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Tuesday, October 8, 2024

गंगा पार के बच्चों की शिक्षा पर बाढ़ का कहर, सरकारी वादे और बेबस जनता

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यूथ इंडिया संवाददाता
फर्रूखाबाद। हर साल की तरह इस बार भी गंगा नदी की बाढ़ ने गंगापार के नौनिहालों की शिक्षा को पूरी तरह चौपट कर दिया है। बाढ़ के चलते स्कूलों में पानी भर जाने से पढ़ाई ठप हो गई है। न केवल बच्चों की शिक्षा प्रभावित हुई है, बल्कि उनके भविष्य पर भी गहरा असर पड़ा है।
शिक्षा विभाग के आंकड़ों के अनुसार, गंगा पार क्षेत्र में स्थित 50 से अधिक प्राथमिक और माध्यमिक स्कूल बाढ़ के पानी से बुरी तरह प्रभावित हुए हैं। करीब 10,000 छात्र-छात्राएं पढ़ाई से वंचित हो गए हैं। शिक्षकों और स्कूल प्रशासन की तरफ से कोई भी ठोस कदम नहीं उठाया जा सका है, जिससे बच्चों की पढ़ाई बाधित हो रही है।
हर साल की तरह इस साल भी सरकार और स्थानीय नेताओं ने बाढ़ से निपटने के लिए तमाम वादे किए हैं, लेकिन स्थिति में कोई खास बदलाव नहीं आया है। क्षेत्रीय विधायक और सांसद ने बाढ़ राहत और पुनर्वास के लिए बड़े-बड़े वादे किए थे, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही है। बाढ़ के चलते बुनियादी सुविधाएं तक उपलब्ध नहीं हो पा रही हैं।
बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में रहने वाले लोग सरकार और प्रशासन की निष्क्रियता से बेहद निराश हैं। ग्रामीणों का कहना है कि बाढ़ से निपटने के लिए हर साल वादे तो किए जाते हैं, लेकिन उन्हें कभी भी अमल में नहीं लाया जाता। गांव के प्रधान राम प्रसाद ने कहा, हम हर साल बाढ़ का सामना करते हैं, लेकिन अब तक कोई स्थाई समाधान नहीं मिला। हमारे बच्चे शिक्षा से वंचित रह जाते हैं और हम सिर्फ बेबस होकर देखते रहते हैं।
बाढ़ के कारण बच्चों की पढ़ाई का नुकसान होना उनके भविष्य के लिए बेहद खतरनाक साबित हो सकता है। शिक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि बाढ़ के कारण बच्चों की शिक्षा में आए इस व्यवधान को दूर करने के लिए सरकार को विशेष प्रयास करने की जरूरत है। इसके बिना, बच्चों का भविष्य अंधकार में डूब सकता है।
हर साल बाढ़ की विभीषिका का सामना करने वाले गंगापार के लोगों की समस्याएं जस की तस बनी हुई हैं। सरकार और नेताओं के वादे तो बहुत होते हैं, लेकिन धरातल पर कुछ नहीं दिखता। इस बार भी गंगा की बाढ़ ने नौनिहालों की शिक्षा को बुरी तरह से प्रभावित किया है और सरकार के वादे मूकदर्शक जनता के सामने बेबस नजर आ रहे हैं। जनता की उम्मीदें टूट चुकी हैं, लेकिन उन्हें अब भी किसी चमत्कार का इंतजार है जो उनके बच्चों के भविष्य को बचा सके।

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