प्रयागराज। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) ने रविवार को प्रयागराज के पवित्र संगम में डुबकी लगाई और सनातन धर्म के प्रति अपनी आस्था का प्रदर्शन किया। इस दौरान उन्होंने ज्योतिष पीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती से आशीर्वाद भी लिया।
अखिलेश यादव का यह कदम न केवल उनकी व्यक्तिगत आस्था का परिचय है, बल्कि इसे एक राजनीतिक संदेश के रूप में भी देखा जा रहा है। हिंदुत्व पर अपना हक जमाने वाले सबसे बड़े दल भाजपा में सपा का ये नया पैंतरा चर्चा और चिंता दोनों का विषय है।
अखिलेश यादव का संगम स्नान संकेत देता है कि समाजवादी पार्टी धर्मनिरपेक्षता के साथ-साथ धार्मिक परंपराओं और मूल्यों को भी प्राथमिकता देती है।
संगम स्नान के बाद अखिलेश यादव ने शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद से मुलाकात की और आशीर्वाद प्राप्त किया। उन्होंने शंकराचार्य के विचारों को सुनते हुए सनातन धर्म की समृद्ध परंपराओं और शिक्षा का सम्मान करने की बात कही।
अखिलेश यादव का यह कदम राजनीतिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। जहां एक ओर भाजपा ने हिंदुत्व को अपनी राजनीति के केंद्र में रखा है, वहीं अखिलेश यादव का यह संगम स्नान यह संकेत देता है कि समाजवादी पार्टी भी धार्मिक आस्थाओं को लेकर कही पीछे नहीं है,और सभी धर्मों को सम्मान देती है।
राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि अखिलेश यादव का यह संगम स्नान और शंकराचार्य से मुलाकात हिंदुओं को आकर्षित करने की रणनीति का हिस्सा है।
यह पहली बार है जब अखिलेश यादव ने इस तरह खुले तौर पर सनातन धर्म के प्रति अपनी आस्था का प्रदर्शन किया है। इसे पार्टी की छवि को और तराशने की कोशिश के रूप में देखा जा रहा है।
अखिलेश यादव का संगम स्नान और सनातन धर्म के प्रति प्रेम उनकी राजनीतिक और व्यक्तिगत छवि को एक नया आयाम दे रहा है। यह कदम आगामी चुनावों में मतदाताओं को प्रभावित करने में कितना सफल होगा, यह तो वक्त बताएगा, लेकिन इतना साफ है कि समाजवादी पार्टी अब धर्म और आस्था के जरिए नई रणनीति अपनाने की कोशिश कर रही है।