पितृपक्ष (Pitru Paksha) जिसे श्राद्ध भी कहा जाता है अपने पितरों की आत्मा की शांति के लिए किया जाता है। पितरों की पूजा और तर्पण आदि कार्यों के लिए श्राद्ध पक्ष बहुत ही उत्तम माना जाता है। आचार्य अशोक पांडे ने बताया कि पितृपक्ष के दौरान हमारे पूर्वज पितृ लोक से धरती लोक पर आते हैं। इसलिए इन दिनों में उनके श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान आदि करने का विधान है। ऐसी मान्यता है कि पितरों का श्राद्ध आदि करने से व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है।
इस बार पितृ पक्ष (Pitru Paksha) का आरंभ 17 सितंबर से हो रहा है और 2 अक्टूबर तक चलेगा। अपने पूर्वज पितरों के प्रति श्रद्धा भावना रखते हुए आश्विन कृष्ण पक्ष में पितृ- तर्पण और श्राद्ध कर्म करना नितान्त आवश्यक है। इससे स्वास्थ्य, समृद्धि, आयु, सुख- शान्ति, वंशवृद्धि एवं उत्तम सन्तान की प्राप्ति होती है। श्रद्धापूर्वक किए जाने के कारण ही इसका नाम श्राद्ध है। इस बात का भी ध्यान रहे कि श्राद्धकृत्य अपराह्नकाल व्यापिनी तिथि में किए जाते हैं।
पितृ पक्ष (Pitru Paksha) में श्राद्ध की तिथियां-
पूर्णिमा का श्राद्ध – 17 सितंबर 2024 (मंगलवार)
प्रतिपदा का श्राद्ध – 18 सितंबर 2024 (बुधवार)
द्वितीया का श्राद्ध – 19 सितंबर 2024 (गुरुवार)
तृतीया का श्राद्ध – 20 सितंबर 2024 (शुक्रवार)
चतुर्थी का श्राद्ध – 21 सितंबर 2024 (शनिवार)
महा भरणी – 21 सितंबर 2024 (शनिवार)
पंचमी का श्राद्ध – 22 सितंबर 2024 (रविवार)
षष्ठी का श्राद्ध – 23 सितंबर 2024 (सोमवार)
सप्तमी का श्राद्ध – 23 सितंबर 2024 (सोमवार)
अष्टमी का श्राद्ध – 24 सितंबर 2024 (मंगलवार)
नवमी का श्राद्ध – 25 सितंबर 2024 (बुधवार)
दशमी का श्राद्ध – 26 सितंबर 2024 (गुरुवार)
एकादशी का श्राद्ध – 27 सितंबर 2024 (शुक्रवार)
द्वादशी का श्राद्ध – 29 सितंबर 2024 (रविवार)
मघा श्राद्ध – 29 सितंबर 2024 (रविवार)
त्रयोदशी का श्राद्ध – 30 सितंबर 2024 (सोमवार)
चतुर्दशी का श्राद्ध – 1 अक्टूबर 2024 (मंगलवार)
सर्वपितृ अमावस्या – 2 अक्टूबर 2024 (बुधवार)