36 C
Lucknow
Sunday, April 20, 2025

जिन्ना के 1500 करोड़ के बंगले को विदेश मंत्रालय अब इस काम में करेगा इस्तेमाल

Must read

नई दिल्ली। भारत के बंटवारे के लिए सबसे बड़े जिम्मेदार माने जाने वाले मोहम्मद अली जिन्ना का मुंबई स्थित बंगला कई बार सुर्खियों में रहा। जिन्ना हाउस के नाम से मशहूर करीब 1500 करोड़ रुपये की इस ऐतिहासिक इमारत को ढाहने या तो इसे हेरिटेज प्रॉपर्टी के रूप में इस्तेमाल करने की मांग उठती रही है। वहीं, भारत के विदेश मंत्रालय की ओर से जिन्ना हाउस के पुनरुद्धार मंजूरी मिल सकती है।

दरअसल, मुंबई के मालाबार में स्थित जिन्ना हाउस की देखरेख की जिम्मेदारी विदेश मंत्रालय के पास है। एक मीडिया हाउस की रिपोर्ट के अनुसार, इस हेरिटेज प्रॉपर्टी को डिप्लोमैटिक एन्क्लेव के तौर पर स्थापित किया जा सकता है। यह ऐसे ही होगा, जैसे दिल्ली में हैदराबाद हाउस है। ठीक उसी तर्ज पर मुंबई में जिन्ना हाउस रहेगा। वैसे तो इस इमारत का असली नाम साउथ कोर्ट था। लेकिन, अंग्रेजी राज में बंटवारे के दौरान इसे जिन्ना हाउस कहा जाने लगा।

पाकिस्तान के जनक मोहम्मद अली जिन्ना ने 1936 में अपने रहने के लिए इस इमारत को बहुत शौक से से बनवाया था, लेकिन देश विभाजन के साथ ही जिन्ना को इसे पीछे छोड़ना पड़ा। बताया जाता है कि इंग्लैंड से वापस लौटने के बाद जिन्ना जब मुंबई लौटे और उन्होंने मुस्लिम लीग का नेतृत्व किया तो उन्होंने मुंबई में एक आवास तैयार कराया। इसका नक्शा इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ आर्किटेक्ट्स के हेड क्लॉड बैटले ने तैयार किया था। इसे इटालियन स्टाइल में तैयार कराया गया था और वहीं से मार्बल भी लाया गया था।

जिन्ना हाउस को तैयार करने में उस समय 2 लाख रुपये लगे थे तब 1947 में एक रुपये की कीमत 1 डॉलर के बराबर थी। यह बंगला ढाई एकड़ में बना है और सी फेसिंग है। इटालियन मार्बल से तैयार इस बंगले की कई दीवारें अब क्षतिग्रस्त हैं और पुनरुद्धार की जरूरत है। भारत विभाजन के पश्चात इस बंगले को शत्रु संपत्ति घोषित किया गया, जैसा उन तमाम संपत्तियों के साथ हुआ था, जिनके मालिक पाकिस्तान चले गए थे।

विभाजन के बाद पंडित जवाहर लाल नेहरू इस बंगले को मोहम्मद अली जिन्ना को लौटा देना चाहते थे। लेकिन जिन्ना की 1948 में मौत हो गई और इस बंगले को लेकर कोई फैसला नहीं हो पाया। अंत में 1949 में इस बंगले को भारत सरकार ने अपने नियंत्रण में ले लिया। वहीं, जिन्ना की बेटी दीना वाडिया मरते दम तक इस पर हक पाने के लिए मुकदमा लड़ती रहीं। साल 2018 में इस बंगले को भारत सरकार ने विदेश मंत्रालय को सौंपा था, जबकि उससे पहले भारत संस्कृति संबंध परिषद के पास था। आज इसकी कीमत 1500 करोड़ रुपये है।

Must read

More articles

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Latest article