यूथ इंडिया संवाददाता
फर्रुखाबाद। राष्ट्रीय अभिलेखागार के उप निदेशक डॉ. संजय गर्ग ने शनिवार को फर्रुखाबाद का दौरा किया और इतिहासविद डॉ. रामकृष्ण राजपूत के संग्रहालय का भ्रमण किया। संग्रहालय में मौजूद दुर्लभ वस्तुओं और ऐतिहासिक दस्तावेजों ने डॉ. गर्ग को अत्यंत प्रभावित किया। इसके अलावा उन्होंने नीम करौली धाम और संकिसा का भी दौरा किया।
डॉ. राजपूत के साथ बैठक में डॉ. गर्ग ने पांडुलिपियों के संरक्षण पर विस्तृत चर्चा की। उन्होंने कहा कि ऐतिहासिक दस्तावेज राष्ट्र की अमूल्य धरोहर हैं और इनका संरक्षण हम सबकी जिम्मेदारी है। उन्होंने संग्रहालय को और अधिक व्यवस्थित करने और आधुनिक तरीकों से संरक्षित करने पर जोर दिया।
डॉ. गर्ग ने सुझाव देते हुए कहा कि संग्रहालय में मौजूद दस्तावेजों का डिजिटलीकरण किया जाना चाहिए ताकि उन्हें अधिक लोगों तक पहुंचाया जा सके और संरक्षित किया जा सके। संग्रहालय में एक आधुनिक म्यूजियम गैलरी बनाई जानी चाहिए, जहां इन दुर्लभ वस्तुओं और दस्तावेजों को प्रदर्शित किया जा सके।
इस अवसर पर डॉ. गर्ग ने पांचाल शोध एवं विकास परिषद् के संयुक्त सचिव भूपेंद्र प्रताप सिंह और मोहम्मद आकिब खां से भी मुलाकात की। उन्होंने जिले के इतिहास और संस्कृति के संरक्षण के लिए परिषद द्वारा किए जा रहे कार्यों की सराहना की और भविष्य में और अधिक सहयोग करने का आश्वासन दिया।
नेशनल म्यूजियम की टीम ने संग्रहालय का किया गहन निरीक्षण
राष्ट्रीय संग्रहालय के महानिदेशक डॉ. बीआर मणि के निर्देश पर नेशनल म्यूजियम की एक टीम ने जिले के प्रख्यात इतिहासविद डॉ. रामकृष्ण राजपूत के निजी संग्रहालय का भ्रमण किया।
नेशनल म्यूजियम सहायक क्यूरेटर योगेश मल्लीनाथपुर ने डॉ. राजपूत के संग्रह में मौजूद प्राचीन सिक्कों, हस्तलिपियों और विभिन्न कलाकृतियों का गहन निरीक्षण किया। इनमें से कई वस्तुएं ऐतिहासिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। विशेषज्ञों ने संग्रह में मौजूद दुर्लभ वस्तुओं और ऐतिहासिक दस्तावेजों की प्रशंसा की।
भ्रमण के बाद टीम ने यह निष्कर्ष निकाला कि डॉ. राजपूत के संग्रह में मौजूद इन अनमोल वस्तुओं को वैज्ञानिक तरीके से संरक्षित करने की आवश्यकता है। ताकि आने वाली पीढिय़ां भी इनका लाभ उठा सकें।
उन्होंने कहा कि डॉ. रामकृष्ण राजपूत जैसी हस्तियों द्वारा संरक्षित निजी संग्रह देश की सांस्कृतिक विरासत के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। इन संग्रहों को संरक्षित करना हम सबकी जिम्मेदारी है।
डॉ. रामकृष्ण राजपूत ने बताया पिछले कई दशकों से इस संग्रह को इक_ा किया है और उनका उद्देश्य इस संग्रह को संरक्षित करना और इसे आने वाली पीढिय़ों के लिए एक विरासत के रूप में छोडऩा है।
नेशनल म्यूजियम की टीम ने डॉ. राजपूत के इस प्रयास की सराहना करते हुए कहा कि वे इस संग्रह को वैज्ञानिक तरीके से संरक्षित करने के लिए आवश्यक कदम उठाएंगे। साथ ही वे इस संग्रह को जनता के लिए प्रदर्शित करने की भी योजना बना रहे हैं।