिल्ली और लखनऊ में कम्पिल और द्रौपदी कुंड पर कार्यक्रम आयोजित करने वाली नीरा मिश्रा के कार्यों की सराहना की गई, लेकिन सवाल यह भी उठा कि फर्रुखाबाद में इस दिशा में कोई प्रयास क्यों नहीं किए गए। मिश्रा का यह कार्य निजी स्तर पर किया गया था, जबकि इनटेक की भूमिका इस मामले में सीमित रही है। स्थानीय लोगों का मानना है कि यह अनदेखी इसलिए हुई है क्योंकि यह हिन्दू इतिहास से जुड़ा विषय था।
विश्रांत और बंगश के मकबरे को लेकर भी विवाद जारी है। जहां बंगश का मकबरा संरक्षित है, वहीं उसके चारों ओर हुए कब्जे पर कोई कार्यवाही नहीं हुई है। स्थानीय अधिकारियों और इनटेक की निष्क्रियता पर सवाल उठाए गए हैं। कन्नौज और फर्रुखाबाद में मौर्य, गुप्त, और हर्ष कालीन धरोहरों की अनदेखी भी एक बड़ा मुद्दा बन गया है।
लोगों का कहना है कि इन धरोहरों की महत्वपूर्ण मूर्तियों को बाहर भेज दिया गया है, जबकि यहां की ऐतिहासिक इमारतें जर्जर हालत में हैं। इनटेक पर इन धरोहरों के संरक्षण में रुचि न दिखाने का आरोप लगाया गया है।
इस पूरे मामले को लेकर स्थानीय लोगों ने इनटेक और अन्य संबंधित संस्थाओं से जवाबदेही की मांग की है। उनका कहना है कि हिन्दू धरोहरों के संरक्षण को भी उतनी ही प्राथमिकता मिलनी चाहिए जितनी मुस्लिम इमारतों को दी जाती है। इसके साथ ही, ऐतिहासिक स्थलों के आस-पास अवैध कब्जों को हटाने और उनपर कार्रवाई करने की भी मांग की गई है।