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Saturday, June 21, 2025

दूध सीजन की जोरदार शुरुआत: थोक प्लांटों की खरीद सक्रिय, दरें ₹53 से ₹56 प्रति लीटर तक

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  • मौसम ने नहीं डाला खास असर

लखनऊ (राजधानी): दूध सीजन की यह शुरुआत ग्रामीण अर्थव्यवस्था और डेयरी इंडस्ट्री दोनों के लिए सकारात्मक संकेत है। मौसम की अनुकूलता, सरकारी योजनाओं का लाभ और डेयरी क्षेत्र में निवेश की वृद्धि के चलते 2025 का यह सीजन उत्पादक साबित हो सकता है। उत्तर भारत के प्रमुख दूध उत्पादक राज्यों — उत्तर प्रदेश, हरियाणा, मध्य प्रदेश और राजस्थान — में इस वर्ष दूध सीजन की शुरुआत अपेक्षाकृत संतुलित और सुचारु रही। प्रमुख डेयरी प्लांटों ने ग्रामीण क्षेत्रों से थोक खरीद शुरू कर दी है, और प्रारंभिक दरें ₹53 से लेकर ₹56 प्रति लीटर तक निर्धारित की गई हैं। इस बार की विशेष बात यह रही कि मौसम ने दूध उत्पादन पर कोई बड़ा प्रतिकूल प्रभाव नहीं डाला। न गर्मी ज्यादा बढ़ी, न ही पानी की किल्लत रही, जिससे पशुपालन और दूध उत्पादन स्थिर बना रहा। जानकारों के अनुसार, यह सीजन किसानों व डेयरी व्यवसायियों — दोनों के लिए फायदेमंद हो सकता है।

राज्यवार दूध उत्पादन और थोक खरीद की स्थिति:

उत्तर प्रदेश: उत्तर प्रदेश, देश का सबसे बड़ा दूध उत्पादक राज्य है। यहां के पश्चिमी क्षेत्र — खासकर मेरठ, बुलंदशहर, मुजफ्फरनगर, अलीगढ़, इटावा, और कानपुर देहात में — दूध की सप्लाई सामान्य से बेहतर रही। सहकारी और निजी प्लांटों ने अपनी थोक खरीद ₹53 से ₹55 प्रति लीटर पर शुरू कर दी है। कुछ क्षेत्रों में उच्च फैट युक्त दूध ₹56 प्रति लीटर पर भी उठाया जा रहा है। प्रदेश के पूर्वी हिस्सों — जैसे गोरखपुर, देवरिया और बलिया — में भी दूध की आमद सुचारु बनी हुई है, हालांकि वहां मूल्य थोड़ा कम (₹52–₹54) तक सीमित है।

हरियाणा: हरियाणा के पशुपालन क्षेत्र में काफी जागरूकता और व्यवस्थित प्रणाली है। करनाल, कुरुक्षेत्र, हिसार, रोहतक और सिरसा जिलों में डेयरी प्लांटों ने स्थानीय किसानों से प्रतिदिन हजारों लीटर दूध उठाना शुरू कर दिया है। थोक दर ₹54 से ₹56 प्रति लीटर के बीच बनी हुई है। यहां दुग्ध समितियों और डेयरी कोऑपरेटिव्स की भूमिका प्रमुख है, जिससे किसानों को सीधा भुगतान और गुणवत्ता का बेहतर मूल्य मिल पा रहा है।

मध्य प्रदेश: मध्य भारत का यह राज्य दूध उत्पादन में लगातार उभर रहा है। इंदौर, उज्जैन, धार, रतलाम और खंडवा जिलों में मुख्य रूप से मवेशीपालन आधारित ग्रामीण अर्थव्यवस्था है। यहाँ थोक खरीद की दरें ₹53 से ₹55 प्रति लीटर तक तय की गई हैं।

विशेषज्ञ बताते हैं कि यहां मवेशियों को पर्याप्त हरा चारा और पानी मिल रहा है, जिससे इस सीजन में उत्पादन में कोई बड़ी गिरावट नहीं आई है।

राजस्थान: सीकर, झुंझुनू, नागौर, अजमेर और चूरू जिलों में डेयरी फार्मिंग व्यापक स्तर पर होती है। इस बार मानसून पूर्व की हल्की बारिश और सामान्य तापमान ने दूध उत्पादन को स्थिर बनाए रखा है। थोक दरें ₹53 से ₹55 प्रति लीटर तक पहुँच रही हैं। राजस्थान में ‘सरस डेयरी’और कुछ निजी कंपनियों द्वारा किए जा रहे थोक क्रय ने स्थानीय पशुपालकों को राहत दी है।

क्या कहते हैं जानकार और किसान?

श्री मनदीप सिंह गिल (डेयरी विशेषज्ञ, GM – धौलपुर फ्रेश डेयरी (भोले बाबा ग्रुप) बताते हैं,

 “इस बार गर्मियों में तापमान अपेक्षाकृत नियंत्रित रहा और पानी की उपलब्धता सामान्य रही, जिससे पशुओं पर तनाव नहीं पड़ा और दूध उत्पादन में कमी नहीं आई। यही कारण है कि इस बार थोक आपूर्ति में कोई बाधा नहीं आई।”

दूध उत्पादक किसानों की जुवानी ,

 “हर साल की तुलना में इस बार प्लांट वाले समय से आ गए हैं और सीधे गांवों से दूध उठाया जा रहा है। भुगतान भी पहले से बेहतर हो रहा है।”

 

थोक दूध दरें: स्थिर या बढ़ेंगी?

मार्केट विश्लेषकों का मानना है कि फिलहाल थोक दरें स्थिर रहेंगी, लेकिन यदि मानसून में कोई गड़बड़ी होती है, या चारे की कमी आती है, तो दरों में हल्की वृद्धि हो सकती है। हालांकि, फिलहाल की स्थिति किसानों और प्लांट – दोनों के लिए संतोषजनक है।

डेयरी क्षेत्र में चुनौतियाँ भी मौजूद

बिजली कटौती और चिलिंग सिस्टम की कमी: ग्रामीण क्षेत्रों में बिजली की अनियमितता से दूध संग्रहण में दिक्कतें आती हैं।

मिडलमैन की दखल: कई जगहों पर किसानों को थोक प्लांट से सीधा जुड़ने में अभी भी बाधाएं हैं।

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