नई दिल्लीः सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यूपी में कानून का शासन पूरी तरह से धाराशायी हो चुका है। सुप्रीम कोर्ट ने सिविल मामले को क्रिमिनल केस बनाए जानें पर यह तल्ख टिप्पणी सोमवार को की है। चीफ जस्टिस संजीव खन्ना की अगुआई वाली बेंच ने यूपी डीजीपी और गौतमबुद्धनगर जिले के एक थाना प्रभारी को हलफनामा दाखिल कर बताने को कहा कि सिविल विवाद में आखिर क्यों आपराधिक कानून की प्रक्रिया शुरू की गई? अगली सुनवाई मई में होगी।
चीफ जस्टिस संजीव खन्ना ने कहा कि दीवानी (सिविल) मामले में क्रिमिनल केस बनाया जाना स्वीकार्य नहीं है। वकील ने कहा कि क्रिमिनल केस इसलिए बनाया गया, क्योंकि दीवानी विवादों के निपटारे में वक्त लगता है। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा, कि यूपी में यह जो रहा है वह गलत है। हर दीवानी केस को क्रिमिनल केस में बदला जा रहा है। यह असंगत है और पैसे न चुकाया जाना कोई क्रिमिनल अफेंस नहीं बनता है। हम जांच अधिकारी को गवाही के लिए बुलाएंगे। जब हम जांच अधिकारी को तलब करेंगे तो उन्हें कठघरे में खड़े होकर यह साबित करना होगा कि यह कैसे आपराधिक मामला है। चार्जशीट ऐसे दाखिल होती है? जांच अधिकारी को इसके लिए सबक देना जरूरी है।’ कोर्ट ने यह भी चेतावनी दी कि यदि यह प्रथा जारी रही तो राज्य पर जुर्माना लगाया जा सकता है।
नोएडा में दर्ज हुई थी FIR
मामले में दो आरोपितों की ओर से SC में याचिका दायर की गई है। उनके वकील चांद कुरैशी ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती दी है। हाई कोर्ट ने उनके खिलाफ दर्ज क्रिमिनल केस को रद्द करने से इनकार कर दिया था।सुप्रीम कोर्ट ने नोएडा स्थित ट्रायल कोर्ट में आवेदकों के खिलाफ चल रही क्रिमिनल केस की कार्यवाही पर रोक लगा दी और कहा कि चेक बाउंस का केस चलता रहेगा। इन दोनों ही याचियों के खिलाफ आईपीसी की धारा 406 (आपराधिक विश्वासघात), 506 (आपराधिक धमकी) और 120बी (आपराधिक साजिश) के तहत नोएडा में FIR दर्ज की गई थी।
जानें चीफ जस्टिस ने क्या कहा?
चीफ जस्टिस संजीव खन्ना ने कहा कि यह मामला मूलरूप से एक दीवानी लेन-देन से जुड़ा है। यूपी पुलिस की ओर से इस प्रकार के दीवानी मामलों को आपराधिक रूप देना चिंताजनक प्रवृत्ति है। उन्होंने कहा कि केवल धनराशि न लौटाने पर क्रिमिनल अफेंस नहीं बनता और समन आदेश स्वयं ही कानूनी रूप से गलत था। चीफ जस्टिस संजीव खन्ना ने कहा कि यह क्या हो रहा है यूपी में? हर दिन दीवानी मामले आपराधिक मामलों में बदले जा रहे हैं। यह बिल्कुल गलत है। यह कानून का शासन नहीं बल्कि उसका पतन है।