शरद कटियार
भारत में शासन प्रणाली की पारदर्शिता और दक्षता को सुनिश्चित करने के लिए वर्षों से विभिन्न प्रयास किए जा रहे हैं। डिजिटल इंडिया अभियान के तहत इन्हीं प्रयासों में एक क्रांतिकारी कदम था GeM (Government e-Marketplace) पोर्टल की स्थापना। इस डिजिटल मंच को सरकारी खरीद प्रक्रिया को पारदर्शी, दक्ष और जनसुलभ बनाने के उद्देश्य से लाया गया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में प्रारंभ किया गया यह प्लेटफॉर्म आज पूरे देश में प्रभावी रूप से कार्य कर रहा है, और इस दिशा में उत्तर प्रदेश का प्रदर्शन विशेष रूप से उल्लेखनीय बनकर उभरा है।
वित्तीय वर्ष 2024-25 में उत्तर प्रदेश ने GeM पोर्टल के माध्यम से ₹16,828.75 करोड़ के क्रय आदेश पूरे किए हैं। इससे पूर्व के पांच वर्षों में कुल ₹65,227.68 करोड़ के आदेश इस पोर्टल पर पूरे किए गए हैं। यह न केवल एक रिकॉर्ड है, बल्कि यह बताता है कि उत्तर प्रदेश ने डिजिटल गवर्नेंस की दिशा में कितनी तेज़ी और प्रतिबद्धता के साथ काम किया है।
GeM पोर्टल की अवधारणा और इसकी आवश्यकता
GeM पोर्टल की शुरुआत एक साधारण से विचार के साथ की गई थी — सरकारी खरीद को एक पारदर्शी और भ्रष्टाचारमुक्त प्रक्रिया बनाया जाए। पहले जहां सरकारी विभागों की खरीद प्रक्रिया में जटिलताएं, समय की बर्बादी और बिचौलियों की भूमिका सामने आती थी, वहीं GeM ने इन सभी समस्याओं का समाधान डिजिटल तरीके से प्रस्तुत किया। यह न केवल सरकारी क्रेताओं के लिए, बल्कि देश भर के छोटे-बड़े विक्रेताओं के लिए भी एक वरदान साबित हुआ है।
उत्तर प्रदेश में GeM का सफल कार्यान्वयन
उत्तर प्रदेश जैसे विशाल और विविध राज्य में किसी भी प्रणाली को सफलतापूर्वक लागू करना कोई साधारण कार्य नहीं होता। इस दिशा में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का नेतृत्व विशेष रूप से सराहनीय रहा है। राज्य में GeM पोर्टल को न केवल प्रोत्साहित किया गया, बल्कि इसे हर जिले, विभाग और इकाई तक पहुंचाया गया। इसके लिए व्यापक प्रशिक्षण कार्यक्रम, कार्यशालाएं, और तकनीकी सहयोग सुनिश्चित किया गया।
वर्ष 2024-25 में GeM के माध्यम से ₹16,828.75 करोड़ के ऑर्डर का निष्पादन केवल एक आंकड़ा नहीं, बल्कि यह राज्य के वित्तीय अनुशासन, पारदर्शिता और नवाचार की गाथा है। यह प्रदर्शन बताता है कि उत्तर प्रदेश ने ‘न्यूनतम सरकार, अधिकतम शासन’ के मंत्र को सच्चाई में बदला है।
GeM के माध्यम से पारदर्शिता और समावेशिता
GeM पोर्टल का सबसे महत्वपूर्ण पहलू है पारदर्शिता। यह पोर्टल यह सुनिश्चित करता है कि कोई भी विभाग किसी उत्पाद या सेवा की खरीद करते समय उसके सभी विकल्प देख सके, उनकी तुलना कर सके और सर्वश्रेष्ठ विक्रेता को निष्पक्ष ढंग से चुन सके। उत्तर प्रदेश में इस व्यवस्था को बड़े ही अनुशासन के साथ अपनाया गया है।
इस प्रक्रिया में छोटे, मझोले और ग्रामीण क्षेत्र के उद्यमियों को भी समान अवसर मिलते हैं। महिला उद्यमियों, दिव्यांगजनों और स्टार्टअप को प्राथमिकता दी गई है। यह समावेशिता ही उत्तर प्रदेश को GeM के मामले में आदर्श राज्य बनाती है।
आर्थिक प्रभाव और सरकारी संसाधनों की बचत
GeM के माध्यम से खरीदारी में पारदर्शिता आने से राज्य सरकार को आर्थिक लाभ भी हुआ है। खुले बाजार में मिलने वाली वस्तुएं जब एक केंद्रीकृत पोर्टल से खरीदी जाती हैं, तो उसके मूल्य में प्रतिस्पर्धा के चलते गिरावट आती है। इससे सरकार को भारी बचत होती है।
