प्रशांत कटियार ✍️
आज मायावती का जन्मदिन है, और यह अवसर उनके जीवन और राजनीतिक यात्रा के महत्व को फिर से समझने का है। बहुजन समाज पार्टी (BSP) की अध्यक्ष और भारतीय राजनीति की प्रमुख दलित नेता, मायावती ने अपनी संघर्षपूर्ण यात्रा में अनेक बाधाओं को पार करते हुए समाज के वंचित वर्गों के लिए अपनी आवाज बुलंद की। उनका नाम भारतीय राजनीति में एक ऐसे नेता के रूप में लिया जाता है जिन्होंने न केवल दलितों और पिछड़ों के अधिकारों के लिए संघर्ष किया, बल्कि उन्हें सत्ता में भागीदारी दिलाने के लिए भी कड़ी मेहनत की।
मायावती का जन्म 15 जनवरी 1956 को दिल्ली में हुआ। एक मध्यम वर्गीय दलित परिवार में पली-बढ़ी मायावती ने न केवल शिक्षा के क्षेत्र में सफलता प्राप्त की, बल्कि राजनीति में भी अपनी पहचान बनाई। उनका जीवन एक प्रेरणा है, विशेषकर उन महिलाओं और समाज के कमजोर वर्गों के लिए जो बड़े सपने देखती हैं।
मायावती का राजनीतिक सफर 1977 में शुरू हुआ था जब उन्होंने कांशीराम से मुलाकात की और बहुजन समाज पार्टी के साथ जुड़ीं। इसके बाद उनका संघर्ष दलितों, पिछड़ों और महिलाओं के लिए एक मजबूत आवाज बनने की दिशा में अग्रसर हुआ। 1995 में, मायावती ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली, और इस तरह वे भारत की पहली दलित महिला मुख्यमंत्री बनीं। उनका यह कदम न केवल उनके व्यक्तिगत संघर्ष का प्रतीक था, बल्कि पूरे दलित समाज के लिए एक मील का पत्थर साबित हुआ।
2007 में, मायावती ने उत्तर प्रदेश में पूर्ण बहुमत से जीत हासिल की, जो उनके राजनीतिक करियर का एक महत्वपूर्ण अध्याय था। उनके शासनकाल में दलितों और पिछड़ों के उत्थान के लिए कई योजनाएं लागू की गईं। अंबेडकर ग्राम विकास योजना जैसी योजनाओं के जरिए उन्होंने ग्रामीण क्षेत्रों में दलितों के जीवन स्तर को सुधारने का प्रयास किया। इसके अलावा, उनके द्वारा स्थापित किए गए अंबेडकर, कांशीराम और अन्य दलित नेताओं के स्मारक आज भी समाज के वंचित वर्गों को प्रेरणा देते हैं।
मायावती का शू कलेक्शन भी हमेशा चर्चा में रहा, लेकिन उनका राजनीतिक दृष्टिकोण और सादगी भरा जीवन ही सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है। उनका विश्वास था कि राजनीति को साधारण जीवन जीने वाले लोगों के कल्याण के लिए काम करना चाहिए, और इस दृष्टिकोण ने उन्हें कई लोगों का सम्मान और समर्थन दिलाया।
लेखक दैनिक यूथ इंडिया के स्टेट हेड हैं।