दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 (Delhi Elections 2025) के नतीजे भारतीय राजनीति के बदलते मिजाज का साफ संकेत दे रहे हैं। जहां पिछले दो चुनावों में आम आदमी पार्टी (आप) ने प्रचंड बहुमत से सरकार बनाई थी, इस बार चुनावी समीकरण पूरी तरह बदलते नजर आए। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने 40 से अधिक सीटों पर जीत दर्ज कर सत्ता में वापसी की है, जबकि आप को बड़ा झटका लगा। कांग्रेस एक बार फिर चुनावी दौड़ में कहीं नजर नहीं आई। सवाल उठता है कि क्या यह बदलाव किसी लहर का संकेत है, या मतदाता ने किसी ठोस कारण से अपना रुख बदला है?
भाजपा पिछले 25 वर्षों से दिल्ली में सत्ता पाने के लिए संघर्ष कर रही थी। 2013 में अरविंद केजरीवाल की एंट्री के बाद पार्टी के लिए चुनौती और बढ़ गई थी, लेकिन इस बार नतीजे भाजपा के पक्ष में गए। इसकी प्रमुख वजहें इस प्रकार हो सकती हैं— भाजपा ने इस बार पूरी रणनीति के साथ चुनाव लड़ा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय मंत्रियों ने दिल्ली के हर क्षेत्र में प्रचार किया और विकास को केंद्र में रखा। आप सरकार की फ्री बिजली, पानी और स्वास्थ्य सेवाओं की काट भाजपा ने गरीब महिलाओं को 2,000 रुपये देने, सरकारी स्कूलों में सुधार और टैक्स में राहत जैसे वादों से निकाली। अरविंद केजरीवाल की सरकार कई कानूनी मामलों में उलझी रही, जिससे उनकी साफ-सुथरी छवि को झटका लगा। शराब नीति घोटाले से लेकर मनीष सिसोदिया की गिरफ्तारी तक, इन सभी मामलों ने जनता के मन में अविश्वास पैदा किया। भाजपा ने इस चुनाव को स्थानीय बनाम राष्ट्रीय मुद्दे की लड़ाई बनाया और मोदी सरकार के कामों को दिल्ली के विकास से जोड़कर प्रस्तुत किया।
2015 और 2020 के चुनावों में आम आदमी पार्टी ने 67 और 62 सीटों के भारी बहुमत से जीत दर्ज की थी। ऐसे में 2025 में इस तरह की हार अप्रत्याशित मानी जा रही है। इसके पीछे कई संभावित कारण हो सकते हैं—जैसे मुफ्त बिजली, पानी और मोहल्ला क्लीनिक जैसी योजनाएं 2020 में सफल रहीं, लेकिन इस बार जनता ने शायद आर्थिक स्थिरता को ज्यादा प्राथमिकता दी।अरविंद केजरीवाल सरकार भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरी रही, जिससे उनकी छवि को बड़ा नुकसान हुआ। भाजपा और कांग्रेस जैसी राष्ट्रीय पार्टियों की तुलना में आप का संगठन अब भी कमजोर नजर आया।वर्ष 2015 और 2020 में आप ने जनता को नई तरह की राजनीति का वादा किया था, लेकिन इस बार पार्टी ने कुछ नया पेश नहीं किया।
कभी दिल्ली की राजनीति की धुरी रही कांग्रेस इस चुनाव में फिर से नदारद रही। 2013 में हार के बाद पार्टी लगातार गिरती चली गई और इस बार भी वह कोई सीट नहीं जीत पाई। इसका मुख्य कारण पार्टी का नेतृत्व विहीन होना और मजबूत गठबंधन न बना पाना है।
इस चुनाव के नतीजे यह दर्शाते हैं कि दिल्ली की जनता ने बदलाव को चुना है। यह बदलाव किसी लहर से अधिक एक सोच-समझकर लिया गया फैसला प्रतीत होता है। भाजपा की जीत यह भी दर्शाती है कि जनता अब स्थानीय और राष्ट्रीय मुद्दों को जोड़कर देखने लगी है।
अब भाजपा के सामने सबसे बड़ी चुनौती यह होगी कि वह अपनी चुनावी वादों को किस तरह पूरा करती है। वहीं, आम आदमी पार्टी के लिए यह समय आत्ममंथन का है। अगर पार्टी फिर से अपनी पकड़ बनाना चाहती है, तो उसे नई रणनीति और पारदर्शिता के साथ जनता के बीच जाना होगा।
कुल मिलाकर, दिल्ली चुनाव 2025 ने भारतीय राजनीति को एक नया मोड़ दिया है। यह देखना दिलचस्प होगा कि यह बदलाव केवल एक चुनावी घटना है या आने वाले वर्षों में पूरे देश की राजनीति पर असर डालेगा।