शरद कटियार
हर वर्ष 12 जनवरी को भारत में राष्ट्रीय युवा दिवस (National Youth Day) के रूप में मनाया जाता है। यह दिन महान संत, विचारक, और समाज सुधारक स्वामी विवेकानंद की जयंती के उपलक्ष्य में समर्पित है। विवेकानंद का जीवन, उनके विचार, और उनका दर्शन युवाओं को न केवल प्रेरणा देता है, बल्कि उन्हें अपने जीवन को उद्देश्यपूर्ण बनाने की दिशा में अग्रसर करता है। इस दिन का उद्देश्य देश के युवाओं में उनकी ताकत, जोश, और राष्ट्र निर्माण के प्रति जागरूकता बढ़ाना है।
स्वामी विवेकानंद का जीवन और युवाओं के लिए प्रेरणा
स्वामी विवेकानंद का जन्म 12 जनवरी 1863 को कोलकाता में हुआ था। उनका मूल नाम नरेंद्रनाथ दत्त था। उन्होंने भारतीय संस्कृति, वेदांत, और योग के दर्शन को वैश्विक स्तर पर पहचान दिलाई। शिकागो धर्म महासभा में उनके दिए गए ऐतिहासिक भाषण ने विश्व भर में भारतीय सभ्यता और आध्यात्मिकता का परचम लहराया।
स्वामी विवेकानंद का मानना था कि युवा किसी भी समाज की रीढ़ होते हैं। उन्होंने युवाओं को अपने विचारों में सकारात्मकता लाने, आत्मबल को पहचानने और अपने उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए कड़ी मेहनत करने की प्रेरणा दी। उनका प्रसिद्ध कथन, “उठो, जागो और तब तक मत रुको जब तक लक्ष्य प्राप्त न हो जाए,” आज भी हर युवा के लिए मार्गदर्शन का स्तंभ है।
1984 में भारत सरकार ने स्वामी विवेकानंद के विचारों और उनके योगदान को सम्मानित करते हुए उनकी जयंती को “राष्ट्रीय युवा दिवस” घोषित किया। तब से यह दिन युवाओं को उनके अधिकार, कर्तव्य, और समाज के प्रति जिम्मेदारियों को समझाने का प्रतीक बन गया। इस दिन विभिन्न शैक्षणिक संस्थानों और संगठनों में सेमिनार, वाद-विवाद प्रतियोगिताएं, भाषण, और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं, जो युवाओं को प्रेरित करने और उन्हें सही दिशा में मार्गदर्शन देने का कार्य करते हैं।
युवाओं की भूमिका और चुनौतियाँ
भारत विश्व का सबसे युवा देश है, जहां लगभग 65% जनसंख्या 35 वर्ष से कम आयु की है। यह युवा शक्ति न केवल भारत के लिए, बल्कि पूरे विश्व के लिए महत्वपूर्ण है।
युवाओं के सामने आज शिक्षा, रोजगार, मानसिक स्वास्थ्य, और डिजिटल युग की चुनौतियां हैं। इन समस्याओं से निपटने के लिए आवश्यक है कि युवा आत्मविश्वास और सकारात्मक सोच के साथ अपने जीवन की दिशा तय करें।
स्वामी विवेकानंद ने कहा था
अपने अंदर की ताकत को पहचानें और आत्मनिर्भर बनें। विवेकानंद का मानना था कि शिक्षा का उद्देश्य चरित्र निर्माण और ज्ञान को व्यावहारिक बनाना होना चाहिए। विवेकानंद ने धर्म और विज्ञान के सामंजस्य पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि आध्यात्मिकता और विज्ञान दोनों ही मानवता के लिए महत्वपूर्ण हैं। उन्होंने युवाओं से आग्रह किया कि वे अपने कौशल और ऊर्जा का उपयोग देश की प्रगति के लिए करें।
राष्ट्रीय युवा दिवस केवल एक दिन नहीं, बल्कि एक अवसर है जो हमें अपनी युवा पीढ़ी की क्षमता और उनके योगदान को पहचानने की प्रेरणा देता है। स्वामी विवेकानंद के विचार हमें याद दिलाते हैं कि सही दिशा और सकारात्मक दृष्टिकोण से युवा किसी भी चुनौती को पार कर सकते हैं।
आइए, इस राष्ट्रीय युवा दिवस पर हम संकल्प लें कि अपने भीतर की ऊर्जा और जोश को पहचानें और एक बेहतर समाज और राष्ट्र निर्माण में अपना योगदान दें।
“तुम्हें कोई पढ़ा नहीं सकता, कोई आध्यात्मिक नहीं बना सकता। तुम्हारी आत्मा ही तुम्हें सब कुछ सिखाती है।”
— स्वामी विवेकानंद