यूथ इंडिया संवाददाता
फर्रुखाबाद। शासन ने ग्राम सभा निधि और मनरेगा (महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम) के तहत हुए कार्यों की जांच के लिए तकनीकी सलाहकार समिति का गठन किया है। यह समिति उन फर्मों पर विशेष नजर रखेगी, जिन पर भ्रष्टाचार और अनियमितताओं के आरोप हैं। सूत्रों के अनुसार, कमालगंज और अमृतपुर के कई पूर्व और वर्तमान ग्राम प्रधानों का भी चिन्हीकरण किया गया है, जो सरकारी धन के दुरुपयोग में शामिल हो सकते हैं।
जांच के दौरान, टीएसी द्वारा मनरेगा के अंतर्गत किए गए विभिन्न कार्यों के आंकड़ों की भी समीक्षा की जाएगी। इन आंकड़ों में परियोजनाओं की लागत, कार्य की गुणवत्ता, और समयसीमा में कार्यों का पूरा होना शामिल है। माना जा रहा है कि यह जांच सरकारी धन के दुरुपयोग का पर्दाफाश कर सकती है और प्रशासनिक सुधार की दिशा में महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकती है।
टीएसी उन फर्मों की पहचान करेगी, जिन्होंने मनरेगा के कार्यों में अनियमितता की है। जांच में यह भी देखा जाएगा कि क्या ये फर्म नियमों का पालन कर रही थीं या नहीं।
कई ग्राम प्रधानों पर आरोप है कि उन्होंने सरकारी धन का दुरुपयोग किया है। टीएसी इस पहलू की गहन जांच करेगी और जिम्मेदार लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की सिफारिश करेगी। जांच प्रक्रिया में स्थानीय नागरिकों की भागीदारी भी सुनिश्चित की जाएगी, ताकि वे अपनी शिकायतें दर्ज करा सकें और मामले की पारदर्शिता बढ़ाई जा सके।
वर्तमान में मनरेगा के तहत जिले में कई परियोजनाएं चल रही हैं, जिनका बजट करोड़ों रुपये है। 2023-24 में, मनरेगा के तहत जिले को करीब 100 करोड़ रुपये का बजट आवंटित किया गया था। लेकिन इन कार्यों की गुणवत्ता और समयबद्धता पर सवाल उठते रहे हैं। इस जांच के माध्यम से शासन यह सुनिश्चित करना चाहता है कि सरकारी धन का सही उपयोग हो रहा है।
इस जांच का उद्देश्य न केवल मनरेगा और ग्राम निधि के अंतर्गत हुए कार्यों की पारदर्शिता सुनिश्चित करना है, बल्कि यह भी सुनिश्चित करना है कि सरकारी धन का दुरुपयोग करने वाले किसी भी व्यक्ति या संस्था के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए। शासन का मानना है कि इस प्रक्रिया से ग्रामीण विकास योजनाओं में सुधार आएगा और स्थानीय लोगों का विश्वास प्रशासन पर बढ़ेगा।
शासन की टीएसी करेगी मनरेगा व ग्राम निधि के कार्यों की जांच
