लोक सभा चुनाव से पहले बनारस कमिश्नर बदले गए:मोहित अग्रवाल को मिली तैनाती; यूपी एटीएस के चीफ बनाए गए नीलाब्जा चौधरी

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यूथ इंडिया, लखनऊ। बनारस पुलिस कमिश्नर मुथा अशोक जैन को हटा दिया गया है। बनारस के नए पुलिस कमिश्नर एडीजी एटीएस मोहित अग्रवाल को बनाया गया। मुथा अशोक जैन को उत्तर प्रदेश पुलिस भर्ती एवं प्रोन्नति बोर्ड में तैनाती दी गई है। आईजी नीलाब्जा चौधरी को यूपी एटीएस का चीफ बनाया गया है। प्रदेश में तीन सीनियर आईएएस अफसरों के तैनाती को लेकर लोकसभा चुनाव से पहले बनारस कमिश्नर को बदले जाने पर अलग-अलग तरीके के कयास लगाए जा रहे हैं। मुख्य वजह बीते दिनों हुए BHU आईटी घटना को भी माना जा रहा है।

ट्रांसफर किए गए अफसर

कौन हैं मुथा अशोक जैन

1966 में गुंटूर आंध्र प्रदेश में जन्मे 56 वर्षीय आईपीएस अधिकारी मुथा अशोक जैन ने 1995 में सिविल सेवा परीक्षा पास करने के बाद इंडियन पुलिस सर्विस में अधिकारी के पद पर तैनात हुए। इन्हें यूपी कॉडर अलॉट हुआ। बैंकिंग, अकाउंट्स और सांख्यिकी विषय से बी कॉम मुथा अशोक जैन ने मार्केटिंग और फाइनेंस में भी उच्च शिक्षा हासिल की हुई है। बनारस में तैनाती से पहले मुथा अशोक जैन काफी समय तक एनसीबी (नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो) में भी अपनी महत्वपूर्ण सेवाएं दे चुके हैं। फिल्म स्टार सुशांत सिंह राजपूत की मौत के बाद रिया चक्रवर्ती पर लगे ड्रग्स लेने के आरोपों की जांच के मामले में मुथा अशोक जैन मुख्य भूमिका रहे।

मुथा अशोक जैन।
मुथा अशोक जैन।

वे एनसीबी में डिप्टी डायरेक्टर जनरल के पोस्ट पर तैनात थे। इसके अलावा शाहरुख खान के बेटे आर्यन खान पर लगे ड्रग्स लेने के आरोपों के दौरान भी मुम्बई में एनसीबी की कमान मुथा अशोक जैन के हाथों में ही रही। परिवार की बात करें तो वाराणसी के पुलिस कमिश्नर मुथा अशोक जैन के दामाद बीते साल 2023 में अनुभव सिंह 34वीं रैंक हासिल करके आईएएस बन गए हैं। बता दें कि आईपीएस अशोक मुथा जैन की बेटी पहले से ही आईएएस हैं। अनुभव की पत्नी दीक्षा जैन (आईएएस) मौजूदा समय में फिरोजाबाद के सीडीओ के पद पर तैनात हैं। दीक्षा जैन की यूपीएससी में 22वीं रैंक थी।

कौन हैं मोहित अग्रवाल

एटीएस में तैनाती से पहले वरिष्ठ आईपीएस 1997 बैच मोहित अग्रवाल की कानपुर रेंज में तैनाती चार जुलाई 2019 को हुई थी। करीब सवा दो साल के लंबे कार्यकाल में उन्होंने कई बार पुलिस के लिए संकटमोचक की भूमिका निभाई। बिकरू कांड के बाद हुए अभियुक्तों के साथ हुई पुलिस की पहली मुठभेड़ में आईजी खुद शामिल रहे और दो बदमाशों को ढेर कर दिया। उन्हीं की निगरानी में कुख्यात विकास दुबे का किला नुमा घर पुलिस ने ढहा दिया था। पूरे प्रकरण में पुलिस पर जब जब सवाल उठे, तब आइजी ने आगे आकर बचाव किया। नागरिकता संशोधन कानून के दौरान हुए विवाद में भी वह तत्कालीन एडीजी प्रेम प्रकाश के साथ सक्रिय रहे।

उनके कार्यकाल में दूसरी बड़ी घटना फर्रुखाबाद में हुई, जब एक सिरफिरे ने जन्मदिन की पार्टी के बहाने पत्नी की मदद से गांव के दो दर्जन बच्चों को बंधक बना लिया। आईजी सूचना मिलते ही फर्रुखाबाद पहुंचे और बच्चों को मुक्त कराया। इस घटना में अपहरणकर्ता पुलिस के हाथों मारा गया, जबकि उसकी पत्नी को गांव वालों ने पीट पीटकर मार डाला था। दंपती की बेटी की मोहित अग्रवाल अब तक देखभाल कर रहे है।

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