फर्रुखाबाद | भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की संगठनात्मक नियुक्तियों में बड़ा उलटफेर करते हुए फतेहचंद वर्मा को फर्रुखाबाद का जिलाध्यक्ष बनाए जाने के बाद जिले की राजनीति में नई हलचल शुरू हो गई है। उनके नेतृत्व में भाजपा को स्थानीय स्तर पर नए समीकरण साधने का अवसर मिलेगा, वहीं विपक्ष के लिए यह नया राजनीतिक संकट खड़ा कर सकता है।
भोजपुर में लोधी उम्मीदवार की अटकलों पर विराम
भोजपुर विधानसभा क्षेत्र में लंबे समय से अटकलें लगाई जा रही थीं कि समाजवादी पार्टी (सपा) आगामी चुनाव में लोधी समाज से उम्मीदवार उतार सकती है, जिससे भाजपा के लिए चुनौती बढ़ सकती थी। लेकिन विधायक नागेंद्र सिंह राठौर ने इस संभावना पर विराम लगाते हुए अपने गुट को मजबूत कर लिया है। फतेहचंद वर्मा की नियुक्ति के साथ भाजपा ने स्पष्ट संकेत दिया है कि जिले में लोधी समुदाय के प्रभाव को साधने के लिए संगठन और सत्ता दोनों में संतुलन बनाए रखा जाएगा। इससे सपा के संभावित रणनीतिक समीकरणों पर पानी फिर सकता है।
सांसद के भतीजे की राह आसान
फर्रुखाबाद के सांसद मुकेश राजपूत के भतीजे राहुल राजपूत की जिला पंचायत अध्यक्ष पद की दावेदारी भी अब अधिक मजबूत होती दिख रही है। जिले में भाजपा संगठन पर मजबूत पकड़ के कारण अब उनकी राह आसान मानी जा रही है। जिला पंचायत की कुर्सी पर भाजपा के कब्जे को बरकरार रखने के लिए यह नियुक्ति एक महत्वपूर्ण कड़ी मानी जा रही है।
अमृतपुर और सदर विधानसभा में भाजपा का आधार मजबूत
अमृतपुर और सदर विधानसभा सीटों पर भी इस नियुक्ति का प्रभाव पड़ सकता है। अमृतपुर में भाजपा विधायक सुशील शाक्य को संगठन का अधिक समर्थन मिलने की संभावना है, जिससे क्षेत्र में पार्टी का जनाधार और मजबूत होगा। वहीं, सदर विधानसभा में भी भाजपा की स्थिति अधिक सशक्त होने की संभावना है।इस बार उनके ज्येष्ठ पुत्र और बीजेपी के पूर्व महामंत्री संदीप शाक्य के बीजेपी उम्मीदवार बनने की संभावना है।
कन्नौज और फर्रुखाबाद की राजनीति साधने की रणनीति
भाजपा ने सिर्फ फर्रुखाबाद ही नहीं, बल्कि कन्नौज जिले में भी संगठनात्मक संतुलन साधने की कोशिश की है। वीर सिंह भदौरिया को दूसरी बार कन्नौज का जिलाध्यक्ष बनाकर भाजपा ने क्षत्रिय नेतृत्व को बरकरार रखा है। इससे पार्टी ने ओबीसी और जनरल वर्ग दोनों को साधने की रणनीति अपनाई है। जहां फर्रुखाबाद में फतेहचंद वर्मा के जरिए लोधी समाज को संगठन में महत्व दिया गया है, वहीं कन्नौज में वीर सिंह भदौरिया की पुनर्नियुक्ति से सवर्ण और ओबीसी वोटरों के बीच संतुलन बनाने की कोशिश की गई है।
2027 की रणनीति: लोधी और क्षत्रिय समाज को साधने की कोशिश
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि भाजपा ने फतेहचंद वर्मा और वीर सिंह भदौरिया की नियुक्ति के जरिए 2027 के विधानसभा चुनावों की रणनीति को मजबूत किया है। फर्रुखाबाद में लोधी समाज, जबकि कन्नौज में क्षत्रिय समुदाय की महत्वपूर्ण उपस्थिति है। इन दोनों समुदायों को साधकर भाजपा ने स्पष्ट कर दिया है कि वह जातीय समीकरणों को ध्यान में रखकर आगामी चुनाव की तैयारी कर रही है।
भाजपा की इस रणनीति से जिले में सपा को नए सिरे से अपने समीकरण बनाने होंगे। पिछले चुनावों में भाजपा को जिले की अधिकांश सीटों पर बढ़त मिली थी, लेकिन सपा ने भी स्थानीय स्तर पर अपनी पकड़ मजबूत करने की कोशिशें की हैं। अब देखना होगा कि सपा इस नई स्थिति से कैसे निपटती है।
फतेहचंद वर्मा और वीर सिंह भदौरिया की भाजपा जिलाध्यक्ष के रूप में नियुक्ति से फर्रुखाबाद और कन्नौज की राजनीति में महत्वपूर्ण बदलाव देखने को मिल सकते हैं। भोजपुर, अमृतपुर और सदर विधानसभा सीटों पर भाजपा को इससे मजबूती मिलेगी, वहीं कन्नौज में क्षत्रिय नेतृत्व को पुनः स्थापित कर पार्टी ने ओबीसी और जनरल वोट बैंक को संतुलित करने की रणनीति अपनाई है। इसके अलावा, सांसद मुकेश राजपूत के भतीजे राहुल राजपूत की जिला पंचायत अध्यक्ष बनने की संभावना भी अब अधिक प्रबल हो गई है। कुल मिलाकर, इस संगठनात्मक फेरबदल से जिले की राजनीति नए मोड़ पर पहुंच गई है और आगामी चुनावों में इसका सीधा असर देखने को मिलेगा।