—गन्ना किसानों की नई उड़ान, कम लागत में अधिक उत्पादन की ओर
मुकेश कुमार
देश की कृषि व्यवस्था आज एक ऐसे मोड़ पर खड़ी है, जहाँ परंपरा और तकनीक के बीच संतुलन बनाकर ही किसानों को आर्थिक रूप से सक्षम बनाया जा सकता है। इसी दिशा में एक अहम पहल बनकर उभर रही है ड्रोन तकनीक, जो अब केवल रक्षा या निगरानी कार्यों तक सीमित न रहकर खेतों की हरियाली और किसानों की समृद्धि की राह खोल रही है।
गन्ने जैसी नकदी फसल में ड्रोन तकनीक का उपयोग किसानों के लिए किसी वरदान से कम नहीं है। खासकर उत्तर प्रदेश जैसे गन्ना उत्पादक राज्यों में, जहाँ खेत बड़े क्षेत्रफल में फैले होते हैं और परंपरागत छिड़काव विधियों में समय, श्रम और संसाधनों की भारी खपत होती है—वहाँ यह तकनीक कम समय, कम लागत और अधिक सटीकता के साथ किसानों को राहत पहुंचा रही है।
ड्रोन के माध्यम से कीटनाशक व पोषक तत्वों का समान और लक्षित छिड़काव न केवल उत्पादन को बढ़ा रहा है, बल्कि पर्यावरण पर भी इसका सकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है। जहां पहले असमान छिड़काव के कारण पौधों पर दवाओं का असर सीमित रहता था, अब ड्रोन के द्वारा हर पौधे तक पोषण और सुरक्षा समान रूप से पहुंच पा रही है।
पीलीभीत जनपद में इस तकनीक के प्रचार-प्रसार और सफल प्रयोग के पीछे जिला गन्ना अधिकारी खुशीराम भार्गव की भूमिका अत्यंत सराहनीय और प्रेरणास्पद रही है। श्री भार्गव न केवल स्वयं तकनीकी नवाचारों के प्रति सजग और जागरूक हैं, बल्कि वे लगातार जनपद के किसानों को ड्रोन तकनीक अपनाने के लिए प्रोत्साहित और प्रशिक्षित करते आ रहे हैं। उनकी सक्रिय भागीदारी और जमीनी स्तर पर पहुंच बनाकर किसानों को समझाने की शैली ने गन्ना किसानों के बीच तकनीक के प्रति विश्वास जगाया है।
उनके नेतृत्व में गन्ना विकास विभाग ने ड्रोन तकनीक के वास्तविक लाभों को किसानों तक पहुँचाने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। चाहे वह प्रशिक्षण शिविरों का आयोजन हो, डेमोन्स्ट्रेशन के माध्यम से समझाना हो या तकनीक की सुलभता के लिए मार्गदर्शन देना—श्री बरकत हर स्तर पर किसानों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े हैं। यह एक उदाहरण है कि जब प्रशासनिक अधिकारी निष्ठा और समर्पण के साथ कार्य करें, तो बदलाव केवल कागजों में नहीं बल्कि खेतों में भी दिखने लगता है।
ड्रोन तकनीक का एक अन्य पक्ष यह भी है कि यह कृषि कार्यों में नवजागरण का माध्यम बन सकती है। युवा वर्ग, जो अब तक खेती से दूरी बना रहा था, ड्रोन, सेंसर और सॉफ़्टवेयर जैसी तकनीकों के माध्यम से “स्मार्ट खेती” की ओर आकर्षित हो सकता है। इससे न केवल कृषि को आधुनिक स्वरूप मिलेगा, बल्कि रोजगार और नवाचार की संभावनाएं भी बढ़ेंगी।
लेकिन यह ध्यान रखना आवश्यक है कि तकनीक तभी सार्थक होती है जब वह सभी वर्गों के लिए सुलभ और समझने योग्य हो। अतः सरकार और संबंधित विभागों की जिम्मेदारी बनती है कि ड्रोन तकनीक से जुड़े प्रशिक्षण कार्यक्रम, सब्सिडी योजनाएं और किसानों के लिए सरल मार्गदर्शन की व्यवस्था की जाए।
निष्कर्षत, ड्रोन तकनीक केवल कृषि में एक साधन नहीं, बल्कि किसानों के आत्मनिर्भर बनने की नींव है। यह नई उड़ान किसानों को पारंपरिक कृषि से उन्नत, पर्यावरण-संवेदनशील और उत्पादन केंद्रित कृषि की ओर ले जाती है। जिला गन्ना अधिकारी श्री खुशीराम बरकत जैसे समर्पित अधिकारियों की सक्रियता और प्रेरणा से यह बदलाव और भी तेज गति से किसानों तक पहुँच रहा है। उम्मीद की जानी चाहिए कि आने वाले वर्षों में यह पहल हर फसल, हर किसान तक पहुंचेगी, और देश की कृषि व्यवस्था को नई दिशा देगी।