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Saturday, July 12, 2025

ईशारा का ‘मराठा विरासत’ उत्सव, लखनऊ में गुम शाही खानों को करता है पुनर्जीवित

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लखनऊ: प्रामाणिक भारतीय व्यंजनों के लिए प्रसिद्ध रेस्टोरेंट ईशारा (Ishara) एक अनोखा पाक उत्सव ‘मराठा विरासत (Maratha Heritage) – साम्राज्य के स्वाद’ के नाम से प्रस्तुत कर रहा है। यह महोत्सव सोनल नाइक निंबालकर महुरकर द्वारा क्यूरेट किया गया है और इसका आयोजन 16 मई से लखनऊ (Lucknow) के फीनिक्स पलासियो में किया जा रहा है। इसका उद्देश्य मराठा साम्राज्य की शाही रसोइयों से जुड़ी भूली-बिसरी व्यंजनों को पुनर्जीवित करना और लोगों को इन प्राचीन स्वादों का अनुभव कराना है।

ईशारा, बेलोना हॉस्पिटैलिटी द्वारा स्थापित एक प्रतिष्ठित रेस्टोरेंट है, जो भारत के पारंपरिक और अब लुप्त हो चुके व्यंजनों को अपने मेहमानों तक पहुँचाने के लिए जाना जाता है। यह उत्सव मुख्यधारा के महाराष्ट्रीयन खाने से अलग, मराठा शासकों की समृद्ध और विविध पाक परंपराओं को उजागर करता है। इसमें उन शाही रेसिपियों को प्रस्तुत किया गया है, जो पीढ़ियों से मराठा घरानों में संजोई गई हैं – जिनमें योद्धाओं के आहार, उत्सवों के भोज, और दरबारी रसोइयों की विशेष झलक मिलती है।

इस उत्सव का मेनू श्रीमती सोनल नाइक निम्बालकर महुरकर द्वारा क्यूरेट किया गया है, जो एक प्रसिद्ध मराठा पाक विशेषज्ञ हैं। उनके पूर्वज छत्रपति शिवाजी महाराज से संबंध रखते थे और मराठा इतिहास में उनकी भी अहम भूमिका रही है। वे कहती है, “यह मेनू शाही विरासत को साझा करने और खास व्यंजन परोसने का मौका देता है, जो अपनी खास तैयारी और पारंपरिक तरीके से पेश किए जाने के लिए जाने जाते हैं।

मराठा खाने पर राजस्थान, नेपाल और दूसरी रियासतों का असर दिखता है। इन व्यंजनों में इस्तेमाल होने वाले पारंपरिक मसाले सदियों से निखरे हैं और यही मराठा स्वाद की पहचान हैं। इस मेनू को एक नए शहर में लाना लोगों को इन समृद्ध पाक परंपराओं का अनुभव करने का अवसर देता है।”

सोनल को बचपन से ही विस्तृत भोज और शाही पाक कला के रीति-रिवाजों से परिचित कराया गया था। अब वह प्रामाणिक मराठा स्वादों को पुनर्जीवित करने के लिए प्रतिबद्ध हैं, जिनमें से कई लुप्त होने के कगार पर हैं। ईशारा लखनऊ में, मेहमान अनोखे मराठा स्वादों का अनुभव करेंगे और एक विशेष मेन्यू का आनंद लेंगे, जिसमें मराठा साम्राज्य के विभिन्न शहरों जैसे सतारा, कोल्हापुर, इंदौर, नागपुर, बड़ौदा, सांगली, ग्वालियर, सावंतवाड़ी, और संडूर के व्यंजन शामिल होंगे। साथ ही, उन्हें प्राचीन रसोई उपकरणों, विरासत में मिली मसाला मिश्रण और पुरालेखीय तस्वीरों की प्रदर्शनी भी देखने का अवसर मिलेगा।

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