उत्तर प्रदेश में बीते पांच वर्षों में किए गए ₹65,227.68 करोड़ के ऑर्डर का प्रत्यक्ष लाभ यह है कि हर खरीद एक नियत और प्रमाणित प्रक्रिया से हुई। इससे संसाधनों की बर्बादी रुकी, समय की बचत हुई और गुणवत्ता में सुधार आया। यह प्रशासनिक दक्षता का भी परिचायक है।
प्रशासनिक सुधार और नौकरशाही में उत्तरदायित्व
GeM के प्रभाव से नौकरशाही में भी सकारात्मक बदलाव देखने को मिले हैं। पहले जहां किसी भी खरीद प्रक्रिया में व्यक्तिगत विवेक और मनमानी का खतरा बना रहता था, वहीं अब GeM के माध्यम से प्रत्येक ऑर्डर एक डिजिटल ट्रेल में दर्ज होता है। इससे अधिकारी जवाबदेह बनते हैं और भ्रष्टाचार की संभावनाएं लगभग समाप्त हो जाती हैं।
उत्तर प्रदेश सरकार ने इस व्यवस्था को न केवल अपनाया, बल्कि अपने अधिकारियों को भी डिजिटल दक्षता प्रदान करने के लिए लगातार प्रशिक्षण दिया। इस नवाचार के चलते राज्य की नौकरशाही अधिक पारदर्शी और परिणामोन्मुख बनी है।
डिजिटल इंडिया की अवधारणा को साकार करता उत्तर प्रदेश
प्रधानमंत्री मोदी का डिजिटल इंडिया अभियान केवल एक नारा नहीं, बल्कि देश के हर नागरिक को डिजिटल रूप से सशक्त करने की योजना है। उत्तर प्रदेश ने GeM के सफल उपयोग से यह सिद्ध किया है कि एक बड़ा, जटिल और संसाधनों से भरा राज्य भी डिजिटल रूपांतरण में अग्रणी बन सकता है।
अब राज्य का हर सरकारी विभाग, नगरपालिका, नगर निगम, शिक्षा विभाग, स्वास्थ्य विभाग और यहां तक कि ग्रामीण क्षेत्रों की पंचायतें भी GeM के माध्यम से आवश्यक वस्तुओं की खरीदारी कर रही हैं। यह एक ऐसा मॉडल है जिसे देश के अन्य राज्यों को भी अपनाना चाहिए।
भविष्य की संभावनाएं और नीतिगत विस्तार
GeM पोर्टल की सफलता से यह स्पष्ट है कि सरकारी खरीद के लिए पारंपरिक और पेपर आधारित पद्धतियां अब अतीत की बात हो चुकी हैं। उत्तर प्रदेश सरकार को चाहिए कि वह इस मंच का उपयोग केवल खरीद तक सीमित न रखे, बल्कि इससे संबंधित डेटा एनालिटिक्स का भी उपयोग कर राज्य के व्यय को और प्रभावशाली बनाए।
GeM से प्राप्त आंकड़ों के माध्यम से यह समझा जा सकता है कि कौन सी वस्तुएं अधिक खरीदी जाती हैं, किन क्षेत्रों में गुणवत्ता की आवश्यकता है, और किस प्रकार की सेवाओं की मांग बढ़ रही है। इससे राज्य न केवल आर्थिक दृष्टि से सक्षम होगा, बल्कि नीतिगत निर्णय भी अधिक वैज्ञानिक और यथार्थपरक होंगे।
उत्तर प्रदेश ने GeM पोर्टल पर ऐतिहासिक प्रदर्शन कर यह दिखा दिया है कि इच्छाशक्ति, नेतृत्व और तकनीकी नवाचार के सम्मिलन से कोई भी राज्य सुशासन का आदर्श बन सकता है। ₹65,000 करोड़ से अधिक के ऑर्डर केवल आर्थिक उपलब्धि नहीं है, यह जनता के प्रति सरकार की जवाबदेही, पारदर्शिता और सेवा भाव का भी प्रमाण है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और उनकी टीम को इसके लिए बधाई दी जानी चाहिए कि उन्होंने केंद्र सरकार की डिजिटल पहल को इतनी गंभीरता से लिया और उसे जमीनी स्तर तक सफलतापूर्वक लागू किया। यह प्रदर्शन आने वाले वर्षों में उत्तर प्रदेश को न केवल आर्थिक रूप से सशक्त बनाएगा, बल्कि यह भी सुनिश्चित करेगा कि हर नागरिक तक सरकार की योजनाएं और सेवाएं समय पर और उचित ढंग से पहुंच सकें।
अब समय है कि अन्य राज्य भी उत्तर प्रदेश के इस डिजिटल क्रांति से प्रेरणा लें और अपने-अपने क्षेत्रों में GeM जैसी पारदर्शी प्रणालियों को अपनाएं। जब भारत के सभी राज्य इस प्रकार की पारदर्शिता और दक्षता की दिशा में एक साथ कदम बढ़ाएंगे, तभी ‘न्यू इंडिया’ का सपना वास्तव में साकार होगा।
(लेखक, दैनिक यूथ इंडिया के मुख्य संपादक)