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Sunday, June 22, 2025

दो माह में फिर जर्जर हुआ पांचाल घाट पुल, मरम्मत कार्य की गुणवत्ता पर उठे सवाल

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बिना भारी वाहनों के दबाव के भी पुल में दरारें, लोगों की सुरक्षा पर खतरा

फर्रुखाबाद: शहर को जिला मुख्यालय और मुख्य मार्ग से जोड़ने वाला पांचाल घाट पुल (Panchal Ghat bridge) एक बार फिर जर्जर हालत में पहुंच गया है। आश्चर्य की बात यह है कि पुल पर मरम्मत के बाद अब तक भारी वाहन पूरी तरह प्रतिबंधित थे, बावजूद इसके पुल की सतह पर दरारें, सीमेंट उखड़ने और सरिया झांकने की तस्वीरें सामने आने लगी हैं। ज्ञात हो कि पुल की मरम्मत का कार्य 2 मार्च 2025 को शुरू हुआ था, जिसमें लगभग एक माह तक बड़े वाहनों का रूट डायवर्ट किया गया था। इसके लिए बड़े बाहनो को 65 किलोमीटर का अतिरिक्त चक्कर लगाना पड़ा था।

तब प्रशासन द्वारा दावा किया गया था कि मरम्मत कार्य मानकों के अनुरूप और स्थायित्व को ध्यान में रखकर किया जा रहा है। छोटे वाहनों—जैसे बाइक, स्कूटर, ऑटो और कारों—को ही सीमित रूप से पुल से गुजरने की अनुमति दी गई थी। लेकिन अब, मरम्मत के सिर्फ दो महीने बाद ही, पुल के किनारों पर दरारें उभर आई हैं, प्लास्टर टूट रहा है, और कई हिस्सों में सड़क पर गड्ढे बनने लगे हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि भारी वाहन चलते तो यह स्थिति और भी खतरनाक हो सकती थी।

स्थानीय लोगों और इंजीनियरिंग क्षेत्र के जानकारों का कहना है कि यह स्थिति स्पष्ट रूप से दर्शाती है कि मरम्मत कार्य में घटिया सामग्री का उपयोग किया गया। संरचनात्मक मजबूती की जांच किए बिना ही पुल को खोल देना अब नागरिकों की सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा बन गया है। पांचाल घाट से प्रतिदिन गुजरने वाले नागरिकों में रोष व्याप्त है। उनका कहना है कि लाखों रुपये खर्च होने के बावजूद न तो पुल की मजबूती में कोई सुधार हुआ, न ही यात्रा सुरक्षित हो पाई। अब लोग दोबारा उसी पुराने डर के साथ पुल पार कर रहे हैं।

फिलहाल निर्माण विभाग या जिला प्रशासन की ओर से कोई स्पष्टीकरण नहीं दिया गया है। न ही निर्माण एजेंसी की ओर से मरम्मत कार्य की विफलता पर कोई जवाब आया है।लोगों ने उच्च स्तरीय जांच, निर्माण एजेंसी की जवाबदेही तय करने, और मरम्मत कार्य में संलिप्त अधिकारियों पर सख्त कार्रवाई की मांग की है। यदि समय रहते इस पर ध्यान नहीं दिया गया, तो पुल की यह स्थिति किसी बड़े हादसे का कारण बन सकती है। जनता की मांग है कि पुल की फिर से तकनीकी जांच कराई जाए और स्थायी समाधान सुनिश्चित किया जाए, जिससे फर्रुखाबाद के लोगों को बार-बार खतरे का सामना न करना पड़े।

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