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Monday, June 23, 2025

न्यायालय ने रोकी प्रशासन की मनमानी, बिना अनुमति कब्जे पर रोक

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– जिलाधिकारी, नगर पालिका अध्यक्ष और बैंक ऑफ इंडिया के मैनेजर को मिला आदेश
– नेकपुर कलां स्थित नीरजा द्विवेदी की जमीन का मामला
– प्रशासन पूर्व में पीएम आवास योजना में कर चुका आवंटन
– दुबारा फिर बगल की खाली जमीन को बैंक के नाम कर दी थी लीज

फर्रुखाबाद। जिला प्रशासन की मनमानी और सरकारी दबंगई पर न्यायालय ने कड़ा रुख अपनाते हुए बिना अनुमति कब्जे की कार्रवाई पर रोक लगा दी है। अपर सिविल जज (सीनियर डिवीजन) ज्ञानेंद्र कुमार ने गुरुवार को सुनवाई करते हुए जिलाधिकारी, नगर पालिका अध्यक्ष, बैंक ऑफ इंडिया के मैनेजर सहित संबंधित अधिकारियों को आदेश जारी किया कि बिना न्यायालय की अनुमति के किसी भी प्रकार का कब्जा या निर्माण कार्य न किया जाए।

साल 2023 में तत्कालीन जिलाधिकारी ने मनमानी दिखाते हुए फर्रुखाबाद के नेकपुर कलां स्थित संक्रमणीय भूमि (गाटा संख्या 267) को बैंक को लीज पर दे दिया था। यह जमीन 44 डिसमिल थी, जिसकी मालकिन श्रीमती नीरज द्विवेदी पत्नी डॉ. कमल द्विवेदी, निवासी आवास विकास थीं। प्रशासन के इस फैसले पर उन्होंने अपर जिला अधिकारी न्यायालय में मुकदमा दायर किया था, लेकिन कोई न्याय न मिलकर परेशान किया जा रहा था ।

इस विवादित भूमि पर कई वर्ष पहले प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत मकान बनाए जा चुके थे, जिन्हें सरकार ने गरीबों को आवंटित किया था। इसके बावजूद प्रशासन ने उस जमीन के बगल मे खाली पड़ी इस जमीन को सरकारी बताते हुए बैंक को लीज पर दे दिया और जबरन कब्जे की कोशिश शुरू कर दी।

पीड़िता नीरज द्विवेदी ने अपनी जमीन की कानूनी खरीद की थी, लेकिन जिला प्रशासन की मनमानी के कारण उन्हें न्याय नहीं मिल रहा था। उन्होंने कई बार प्रशासन से गुहार लगाई, लेकिन मामला सरकार के पक्ष का होने के कारण कोई भी अधिकारी इसमें हस्तक्षेप करने से बच रहा था।

इस मामले में न्यायालय ने जिला प्रशासन को फटकार लगाते हुए आदेश दिया कि बिना न्यायालय की अनुमति के किसी भी प्रकार का कब्जा या निर्माण कार्य नहीं होगा। यह मामला न केवल जिला न्यायालय में, बल्कि उच्च न्यायालय इलाहाबाद में भी लंबित है।

यह मामला प्रशासन की कार्यप्रणाली पर भी सवाल खड़े करता है, जहां एक ओर गरीबों को प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत मकान दिए जा रहे हैं, वहीं दूसरी ओर प्रशासन जबरन निजी जमीन पर कब्जा कर उसे बैंक को लीज पर देने का प्रयास कर रहा है। न्यायालय के इस फैसले के बाद पीड़ितों को राहत की उम्मीद जगी है।

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