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Monday, September 16, 2024

पूरे देश में चिकित्सा सुरक्षा अधिनियम लागू करने की मांग को लेकर डॉक्टरों की हड़ताल

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यूथ इंडिया संवाददाता
नई दिल्ली, लखनऊ, फर्रुखाबाद। पूरे देश में चिकित्सक सुरक्षा अधिनियम को लागू करने की मांग को लेकर डॉक्टरों की हड़ताल का व्यापक असर देखा गया। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने भी शनिवार को एक दिवसीय हड़ताल का आह्वान किया, जिसमें हजारों डॉक्टरों ने अपनी सेवाएं रोक दीं। वहीं, रेजिडेंट डॉक्टर एसोसिएशन भी अपनी मांगों पर डटा रहा, लेकिन उन्होंने इंडियन मेडिकल एसोसिएशन पर पूरा भरोसा न जताते हुए बड़े स्तर पर अपने विरोध को जारी रखा।
चिकित्सक सुरक्षा अधिनियम को लागू करने की मांग को लेकर डॉक्टरों ने कहा कि उन्हें अस्पतालों और स्वास्थ्य केंद्रों में लगातार हो रहे हमलों से सुरक्षा की आवश्यकता है। डॉक्टरों का कहना है कि उन्हें पर्याप्त सुरक्षा मुहैया कराई जानी चाहिए ताकि वे बिना किसी भय के अपनी सेवाएं दे सकें। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के अनुसार, पिछले तीन वर्षों में देशभर में डॉक्टरों पर हमले की घटनाएं बढ़ी हैं, जिनमें 72′ डॉक्टरों ने किसी न किसी प्रकार की हिंसा का सामना किया है।
रेजिडेंट डॉक्टर एसोसिएशन ने इस मुद्दे पर अपने विरोध को जारी रखा है। आरडीए के अध्यक्ष डॉ. रोहित शर्मा ने कहा, आईएमए की हड़ताल से हमें कोई खास उम्मीद नहीं है। हम अपने स्तर पर सरकार पर दबाव बनाएंगे ताकि हमारी मांगें सुनी जाएं और हमारे हितों की रक्षा हो। उन्होंने आगे कहा कि आरडीए इस मुद्दे पर किसी भी तरह के समझौते को स्वीकार नहीं करेगा, जब तक कि चिकित्सक सुरक्षा अधिनियम लागू नहीं हो जाता।
डॉक्टरों की इस हड़ताल के कारण कई अस्पतालों में ओपीडी सेवाएं बाधित हो गईं, जिससे मरीजों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ा। दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, चेन्नई समेत देश के कई बड़े शहरों में मरीजों को अपने इलाज के लिए इधर-उधर भटकते देखा गया। अस्पतालों में मरीजों की लंबी कतारें लगी रहीं और कई मरीजों को अपनी बीमारियों के इलाज के लिए मजबूरन निजी अस्पतालों का रुख करना पड़ा। स्वास्थ्य मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि इस हड़ताल से लगभग 50,000 से अधिक मरीजों की चिकित्सा सेवाएं प्रभावित हुईं।
सरकार ने इस मुद्दे पर चर्चा के लिए जल्द ही एक उच्चस्तरीय बैठक बुलाने का निर्णय लिया है, जिसमें आईएमए और आरडीए के प्रतिनिधियों को भी शामिल किया जाएगा। डॉक्टरों का कहना है कि अगर उनकी मांगें नहीं मानी गईं, तो वे इस आंदोलन को और भी बड़े स्तर पर ले जाएंगे।
डॉक्टरों की हड़ताल के चलते स्वास्थ्य सेवाओं पर पड़ा यह असर अब सरकार के लिए एक चुनौती बन गया है। देखना होगा कि सरकार इस समस्या का समाधान कैसे निकालती है।

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