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Thursday, November 21, 2024

वक्फ संपत्ति विवाद में कर्नाटक के किसानों से मिले जेपीसी अध्यक्ष, कांग्रेस ने कहा- “उन्हें कोई अधिकार नहीं”

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बंगलुरु: कर्नाटक में वक्फ संपत्ति विवाद को लेकर राजनीति गरमा गई है। वक्फ संशोधन विधेयक को लेकर बनी जॉइंट पार्लियामेंट्री कमेटी (जेपीसी) के अध्यक्ष जगदंबिका पाल (Jagadambika Pal) ने आज कर्नाटक के किसानों से मुलाकात की। इन किसानों का आरोप है कि वक्फ बोर्ड ने उनकी जमीन पर दावा किया है, जिसे लेकर राज्य में विवाद बढ़ गया है।

किसानों की शिकायत:

कर्नाटक में किसानों ने जेपीसी अध्यक्ष जगदंबिका पाल (Jagadambika Pal) को एक ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन में किसानों ने बताया कि वे पिछले 50-70 वर्षों से अपनी जमीन पर खेती कर रहे हैं, लेकिन अब वक्फ बोर्ड ने उस पर कब्जा करने की कोशिश की है। इस पर प्रतिक्रिया देते हुए जगदंबिका पाल ने कहा, “किसानों ने मुझे बताया कि उनके पास जमीन के मालिकाना हक का कोई ठोस दस्तावेज नहीं है, लेकिन वे दशकों से उस जमीन पर खेती कर रहे हैं।”

राजनीतिक प्रतिक्रिया:

कर्नाटक सरकार की ओर से इस मुलाकात पर तीखी प्रतिक्रिया सामने आई है। कांग्रेस सांसद मोहम्मद जावेद ने कहा, “जेपीसी को कर्नाटक से चले जाना चाहिए। उन्हें किसने अधिकार दिया कि वे किसानों से मिलें? जब राज्य सरकार पहले ही कह चुकी है कि यह मामला निपट चुका है और किसानों की जमीन उनके पास रहेगी, तो इसे राजनीतिक मुद्दा बनाने की जरूरत नहीं है।”

कर्नाटक के डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार ने इस मुलाकात को राजनीतिक ड्रामा करार दिया। उन्होंने कहा, “यह भूमि राज्य सरकार के अधिकार क्षेत्र में आती है। यह मामला 2019 में भाजपा सरकार के दौरान शुरू हुआ था, और तब किसानों को नोटिस दिए गए थे। हमारी सरकार यह सुनिश्चित करेगी कि दस्तावेजों में कोई बदलाव न हो। हम नहीं चाहते कि किसानों को कोई नुकसान हो। जेपीसी के पास इस मामले में कोई अधिकार नहीं है।”

भाजपा की प्रतिक्रिया:

भा.ज.पा. नेता और पूर्व मुख्यमंत्री बासवराज बोम्मई ने इस विवाद को सत्ता के दुरुपयोग का मामला बताया। उन्होंने कहा, “किसानों की जमीन को वक्फ संपत्ति में बदलने का यह मामला है। वक्फ के अधिकार निश्चित हैं, लेकिन मौजूदा सरकार और इसके मंत्रियों ने सत्ता का गलत इस्तेमाल करते हुए किसानों के खिलाफ साजिश रची। यह पूरी तरह से किसान वर्ग के खिलाफ है।”

सारांश और आंकड़े:

इस मुद्दे ने कर्नाटक में राजनीतिक भूचाल मचा दिया है, जहां विभिन्न दल अपनी-अपनी स्थिति पर अड़े हुए हैं। अब देखना यह होगा कि इस विवाद का राजनीतिक और कानूनी हल कब और कैसे निकलता है।

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